धर्म युद्ध और जनयुद्ध में फंसा गुजराती मानस

लोकतंत्र में चुनाव होते रहे हैं और हार -जीत होती रही है लेकिन गुजरात को लेकर जिस तरह बीजेपी परेशान है ,आज तक इतनी परेशानी कभी नहीं देखि गयी। गुजरात चुनाव के मसलों पर लड़ने की बात कह रही थी बीजेपी लेकिन देखते देखते मसले बदल गए। चुनावी अजेंडे बदल गए। धर्म ,हिन्दू और मंदिर ,जनेऊ से लेकर गुजराती अस्मिता की कहानी चुनावी मैदान में कुलांचे मारने लगी।

अखिलेश अखिल

इस बार गुजराती मानस फस गया है। धर्मयुद्ध और जनयुद्ध के बीच में गुजराती समाज और मिजाज उहापोह की हालत में है। गुजरात का यही उहापोह बीजेपी को बेचैन किये हुए है। आज पहले गुजरात में बीजेपी कभी बेचैन नहीं रही। लोकतंत्र में चुनाव होते रहे हैं और हार -जीत होती रही है लेकिन गुजरात को लेकर जिस तरह बीजेपी परेशान है ,आज तक इतनी परेशानी कभी नहीं देखि गयी। गुजरात चुनाव के मसलों पर लड़ने की बात कह रही थी बीजेपी लेकिन देखते देखते मसले बदल गए। चुनावी अजेंडे बदल गए। धर्म ,हिन्दू और मंदिर ,जनेऊ से लेकर गुजराती अस्मिता की कहानी चुनावी मैदान में कुलांचे मारने लगी। पत्रकारों के सवाल पर हमले होने लगे या फिर बनावटी खबरे जनता के पास दौड़ने लगी। लेकिन जब जनता का मिजाज ही बदल रहा है तब अस्मिता और धर्म की नारे आखिर कब तक काम आये ? प्रधान मंत्री मोदी जी कांग्रेस पर हमला करने से नहीं चूक रहे। राहुल गांधी ने दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष के लिए नामांकन क्या भरा ,मोदी जी बिदक गए। राहुल पर हमला करते हुए कांग्रेस और राहुल को वंशवाद से आगे मुग़ल शासक से लेकर औरंगजेब तक से उसकी तुलना कर दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के धर्मपुर में रैली को संबोधित करते हुए राहुल गांधी के अध्यक्ष पद पर नामांकन को लेकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस, पार्टी नहीं कुनबा है और हमारे लिए देश बड़ा है। उन्होंने ये भी कहा कि बादशाह को पता होता है कि उसकी औलाद को ही तख्त मिलेगा। मोदी ने ये भी कहा कि औरंगजेब राज उन्हें मुबारक हो।
मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत में कहा कि जहांगीर की जगह जब शाहजहां आए, क्या तब कोई चुनाव हुआ था? जब शाहजहां की जगह औरंगजेब आए, तब कोई चुनाव हुआ था? मोदी ने कहा, ‘ये तो पहले से ही पता था कि जो बादशाह है, उसकी औलाद को ही सत्ता मिलेगी।’ मोदी ने कहा कि कांग्रेस के नेता खुद मानते हैं कि ये पार्टी नहीं, ये कुनबा है। पीएम मोदी के इस बयान को गुजराती समाज चाहे जिस तरीके से ले लेकिन यह भी साफ़ हो गया है कि गुजरात में बीजेपी की हालत अब पहले जैसी नहीं रही। हार्दिक ,जिग्नेश और ठाकोर की तिगरी के सामने बीजेपी बेवस और लाचार होती जा रही है। चुनाव परिणाम भले ही बीजेपी के पक्ष में चली जाए लेकिन यह भी तय है कि बीजेपी को गुजरात जितना इस बार महंगा पड़ सकता है
कांग्रेस की रणनीति और बीजेपी के प्रति जनता के मन में पनपी निराशा पार्टी को परेशान कर रखा है। खुद प्रधानमंत्री के घर में इस चुनौती से भाजपा हाईकमान भी परेशान है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह तो इतने परेशान नजर आए कि अहमदाबाद के पार्टी कार्यालय से इंटरव्यू बीच में ही छोड़कर चले गए। शनिवार को दोपहर से इंटरव्यू दे रहे अमित शाह को एक इंटरव्यू के दौरान इतना गुस्सा आ गया कि वे बीच में ही इंटरव्यू छोड़कर चले गए। अहमदाबाद बीजेपी के कार्यालय के बाहर ऐसी चर्चाएं हो रही थीं कि अमित शाह का मूड बहुत खराब है। इसी दौरान उनका बीच इंटरव्यू से जाना गुजरात में भाजपा की हालत बयां कर रहा है।
आपको बता दें कि भाजपा अध्यक्ष और अन्य नेता काफी समय से गुजरात में 150 सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं। लेकिन जमीनी हालात कुछ और ही कहानी कह रहे हैं। पिछले दिनों भाजपा के स्टार प्रचारक ही नहीं बल्कि खुद प्रधानमंत्री की रैली में भी अपेक्षित भीड़ नहीं जुट पा रही है। ऐसे में अमित शाह की टेंशन बढ़ना लाजमी है।
भाजपा को सबसे बड़ी टेंशन हार्दिक पटेल की रैलियों में जुट रही भीड़ से है। हार्दिक लगातार जनसभाएं कर रहे हैं, उनको अपार जनसमर्थन मिल रहा है। इसी वजह से भाजपा हाईकमान की टेंशन बढ़ रही है। भाजपा कार्यकर्ताओं पर भी गुजरात जीतने के लिए काफी प्रेशर है। अमित शाह उनसे कह चुके हैं कि ”सिर नहीं झुकना चाहिए” (पीएम नरेंद्र मोदी का)।
जाहिर है कि गुजरात की चुनावी राजनीति इस बार बीजेपी और कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है। प्रदेश के किसी भी कोने से ऐसी खबरे नहीं आती दिख रही है जहां ये कहा जाए कि बीजेपी जीत की तरफ बढ़ रही है। ऐसी ही हालत में बीजेपी बौखला कर वह सब कुछ करती दिख रही है जो अबसे पहले बीजेपी नहीं किया करती थी।

 

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