पूर्वोत्तर में बाढ़ का कहर, लाखों बेघर

गुवाहाटी। पूर्वोत्तर के तीन राज्यों – असम, मणिपुर और त्रिपुरा – में बीते तीन दिनों से हो रही भारी बारिश ने तबाही मचा दी है। खबरों के मुताबिक बारिश के चलते आई बाढ़ से करीब चार लाख लोग प्रभावित हुए हैं। नौ लोगों की मौत हो चुकी है। कई नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। भूस्खलन भी हुआ है। सड़कों और रेलवे ट्रैकों पर पानी भर गया है जिससे कई जगहों पर ट्रैफिक प्रभावित हुआ है। कई ट्रेनें रद्द करनी पड़ी हैं।
असम के राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुताबिक राज्य के सात जिलों – होजाई, कारबी आंगलोंग ईस्ट, कारबी आंगलोंग वेस्ट, गोलाघाट, करीमगंज, हैलाकांडी और कछार – पर बाढ़ का असर देखने को मिला है। धनसिरी, बराक और कुशियारा जैसी नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। गोलाघाट में बाढ़ से एक व्यक्ति मौत हो गई। यहां 370 गांव प्रभावित हुए हैं जिनकी आबादी कम से कम 1।66 लाख है। बाढ़ के पानी से यहां 1,367 हेक्टेयर जमीन की फसल बर्बाद हो गई। करीब 36,000 लोग अपने घर छोड़ कर 116 राहत शिविरों में रहने को मजूबर हैं।
मणिपुर में घाटी के तहत आने वाले पांच जिले बाढ़ की चपेट में हैं। कई घर पानी में डूब चुके हैं। इसके चलते यहां पांच लोगों की मौत हो गई। इनमें सात साल का एक बच्चा भी शामिल है। हालात के मद्देनजर केवल 11 सरकारी विभागों को छोड़ कर अन्य सभी सरकारी विभाग और शिक्षा संस्थान पहले से बंद रखे गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक इन्हें आगे भी बंद रखा जाएगा। आपदा प्रबंधन के तहत पुलिस, पैरामिलिट्री और स्थानीय वॉलन्टियर्स ने राहत कार्य अपने हाथ में ले लिया है। बचाव अभियान चलाए जा रहे हैं। बाढ़ से प्रभावित लोगों को 50 से ज्यादा राहत शिविरों में भेजा जा रहा है। भूस्खलन के चलते जाम हुए इम्फाल-जिरिबम हाईवे को साफ करने का काम शुरू किया गया है। वहां 400 ट्रक फंसे हुए हैं। राहत और आपदा प्रबंधन निदेशालय की रिपोर्टों के मुताबिक मणिपुर में बाढ़ से 101 गांव और 1।7 लाख लोग प्रभावित हुए हैं।
वहीं, त्रिपुरा की बात करें तो यहां बाढ़ की वजह से तीन लोगों की मौत होने की खबर है। एक मृतक का शव खोवाई जिले से मिला। यहां 6,693 परिवारों के 25,805 लोग 189 राहत शिविरों में आसरा लिए हुए हैं। बाढ़ से त्रिपुरा की 1,515 हेक्टेयर फसल बर्बाद हुई है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक लामडिंग-बादरपुर हिल सेक्शन में भूस्खलन होने से चार ट्रेनों को रद्द करना पड़ा। यहां हालात गंभीर बनते देख मुख्यमंत्री बिप्लब देब ने केंद्र से मदद मांगी है।

 

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