जीवन देती ही नहीं, निखारती है डॉ जुबस्मिता सैकिया

 

नई दिल्ली।  असम की भूमि शक्ति उपासकों के लिए एक पवित्र भूमि है। इसी भूमि से एक स्त्री लोगों को जीवन देने के लिए आती हैं और स्वयं भी अपने जीवन को निखारती है। अपने जीवन में कार्यों के माध्यम से वह संदेश देती है कि जीवन रूकने के नाम नहीं है। किसी मोड़ पर यदि परिस्थितियां अनुकूल नहीं भी हो, तो समय आने पर उसे नया रूप दिया जा सकता है।

हम बात कर रहे हैं डॉ जुबस्मिता सैकिया की। डेजल मिसेज इंडिया वर्ल्ड 2018, मिसेज इंडिया कलैण्डर हंट 2018, डेजल मिसेज नॉर्थ इस्ट इंडिया 2018, ग्लैम मिसेज फोटोजेनिक नॉर्थ इस्ट 2018 जैसे अवार्डस आज इनकी झोली में है। खुद को ग्लोबली प्रूव करना है। वो कहती हैं कि कोशिश करेंगे, तो कामयाबी यकीनन मिलती ही है। सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता है।

वो पेशे से डॉक्टर है। पिता और पति डॉक्टर हैं। सास भी डॉक्टर हैं। अमूमन लोग डॉक्टर जैसे पेशे में आने के बाद जीवन को सफल मान लेते हैं। लेकिन, जुबस्मिता सैकिया ने अपने शौक को पूरा किया। जोशो-जुनून को परवाज दिए। नतीजा, आज वो महिलाओं के लिए उम्मीद की किरण बनी हैं।

असम के एनसी हिल्स जो अब दीमा हसाउ जिला कहलाता है, में जन्मी जुबस्मिता ने अपनी शुरुआती शिक्षा यहीं से की। पढाई में अव्वल रही। पिता डॉ प्रदीप सैकिया को जब से व्हाइट गाउन में देखती, खुद भी तभी से डॉक्टर बनने का शौक आया। इस शौक को पूरा किया। मां नीरू सैकिया ने बचपन से लेकर पूरी पढाई में खूब हौसलाअफजाई की। गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की। इसी दौरान शादी हुई। खुशकिस्मत रही कि पति भी डॉक्टर मिले। डॉक्टर अरण्य राजन पाठक। शादी के बाद पढाई जारी रही। अभी पीजी कर रही है।

बचपन से एक शौक था मॉडल बनने का। रैंप पर चलने का। खुद को पब्लिकली प्रूव करने का। इंटरनेट की दुनिया हमारे कई सपने को सच कर देता है। सोशल साइटस फेसबुक के माध्यम से डेजल का नाम सुना। पारिसा कम्युनिकेशंस की मुख्यि तबस्सुम से संपर्क हुआ। मानो रास्ता मिल गया हो। उसी दरम्यां पारिसा कम्युनिकेशंस की एक इवेंट नॉर्थ इस्ट में होने वाली थी डेजल।


जुबस्मिता बताती है कि पहले फेसबुक और बाद में फोन कॉल पर जिस प्रकार से तबस्सुम मैडम ने सपनों की उड़ान को परवाज दिए, वह किसी सफल मेंटर के बूते की बात है। आज जिस मुकाम पर हूं, जिन मंचों से अवार्ड हासिल किया है, उसमें तबस्सुम मैडम का काफी सपोर्ट रहा है। ऐसा कोई अपना ही किसी के लिए करता है।


जुबस्मिता कहती हैं कि किसी भी शादी-शुदा महिला की सफलता में उसके पति और सास-ससुर का बेहद अहम रोल होता है। यदि यहां से अनुमति न मिले, तो आपके सपनों का कत्ल होता है। वो खुशकिस्मत है कि उसे डॉक्टर अरण्य राजन पाठक जैसे पति मिले, जो हर निर्णय में साथ निभाते हैं। असम से दिल्ली तक साथ आते हैं। हर एक गतिविधि को गति प्रदान करते हैं। सास डॉ रूपाली बरूआ और ससुर श्री तारिणी कांत पाठक का साथ नहीं होता, तो आज कुछ भी शायद नहीं होता। इसलिए जरूरी है कि आपका परिवार आपने सपने को पूरा करने में आपका साथ दें।

डॉ जुबस्मिता बताती हैं कि पेशे से बेशक मैंने डॉक्टरी को चुना, लेकिन सपना मॉडलिंग का है। इंटरनेशल रैंप पर जिस दिन चलकर अपने सपने को साकार करूंगी, वह दिन मेरे जीवन का सबसे खास दिन होगा।

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