नई दिल्ली। फोर्टिस अस्पताल, शालीमार बाग के डॉक्टरों की एक टीम ने हाल में एक 6 वर्षीय बच्चे नया जीवनदान दिया। मरीज़ किडनी के एक दुर्लभ किस्म के जन्मजात विकार के अलावा मैलिगनेंट लीवर की बीमारी से ग्रस्त था। यह मरीज़ हीपेटोब्लास्टोमा से ग्रस्त थी जो कि समूचे दक्षिण एशियाई क्षेत्र में काफी दुर्लभ है। यह उपचार सफल रहा और बीमारी से बाहर आने के बाद बच्चा अब अपने बचपन का आनंद ले रहा है। फोर्टिस अस्पताल, शालीमार बाग में इस टीम का नेतृत्व डॉ प्रदीप जैन, डायरेक्टर, जीआई ओंकोसर्जरी ने किया।
इस बच्चे को पेट में लगातार दर्द की शिकायत रहती थी जिसकी वजह से वह स्कूल और खेलने भी नहीं जा पाती थी/ पाता था। जांच करने पर डॉक्टरों ने पाया कि उसके लीवर के दायीं ओर एक बड़ी कैंसर ग्रोथ थी। इसके अलावा, उसकी दायीं किडनी में एक जन्मजात ब्लॉकेज भी थी जिससे किडनी में सूजन आ गयी थी और वह बेकार हो चुकी थी। जांच के बाद इलाज की पूरी योजना तैयार की गई। लीवर के दायीं ओर स्थित कैंसर की गांठ और दायीं किडनी को निकाल दिया गया। यह काफी सावधानी से किया गया जिससे मरीज़ का शेष लीवर सुरक्षित बचा रह सके। ऑपरेशन के बाद मरीज़ को कीमोथेरेपी की कोई जरूरत नहीं हुई और न ही कैंसर के दोबारा उभरने के कोई लक्षण दिखायी दिए हैं।
हीपेटोब्लास्टोमा अत्यधिक दुर्लभ किस्म का मैलिग्नेंट लीवर कैंसर है जो शिशुओं और बच्चों में पाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा कराए गए अध्ययन में यह सामने आया है कि बाल्यावस्था में कैंसर के मामले दुनियाभर में पिछले 20 वर्षों में 13 प्रतिशत बढ़ चुके हैं, और दुनियाभर में 0 से 4 वर्ष के प्रति 10 लाख में 140 बच्चे हर साल इसका शिकार बनते हैं। हालांकि हीपेटोब्लास्टोमा दक्षिण एवं दक्षिण पूर्वी एशिया क्षेत्र में काफी दुर्लभ है, लेकिन समय पर इसका पता लगने से स्थिति पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है। इस अध्ययन से यह भी संकेत मिले हैं कि बाल्यावस्था में कैंसर के मामले कई बाहरी कारकों जैसे संक्रमणों या पर्यावरण प्रदूषकों से भी काफी हद तक प्रभावित होता है।
डॉ प्रदीप जैन ने बताया, ”जब हमने पहली बार इस बच्ची की जांच की थी तो उसकी स्थिति काफी खतरनाक थी। मरीज़ की उम्र को देखते हुए इस दुर्लभ स्थिति से सावधानीपूर्वक निपटा गया। हमारी इलाज की रणनीति काफी कारगर साबित हुई है और मरीज़ अब पूरी तरह से ठीक है। हमें खुशी है कि यह सर्जरी सफल रही जो कि इतनी कम उम्र के मरीज़ के लिए वाकई एक बड़ा ऑपरेशन था।”
श्री महिपाल भनोत, ज़ोनल डायरेक्टर, फोर्टिस अस्पताल शालीमार बाग ने कहा, ”यह बेहद जटिल किस्म की सर्जरी थी और हमें अपने सभी विकल्पों पर, साधनों पर तथा विशेषज्ञताओं पर सावधानीपूर्वक विचार कर, पिडियाट्रिक ओंकोलॉजी सर्जनों, इंटेंसिव यूनिटों के विशेषज्ञों तथा एनेस्थीटिस्टों के बीच भरपूर तालमेल रखकर एक बच्चे के बहुमूल्य जीवन को बचाना था। फोर्टिस अस्पताल, शालीमार बाग की मल्टीडिसीप्लीनरी विशेषताओं तथा मरीज़ देखभाल के स्वर्ण मानकों ने हमें इस मामले में अच्छे नतीजे दिलाने में मदद की है।”