राजनीति में कहां से कहां आ गये

गुजरात व हिमाचल विधानसभा के चुनाव घोषित हो गये । ज्यादा घमासान गुजरात को लेकर था । वैसा मुकाबला देखने को मिला भी । बेशक भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह कहते रहें कि यह कांटे का मुकाबला नहीं था । पर यह उनका दिल जानता है कि मुकाबला कैसा था । एक बार तो कांग्रेस ने 95 का जादुई आंकडा छू लिया था और रजत शर्मा जैसे एंकर का मुंह देखने लायक था । मुश्किल से कांग्रेस की बढत मुंह से निकल रही थी पर दिल तो कमल के लिए धडक रहा था । क्या करते ?
प्रधानमंत्री मोदी ने इसे विकास की जीत बताया है । विकास कहां हुआ ?  ग्रामीण क्षेत्रों ने कांग्रेस को जिता कर साफ बता दिया कि विकास सिर्फ शहरी क्षेत्र में किया गया । ग्रामीण क्षेत्र इससे अछूते रह गये हैं । इतना फर्क क्यों ? यही बात हार्दिक पटेल पहले भी मीडिया में उठा रहे थे कि संवाददाता महोदय एक बार शहर की सडक से हट कर किसी गांव में मेरे साथ चलिए । मैं विकास कांग्रेस माॅडल दिखा दूंगा । यह बात सही साबित हुई  । अब प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि जो हुआ सो हुआ । अब सभी अपने हैं । सबको अपनाओ । सबको अपना लोगे तो सीडी किसकी दिखाएंगे ? यह भी बता दीजिए । ये हार्दिक,  अल्पेश,  जिग्नेश यही तो कहा रहे थे कि यदि आप गुजरात के बेटे हैं तो हम कहां के रहने वाले हैं ? इन बेटों के साथ अब कैसा व्यवहार होगा ?
सबका विकास , सबका विकास होता तो ग्रामीण क्षेत्र में भी बाजी मारी होती लेकिन ग्रामीण क्षेत्र की उपेक्षा की जाती रही । विकास का नारा देकर भेदभाव तो छोडिये । हिमाचल में पराजित मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी प्रेम कुमार धूमल यही साफ कहा रहे हैं , संकेत दे रहे हैं कि उनकी पराजय पर मंथन किया जाए , वे भितरघात के शिकार हुए हैं । राजनीति इसी का नाम है । आपस में ही टांग खींचना , सो खींच दी । अब मुख्यमंत्री पद के दावेदार बन गये हैं सब । धूमल को धूमिल करने दिया । अनुराग ठाकुर का कद इतना नहीं कि उन्हें आसानी से मुख्यमंत्री स्वीकार कर लेंगे । बहुत कठिन हैं यह डगर । कदम कदम पर धोखे हैं इस राह में । धूमल जी संभल कर नहीं चले ।
मंदिर मस्जिद की राजनीति क्या समाप्त हो गयी ?  फिर मंदिर जाने पर एतराज ही क्यों था ?  कपिल सिब्बल ने 2019 के बाद अयोध्या में राम मंदिर बनाने की बात कही तो राजनीति क्यों ? मंदिर के बिना चुनाव नहीं लड़ सकते तो फिर जातिवाद के जहर को मारने में तीस साल और लगेंगे कि नहीं ? जातिवाद के चलते ही पाटीदारों को टिकट में अहमियत मिली या नहीं ? जहर तो बरकरार है ।
मैथिलीशरण गुप्त की पंक्तियां
हम कौन थे 
क्या हो गये हैं 
और क्या होंगे अभी 
आओ विचारे आज 
यह समस्यायें सभी ।
 
कमलेश भारतीय 

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