चालीस लाख के समोसे , लड्डू और बेचारा किसान

जींद । हरियाणा सदा ही नये गुल खिलाता रहा है । हरियाणा में वैसे भी कहते हैं कि चाला हो गया । सचमुच चाला तो हो ही गया जब किसान पराली न जलाएं इसके जागरूकता अभियान के लिए अफसर चालीस लाख रुपये के समोसे, लड्डू और गुलाब जामुन तक खा गये और डकार भी नहीं ली ।  यह हमारा सिस्टम ऐसा ही है ।

यह मामला जींद का है यानी वे अफसर प्रबल दावेदार हैं इनाम के लिए कि कैसे किसी योजना से कमाई की जा सकती है । इन अफसरों को दूसरे राज्यों में अफसरों को ट्रेनिंग देने भेजना चाहिए । वैसे बिहार में शराबबंदी के चलते एक पुलिस स्टेशन में हजारों लीटर शराब गायब हुई तो चूहों के नाम लगा दी गयी कि वे पी गये । है न कमाल का जवाब ? वे पुलिस अधिकारी भी सम्मान के पात्र हैं कि नहीं ? एक समय चंडीगढ़ में सुखना झील से गांव निकालने के लिए भी खूब घोटाला हुआ था । चर्चा में रहा था यह घोटाला । अपने लोग बहुत गुणी हैं । इन्हें नदी किनारे लहरें गिनने के लिए लगा दो तो भी कमाई के तरीके खोज लेते हैं । सट्टेबाजों की तरह । चाहे हवा इधर से उधर जायेगी इसी पर सट्टा लगा दें । क्रिकेट पर सट्टा लगवाने तो आम बात है सट्टेबाजों की ।

बात हो रही थी किसान की । किसान के नाम पर क्या क्या नहीं हो जाता ? ये तो बेचारे अफसर थे इतना ही कर पाए । हमारे बिग बी यानी अमिताभ बच्चन भी यूपी के किसान बनने चले थे । पर मीडिया के शोर के चलते कदम पीछे हटा लिए । किसान के नाम पर क्या क्या डकारा जा सकता है , इसी पर अधिकारियों की नज़रें लगी रहीं । इसीलिए पराली के प्रति जागरूक करने की योजना हाथ लगी तो खिल उठे और सोचा कि अब आया ऊंट यानी सरकार हमारे नीचे ।

खूब समोसों, लड्डुओं और गुलाब जामुन के बिल बने और बनते चले गये । हम सरकार को चूना लगाते लगाते चले गये । आखिर कोई भी गौर क्यों नहीं करता कि यह कैसे हो रहा था गोरखधंधा? कभी पंचकूला के सेक्टर छह स्थित गवर्नमेंट हास्पीटल में डाक्टर भ्रूण हत्या का रेकैट चलाती पकड़ी जाती है , कभी कोई लाइसेंस बनाते पकडा जाता है । शायद सरकारी काम करने की बजाय नकली काम ज्यादा हो रहे हैं ।ये तो बस मौका मिलना चाहिए । मिला तो फिर देखो क्या हो जाता है । इस देश का यारो क्या कहना ?


 कमलेश भारतीय, वरिष्ठ पत्रकार 

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