अनिश्चितता से सफलता तक: मसाई स्‍कूल डेवलपर बनने की चाह रखने वाले तीन लोगों के कॅरियर में लेकर आया बदलाव

नई दिल्ली। मसाई स्‍कूल एक ऐसा मंच है, जहाँ कौशल का संयोजन अवसरों से किया जाता है। इस स्‍कूल ने भारत में 5000 से अधिक विद्यार्थियों के सपने पूरे करने में सफलता पाई है। नतीजे देने वाले एक कॅरियर इंस्टिट्यूट के रूप में काम करते हुए, इसने 100 से ज्‍यादा बैचेस को प्रशिक्षित किया है और बीते वर्षों में अपना दायरा बढ़ाते हुए, अभी 6,000 से अधिक एनरोलमेंट्स हासिल कर लिये हैं। इसी महीने यह संस्‍थान अपने पाँच साल पूरे कर रहा है और अपने एकमात्र लक्ष्‍य की प्राप्ति भी सुनिश्चित कर चुका है। इसका लक्ष्‍य शिक्षा प्रणाली को नतीजों पर आधारित बनाकर भारत की मानवीय क्षमता को सामने लाना है।

सुधांशु शर्मा वैसरस्‍टॉफ में एक सॉफ्टवेयर डेवलपर हैं। वह दिल्‍ली में अपने बचपन के दिनों को याद करते हैं, जब 14 साल की उम्र में उनके पिता की दुखद मृत्‍यु हो गई थी। उन्‍होंने जीवन में जल्‍दी ही जिम्‍मेदारियाँ संभालना शुरू कर दिया था। अपनी पढ़ाई जारी रखते हुए, सुधांशु को आईटी और डेवलपमेंट में काफी रुचि रहने लगी। मसाई से पहले उन्‍होंने यूट्यूब जैसे मुफ्त संसाधनों पर भरोसा किया। टेक्‍नोलॉजी की समझ का उन्‍होंने एक ठोस आधार बनाया और आखिरकार एक ऑनलाइन ऐड के जरिये उन्‍हें मसाई स्‍कूल के बारे में पता चला।

मसाई में सुधांशु को अपने ही द्वारा सीखी गईं कुशलताओं का फायदा‍ मिला, लेकिन नई टेक्‍नोलॉजीज में उन्‍हें मुश्किलें आईं। अच्‍छी बात यह रही कि ग्‍लाइड प्रोग्राम के स्‍टाइपेंड ने उनके आर्थिक बोझ को कम करने में मदद की और फिर वह मसाई के पुख्‍ता पाठ्यक्रम में पूरी तरह से खो गये। मसाई में अपने सफर के दौरान उनमें वेब डेवलपमेंट, ग्राफिक डिजाइन और ब्‍लॉकचेन टेक्‍नोलॉजी का जुनून पैदा हुआ। तकनीकी और निजी तौर पर इस अनुभव ने उन्‍हें अनुशासन की शिक्षा दी।

मसाई के बाद सुधांशु गुरुग्राम के एक ब्‍लॉकचेन स्‍टार्टअप से जुड़ गये। वहाँ काम करने का लचीला माहौल उनकी आकांक्षाओं के मुता‍बिक है, क्‍योंकि वह कॉर्पोरेट की सीढि़याँ चढ़ते हुए चीफ टेक्निकल ऑफिसर (सीटीओ) बनने का सपना देखते हैं। मसाई स्‍कूल ने उन्‍हें वह स्‍ट्रक्‍चर और कौशल दिया, जो उनकी जिन्‍दगी बदलने के लिये जरूरी था। इस तरह उनकी सफलता का रास्‍ता बन गया। सुधांशु शर्मा कहते हैं, ‘’मसाई स्‍कूल ने मुझे ज्ञान और खुद पर नियंत्रण दिया, जिससे मैं शुरूआती विफलताओं से उभर सका और फिर डेवलपर बनकर सफलता हासिल की। वह मेरे जीवन का एक टर्निंग पॉइंट था, जिसने मेरे जीवन और प्रोफेशन को बदलकर रख दिया।’’

सौरव मालवीय का वेब डेवलपमेंट में सफर बी.कॉम की पढ़ाई के दौरान शुरू हुआ था। उस वक्‍त अपने भविष्‍य के लिये उनके पास कोई दिशा नहीं थी। एक दोस्‍त की सलाह पर वह कोडिंग में रुचि लेने लगे और उन्‍होंने जावास्क्रिप्‍ट का ऑनलाइन कोर्स किया। यूट्यूब पर कोडिंग का कंटेन्‍ट देखते हुए, सौरव को मसाई स्‍कूल के बारे में पता चला। इसके बाद उनकी जिन्‍दगी पूरी तरह से बदल गई।

मसाई स्‍कूल ने सौरव को एक बेहतरीन पाठ्यक्रम और सहयोगी शिक्षक दिये। यह अनुभवहीन होने से लेकर पूरी तरह से विकसित फुल स्‍टैक डेवलपर बनने तक उनके लिये महत्‍वपूर्ण रहा। थोड़ी जानकारी से शुरूआत करने के बावजूद, सौरव ने उल्‍लेखनीय प्रगति की और मसाई के साथ अपने वक्‍त के दौरान स्‍टूडेंट गाइड भी बने। मसाई के अनूठे पे-आफ्टर-प्‍लेसमेंट मॉडल ने भी अच्‍छी गुणवत्‍ता की शिक्षा को उनके लिये सुलभ बनाया और उन्‍होंने आर्थिक तंगी की चिंता किये बिना सीखने पर ध्‍यान दिया।

