हिन्दू कार्ड बनाम जातीय कार्ड में उलझा गुजराती समाज

देखते देखते बीजेपी की दुदुम्भी देश के कोने कोने में बजने लगी और बीजेपी कांग्रेस को मात देते हुए 18 राज्यों में सरकार स्थापित करने में सफल हो गयी। कांग्रेस अपनी झूठ और लूट पर कोई मंथन करती तबतक सब कुछ लूट चुका था। अब राहुल गांधी की बारी है। राहुल गांधी की ताजपोशी होनी है। कांग्रेस अब राहुल के इशारों पर चलेगी। इसके बाद की राजनीति क्या होगी इसे देखना अभी बाकी है।

अखिलेश अखिल

आज से दो दशक पहले हिन्दू कार्ड के जरिये बीजेपी ने कांग्रेस को जमींदोज कर दिया था। चुनाव तो हर पांच साल पर होते रहे लेकिन गुजराती समाज को हिन्दू कार्ड से इतना प्रेम हो गया कि कांग्रेस हर चुनाव में मुँह की खाती रही। हारते हारते गुजरात कांग्रेस के दम फूलने लगे थे। बीजेपी की काट के सामने उसकी कोई भी रणनीति चल नहीं पा रही थी। हर चुनाव में कांग्रेस नेता बदलती रही लेकिन हर नेता हिन्दू कार्ड को भेद पाने में असफल हो जाता। इस तरह 22 बरस गुजर गए। कांग्रेस लगभग जमींदोज हो गयी ,रसातल की तरफ जाते दिखने लगी। फिर 2014 के लोक सभा चुनाव के बाद और पीएम मोदी की आक्रामक राजनीति से कांग्रेस और भी पस्त हो गयी। गुजरात की कौन बात करे देखते देखते बीजेपी की दुदुम्भी देश के कोने कोने में बजने लगी और बीजेपी कांग्रेस को मात देते हुए 18 राज्यों में सरकार स्थापित करने में सफल हो गयी। कांग्रेस अपनी झूठ और लूट पर कोई मंथन करती तबतक सब कुछ लूट चुका था।
अब राहुल गांधी की बारी है। राहुल गांधी की ताजपोशी होनी है। कांग्रेस अब राहुल के इशारों पर चलेगी। इसके बाद की राजनीति क्या होगी इसे देखना अभी बाकी है। चुकी राहुल कि राजनीति आगे क्या होगी उसकी बानगी राहुल गांधी गुजरात में देने उतरे हैं। राहुल गुजरात में चुनाव लड़ रहे हैं। हार होगी तो उनकी ,जीत होगी तो उनकी ही। राहुल को यह पता है। इसलिए राहुल के लिए गुजरात चुना डू एंड डाई वाली है। लेकिन राहुल को यहां सफलता मिलती हाथ लग रही है। जिस हिन्दू कार्ड के जरिये बीजेपी ने कांग्रेस को जमींदोज किया था ,राहुल गांधी जाति कार्ड से बीजेपी को पस्त किये हुए हैं। चुकी जाती कार्ड बीजेपी को नहीं पच पाती तो कांग्रेस को धार्मिक कार्ड खेलने नहीं आता। बीजेपी जाती कार्ड खेलने में कमजोर है तो वही जाति कार्ड कांग्रेस के लिए महाऔषधि के सामान है। इसका वह मास्टर ब्रेन है। अब राहुल ने हिन्दू कार्ड को जाती कार्ड से चुनौती दे रहे हैं। जनता भी असमंजस में है। एक तरफ धार्मिक कार्ड तो दूसरी तरफ जाति की हिफाजत। जाति बचे तो लाख उपाय। राहुल का तीर निशाने पर है। बीजेपी बौखला गयी लगती है। यही वजह है कि गुजरात की सियासी रणभूमि में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी लगातार फ्रंटफुट पर खेल रहे हैं।
