विकलांगता पश्चिम की परिकल्पना : बालमुकुंद पांडेय

नई दिल्ली। भारतीय समाज में हमेशा से लोगों की कमी के बजाए उसकी क्षमताओं को निखारने की प्रवृति रही है। हमारा समाज किसी भी कारण से यदि किसी का एक अंग कमजोर हो गया है, तो उसके दूसरे अंगों के सशक्त होने की बात करता आया है। विकलांगता की परिकल्पना जो पश्चिम की देन है। हमारे समाज मंे सक्षम बनाने के लिए काम किया जाता है। राष्ट्ीय स्वयंसेवक संघ अस्सी के दशक से सक्षम प्रकल्प के माध्यम से लोगों के जीवन को उन्नत करने का कार्य करती आ रही है। हमारे लिए अष्टावक्र जैसे प्रेरक मनीषी रहे हैं, जिनकी मिसाल विद्वता के लिए दी जाती है न कि उनकी दैहिक कमी के लिए। वर्तमान समय में कुलाधिपति संत रामभद्राचार्य जी को हम सबने देखा है।

ये बातें अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री डॉ बालमुकुन्द पाण्डेय ने की। वे आज जेएनयू से पीएचडी कर विकलांगता पर काम कर रही  डाॅ संध्या कुमारी द्वारा संकलित पुस्तक हौसले की उडान का विमोचन कर रहे थे। इस विमोचन के दौरान डाॅ बालमुकुंद पांडेय ने कहा कि भारतीय समाज में कोई उपेक्षित नहीं होता है। समाज के सर्वांगीण विकास के लिए सबकी भागीदारी सुनिश्चित है। हमारा जनमानस सामाजिक समरसता का है। इस पुस्तक के माध्यम से संघ्या कुमारी ने दिव्यांग पात्रों के माध्यम से एक नई दृष्टि दी है।

 

 

पुस्तक विमोचन समारोह में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के भारतीय भाषा केंद्र के अध्यक्ष  प्रोफेसर ओमप्रकाश सिंह  ने संध्या कुमारी की रचनाधर्मिता और पुस्तक पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक में 17 कहानियों के माध्यम से समाज के विकलांग पात्रों के माध्यम से हम सब समाज को एक नए तरीके से समझ सकते हैं। इससे पूर्व भी अपनी पुस्तक के माध्यम से संध्या ने अपनी रचनाकर्म को स्थापित किया है।
विमोचन के दौरान त्रिपुरा के मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी संजय मिश्रा ने वर्तमान सरकार के दिव्यांगों के लिए किए जा रहे कार्यों की विवेचना की। कार्यक्रम का संचालन दिल्ली प्रदेश भाजपा पूर्वांचल मोर्चा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मनीष सिंह ने की। धन्यवाद ज्ञापन डाॅ संध्या कुमारी ने और विमोचन का आयोजन विकलांगों के लिए कार्य कर रही संस्था एसडीआरएस की ओर से अजय कुमार कर्ण और रमन कुमार ने किया।

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