लीजिए, फरीदाबाद से आई गुड गवर्नेस की झलक । एसडीएम महोदय अवैध कब्जे हटाने गए थे , पूरे अमले के साथ । हाय तौबा मचाते दुकानदारों ने विधायक सीमा त्रिखा को मौके पर बुला लिया और उन्होंने गुड गवर्नेस का परिचय देते एसडीएम को कब्जे की कार्रवाई तुरंत रोकने के आदेश दिए ।
यह भी धमकी दी कि आपको सस्पेंड होने का शौक है । एसडीएम ने भी भरी जनता में जवाब दिया कि अब तो रिटायरमेंट पर पहुंच चुका हूं । करवा दीजिए । कोई हर्ज नहीं । मुझे अपना काम करने दीजिए । पर विधायक महोदया टस से मस नहीं हुईं और काम रुकवा ही छोडा । लोगों ने विधायक जिंदाबाद के नारे लगाए । एक कर्मठ अधिकारी शर्मसार होकर लौट आया । यह आपकी गुड गवर्नेस है । सोचिए और परवाणू के चिंतन शिविर में चिंतन के विषयों में इसे भी जोड़ लीजिए । विधायक कह रही हैं कि जनता ने अपने हितों की रक्षा के लिए हमें चुना हैं और हम उनके हितों की रक्षा नहीं करेंगे क्या ? कारवाई कानून के दायरे में होनी चाहिए ।
आपको याद होगा कि कैसे यूपी में एसडीएम दुर्गा शक्ति को समाजवादी नेता नेता आधे घंटे में निलंबित करवाया था । फिर दुर्गा शक्ति व उनके आई ए एस पति अखिलेश से माफी मांग कर आए थे । अब अखिलेश का राज नहीं रहा ।
इसी प्रकार यूपी के मौजूदा राज में एक दबंग महिला एस पी को लज्जित किया गया । तब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कुछ नहीं बोले । क्यों ? नारी का इतना ही सम्मान है ? यही गुड गवर्नेस है सब राज्यों में ? किस गुड गवर्नेस के ख्वाब दिखा रहे हो ?
हरियाणा के फतेहाबाद का मामला भी भूला नहीं अभी । जब महिला एस पी ने मंत्री अनिल विज को तर्क दिया कि सर , हम पुलिस वाले नशे का व्यापार करने वालों को पकड़ते हैं लेकिन न्यायालय से इन्हें जमानत मिल जाती है । ये फिर वही कारोबार करने लगते हैं । बस , इतना भी तर्क सहन नहीं हुआ । गेट आउट कहा दिया पर स्वाभिमानी एस पी नहीं गयी । इस पर मंत्री महोदय उठ कर यह कहते हुए चले गए कि या तो एस पी रहेगी या मैं । बस , बेटी का मान तो नहीं रखा लेकिन मंत्री जी की गुड गवर्नेस चल गयी ।
मामले अनेक हैं । मतलब साफ हैंं कि अधिकारी राजनेताओं से कमतर क्यों माने जाते हैं ? इसीलिए अब आईएएस का क्रेज कम होता जा रहा हैंं । सिविल अधिकारी ही जनता के सेवक हैं , क्या नेता नहीं ? ये सारे मामले तो यही सिद्ध करे रहे हैं । कृपया ध्यान दें । चिंतन शिविर में विचार करें । कल्याण होगा ।
– कमलेश भारतीय