यूपी चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी व अखिलेश के बोल भूले नहीं होंगे । कहां यूपी का चुनाव और कहां गुजरात के गधे ? सब एक ही जगह मिले । कहां कब्रिस्तान और कहां श्मशान ? बिजली मिले दीपावली व रमजान पर एक जैसी । बहुत सी बातें याद होंगी ।
गुजरात चुनाव में भी कम बतरस नहीं हो रहा । चाय का नुस्खा तो 2019 तक काम आएगा । चाय बेची , देश नहीं बेचा पर अमित शाह के बेटे के कारोबार को बढते भी नहीं देखा । वह तो देख लीजिएगा । गब्बर सिंह टैक्स के बदले औरंगजेब का राज मुबारक । यह भी सुना । जनेऊधारी राहुल गांधी देखा । देखा पक्का शिवभक्त । हिंदू देखा । राम मंदिर का सपना देखा । क्या क्या नहीं देखा । अमिताभ बच्चन से बडा अभिनेता देखा । और भी बहुत कुछ देखा सुना । सब कुछ सुनते चुनाव प्रचार का पहला चरण समाप्त होते देखा । दूसरे चरण तक जुबान से कुछ ज्यादा फूल झडेंगे; कुछ ज्यादा बडे आरोप लगेंगे । हार्दिक की सीडी आ सकती है । अल्पेश जिग्नेश को भी कुछ बदनाम करेंगे । राजनीति अब सीडी और आरोपों से ही चलती है । सादगी से करने के जमाने लद गये ।
गुजरात चुनाव में सोमनाथ मंदिर देखा और पता चला देश को कि वहां दो रजिस्टर रखे जाते हैं । यह भी पता चला कि सोमनाथ मंदिर के ट्रस्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं । दोनों में कुछ न कुछ संबंध तो हैंं । सोमनाथ मंदिर जाने को इतना तूल दिया गया कि जैसे बहुत बडा अपराध कर दिया हो ।
देश बडा हैंं, संविधान बडा हैंं, भगवान् बडा हैंं । इंसान होना बडा हैंं । आज कोई सत्ता में हैंं तो कल कोई । फिर अच्छी बहस क्यों न करें ? अच्छी बात क्यों न करें ?
उम्मीद करते हैं कि अगले चुनाव प्रचार के चरणों में राजनेता कुछ संयम रखेंगे ।