आज सौरव स्‍वैगईज़ी में फुल स्‍टैक इंजीनियर-2 हैं और अपने कौशल तथा कड़ी मेहनत के कारण उनकी हाल ही में पदोन्‍नति भी हुई है। एक बेरोजगार ग्रेजुएट से लेकर सफल डेवलपर बनने तक उनका सफर समर्पण और सही मार्गदर्शन की बदलाव लाने वाली ताकत का सबूत देता है। टेक्‍नोलॉजी में अपने कॅरियर की तरक्‍की के लिये वह एमसीए कोर्स करना चाहते हैं। सौरव मालवीय कहते हैं, ‘‘मसाई के व्‍यापक प्रशिक्षण एवं सहयोग ने मुझे पूरी तरह से विकसित एक डेवलपर बना दिया, जबकि मेरा कोडिंग में कोई बैकग्राउंड नहीं था। मुझे अपनी सीमाओं को चुनौती देने और वह हासिल करने की सीख मिली, जो मेरे विचार से असंभव था।’’

अक्षय वर्मा के कॅरियर ने सिविल इंजीनियरिंग के तृतीय वर्ष में अचानक एक मोड़ लिया। उन्‍हें लग रहा था कि वह सही रास्‍ते पर बढ़ रहे हैं, लेकिन असलियत में उनकी रुचि कंप्‍यूटर में थी। यह बात सॉफ्टवेयर वाले प्रोजेक्‍ट्स के वक्‍त उन्‍हें समझ में आई। दिल्‍ली के नॉदर्न इंडिया इंजीनियरिंग कॉलेज से बी.टेक करने के बावजूद अक्षय को ग्रेजुएशन के बाद कोई रास्‍ता नहीं मिला और उनके प्रोफेशन में काफी अनिश्चितता थी।

इस दौरान एक दोस्‍त ने उन्‍हें मसाई स्‍कूल के बारे में बताया। मसाई के पे-आफ्टर-प्‍लेसमेंट मॉडल से आकर्षित होकर अक्षय ने उससे जुड़ने का फैसला किया। मसाई स्‍कूल के संरचित पाठ्यक्रम और गहन पढ़ाई के सत्रों ने पढ़ाई को लेकर अक्षय का नजरिया बदल दिया। लंबे समय तक पढ़ाई करना भी उनके लिये आसान और फायदेमंद हो गया। अक्षय के पास डाटा स्‍ट्रक्‍चर्स और एल्‍गोरिदम्‍स में बेहतरीन काम करने का बैकग्राउंड था। इसकी मदद से वह बैच में सबसे ऊँचे लेवल पर रहे और टॉप परफॉर्मर्स में शामिल हुए। टेक में कॅरियर के लिये उनका रास्‍ता पक्‍का हो गया।

अक्षय की लगन काम आई, जब उन्‍हें इप्‍सेटर एनालिटिक्‍स में जूनियर फ्रंटएंड डेवलपर का पद मिला। पिछले एक साल में उन्‍होंने महत्‍वपूर्ण जिम्‍मेदारियों को संभाला है, जिससे आर्थिक और पेशेवर तौर पर उनका आत्‍मविश्‍वास बढ़ा है। अक्षय लगातार तरक्‍की कर रहे हैं और उनका सफर तकनीकी के आकांक्षी पेशेवरों के लिये एक प्रेरणा है। इससे साबित होता है कि सही सहयोग और कड़ी मेहनत के बल पर टेक्‍नोलॉजी में एक संतोषजनक कॅरियर बनाया जा सकता है। अक्षय वर्मा ने कहा, ‘सिविल इंजीनियरिंग से तकनीकी में जाना भारी लग रहा था, लेकिन मसाई के स्‍ट्रक्‍चर्ड प्रोग्राम ने मुझे जरूरी स्‍पष्‍टता और आत्‍मविश्‍वास दिया। मेरा कॅरियर सचमुच बदल गया।’’

मसाई स्‍कूल के बारे में बात करते हुए, उसके सह-संस्‍थापक एवं सीईओ प्रतीक शुक्‍ला ने कहा, ‘‘हमारा लक्ष्‍य कुशलताओं को निखारने का एक मंच देकर विद्यार्थियों की क्षमता को सामने लाना है, ताकि निश्चित परिणाम मिल सकें। हम नई-नई स्‍कीम्‍स लाने और स्‍थापित फ़र्म्‍स के साथ मिलकर काम करते हुए अपनी टीमों को बढ़ाने के लिये समर्पित हैं। इससे विद्यार्थियों के लिये अवसर भी बढ़ेंगे। हम शिक्षा के परितंत्र को प्रगतिशील तरीके से बदलने की सोच रखते हैं।’’
उद्योग के बड़े-बड़े फ़र्म्‍स के साथ भागीदारी करने के अलावा, मसाई स्‍कूल ने तीन आईआईटी फ़र्म्‍स के साथ भी गठजोड़ किये हैं- आईआईटीगुवाहाटी, आईआईटी मंडी और आईआईटीरोपड़। इसके साथ-साथ राष्‍ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) के साथ भी उसकी भागीदारी है, जिससे बाधाएं टूट रही हैं और संभावनाएं बढ़ रही हैं।

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