नई दिल्ली। नई माताओं व नवजात शिशुओं को गुणवत्तायुक्त हेल्थकेयर प्रदान करने के लिए फॉगसी (फेडरेशन ऑफ ऑब्सटीट्रिक एवं गायनेकोलॉजिकल सोसायटीज ऑफ इंडिया) ने एमएसडी फॉर मदर्स, मैकऑर्थर फाउंडेषन एवं जेएचपिएगो (जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के सहयोगी) के साथ सहयोग करके भारत में प्राईवेट सेक्टर में मैटरनल व नियोनैटल केयर की गुणवत्ता सुधारने के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान – ‘मान्यता’ का लॉन्च किया है। इसका शुभारंभ ग्रामीण विकास, महिला एवं बाल कल्याण मंत्री, कु. पंकजा मुंडे के द्वारा फॉगसी की प्रेसिडेंट, डॉ. रिशमा पाई तथा बॉलिवुड अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी की मौजूदगी में किया गया। इस अभियान से जुड़ने वाले हर हॉस्पिटल का आंकलन किया जाएगा तथा संबंधित हेल्थकेयर प्रदाता को इस 16 पैरामीटर्स पर प्रशिक्षित किया जाएगा, प्रशिक्षण के बाद इनका पुनः आंकलन किया जाएगा और 85 प्रतिशत से अधिक का स्कोर पाने पर हॉस्पिटल को ‘क्वालिटी की मान्यता सील’ द्वारा प्रमाणित किया जाएगा। इसके बाद इसे आधिकारिक रूप से क्वालिटी मैटरनल केयर प्रदान करने वाली हेल्थकेयर सुविधा माना जाएगा।
इस अभियान पर के बारे में फॉगसी की एम्बेसडर डॉ. हेमा दिवाकर ने कहा कि मान्यता अपेक्षित माताओं के लिए क्वालिटी केयर का वायदा है। फॉगसी का अनुमोदन प्रमाणित करता है कि कौन से हॉस्पिटल गर्भावस्था और शिशु जन्म के दौरान निरंतर गुणवत्तायुक्त सेवा प्रदान करते हैं, और सुनिश्चित करते हैं के माताओं को केवल बेहतर, सुरक्षित व सम्मानजनक केयर उपलब्ध हो सके। मान्यता के माध्यम से फॉगसी ज्यादा से ज्यादा स्वास्थ्य प्रदाताओं को गुणवत्तायुक्त केयर के लिए प्रमाणित करने का प्रयास कर रहा है, ताकि कोई भी मां जन्म देते वक्त मृत्यु का षिकार न हो। हम अपने डॉक्टरों को निर्देष देते हैं कि मां को बचाने के लिए हमें अपना हर संभव प्रयास करना चाहिए, क्योंकि उसकी जिंदगी बहुमूल्य है। भले ही मां अपनी सेहत का ख्याल न रखे, लेकिन हमें कभी उसके स्वास्थ्य की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। हमें उसे सषक्त बनाना है। और इसका यही समय है। यही सही समय है।’ उन्होंने यह भी कहा कि मान्यता का लक्ष्य पब्लिक प्राईवेट पार्टनरशिप तथा टेक्नॉलॉजी के प्रभावशाली उपयोग, प्रशिक्षण के लिए डिजिटल मीडिया के उपयोग तथा निरंतर पर्यवेक्षण व निगरानी के द्वारा सभी केंद्रों को जरूरी स्टैंडर्ड तक ले जाना है। मान्यता द्वारा सुनिश्चित केयर एवं कवरेज में सुधार व सार्वभौमता से समाज के हर वर्ग के लोगों को लाभ पहुंचेगा। देष के सभी राज्यों में विस्तार करके यह गारंटी दी जा सकती है कि भले ही कोई मां किसी भी जगह षिषु को जन्म प्रदान करे, उसकी सेवा में लगी संपूर्ण मेडिकल टीम उसके सुरक्षित प्रसव में उसकी सहायता करने के लिए तत्पर रहेगी।’
मातृत्व मृत्यु दर अपेक्षा से कम दर से गिरने तथा 60 फीसदी जनसंख्या द्वारा प्राईवेट सेक्टर से सेवाएं लेने के साथ एक सार्वभौम व स्टैंडर्ड मैटरनल एवं नियोनैटल केयर बहुत महत्वपूर्ण हो गई है। केवल व्यक्तिगत प्रोग्राम्स, सरकारी अभियानों तथा मेडिकल संस्थानों द्वारा केंद्रण करना व्यवहारिक नहीं है क्योंकि इनकी पहुंच मान्यता द्वारा पहंुच सीमा में लाए जाने वाले अपेक्षित संस्थानों के मुकाबले केवल 40 प्रतिशत है।