गुजरात में राहुल ने जो भी अस्त्र अभी तक इस्तेमाल किए हैं सभी सटीक बैठे हैं। राहुल के तीर से बीजेपी जख्मी नजर आ रही है। गुजरात की जंग को कांग्रेस फतह करने में कामयाब रहती हैं, तो राहुल का रंग देश पर भी चढ़ेगा। राहुल गांधी ने गुजरात में वेंटिलेटर पर पड़ी कांग्रेस में जान डाल दी है। राहुल ने नवसृजन यात्रा के जरिए गुजरात में कांग्रेस में जोश भर दिया है। राहुल की अगुवाई में सोशल मीडिया से लेकर जमीन तक कांग्रेस कार्यकर्ता जोश से लबरेज हैं। पिछले 22 सालों में पहली बार गुजरात में कांग्रेस का ये नजारा है। कांग्रेस पूरे आत्म विश्वास से भरी हुई है और बीजेपी को टक्कर दे रही है। राहुल ने नवसजृन यात्रा के जरिए पाटीदार, आदिवासी, दलित, ओबीसी समेत सभी समुदाय के बीच पहुंचकर अपनी पकड़ को मजबूत बनाया है।
राहुल गांधी ने गुजरात में जाति आंदोलन से निकली त्रिमूर्ति अल्पेश, जिग्नेश और हार्दिक को गले लगाया है। ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर बकायदा कांग्रेस में शामिल हो गए हैं, तो वहीं पाटीदार नेता हार्दिक पटेल और दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने समर्थन का ऐलान किया है। तीनों युवा नेताओं की गुजरात में अपने समाज में अच्छी खासी पकड़ है। तीनों को गले लगाने से कांग्रेस को मजबूती मिलती नजर आ रही है। इन तीनों नेताओं के सामाजिक मतों को देखें तो करीब 70 फीसदी से ऊपर की हिस्सेदारी है। कांग्रेस के जातीय कार्ड से बीजेपी में बेचैनी बढ़ी है। नरेंद्र मोदी को गुजरात में कहना पड़ा कि जातिवाद के बहकावे में ना आए, जातिगत मुद्दों से देश के विकास में रुकावट आएगी।
राहुल ने नवसृजन यात्रा की शुरुआत सौराष्ट्र के द्वारकाधीश मंदिर में पूजा-अर्चना के साथ की। इसके बाद गुजरात में राहुल ने चारों यात्राओं के दौरान करीब दो दर्जन मंदिरों में दर्शन और माथा टेका। गुजरात में राहुल गले में भगवा दुपट्टा डाले और माथे पर तिलक लगाए नजर आ रहे हैं। राहुल के मंदिरों में माथा टेकने से बीजेपी बेचैन है और उनके मंदिरों में जाने पर भी सवाल उठा रही है। राहुल इसके जवाब में कहते हैं वे शिवभक्त हैं।
कांग्रेस गुजरात में टिकट बंटवारे में पूरा संतुलन बनाकर चल रही है। कांग्रेस ने अब 90 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। इनमें सभी समुदाय के लोगों का ध्यान रखा है. कांग्रेस ने 25 पटेल, 12 उम्मीदवार कोली, 12 ओबीसी और 7 दलित समुदाय से हैं।
कांग्रेस पिछले कुछ चुनाव में नरेंद्र मोदी पर निशाना साधकर अंजाम भुगत चुकी है। इसीलिए गुजरात के सियासी रण में कांग्रेस बड़ी सावधानी के साथ कदम बढ़ा रही और मोदी पर निजी हमले करने से बच रही है। कांग्रेस का मोदी पर हमला न करना, ये उनकी रणनीति का हिस्सा है। गुजरात में राहुल गांधी मुसलमानों से दूरी बनाकर चल रहे हैं। मुस्लिम बहुल इलाकों में होनी वाली कांग्रेस की रैलियों में राहुल के साथ संत महंत मंच पर नजर आते हैं। गुजरात का चुनाव बेहद रोचक मोड़ पर है। हिन्दू कार्ड और जाति कार्ड के बीच जंग जनता को लुभाती भी है और डराती भी।

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