‘मोदी फॉर्मूला ‘ के जरिये कांग्रेस के हसीन सपने

कहते हैं कि मेहसाणा बीजेपी का गढ़ रहा है और बीजेपी हमेशा इस इलाके से जीतते रही है। लेकिन अब मेहसाणा का मिजाज भी बदला बदला सा लग रहा है। मेहसाणा के युवा बीजेपी से शायद ऊब से गए हैं और बदलाव चाहते है। कांग्रेस ने मेहसाणा को काफी प्रभावित किया है। मेहसाणा राज्य के उपमुख्यमंत्री नीतिन पटेल का इलाका है लेकिन इस बार नितिन पटेल भी युवा मतदाताओं को प्रभावित नहीं कर पा रहे हैं।

अखिलेश अखिल

गुजरात चुनाव को लेकर संघ का आंतरिक सर्वे बीजेपी के लिए निराशाजनक है। गुजरात के कुछ इलाके में तो बीजेपी के से काफी आगे बढ़ती दिख रही है कांग्रेस। ऐसे ही इलाकों में मेहसाणा जिला भी है। कहते हैं कि मेहसाणा बीजेपी का गढ़ रहा है और बीजेपी हमेशा इस इलाके से जीतते रही है। लेकिन अब मेहसाणा का मिजाज भी बदला बदला सा लग रहा है। मेहसाणा के युवा बीजेपी से शायद ऊब से गए हैं और बदलाव चाहते है। कांग्रेस ने मेहसाणा को काफी प्रभावित किया है। मेहसाणा राज्य के उपमुख्यमंत्री नीतिन पटेल का इलाका है लेकिन इस बार नितिन पटेल भी युवा मतदाताओं को प्रभावित नहीं कर पा रहे हैं। मेहसाणा कितना बदला है इसकी बानगी राहुल गांधी के हालिया दौरे से पता चलता है। राहुल जब मेहसाणा पहुंचे तो उनसे मिलने के लिए सड़क पर ऐसी भीड़ जुटी जिसका अंदाज़ा कांग्रेस नेताओं को भी नहीं था। इस भीड़ को देखकर राहुल गांधी भी पूरे उत्साह में थे और कांग्रेस के कार्यकर्ता भी। मेहसाणा में उमड़े राहुल प्रेम को देखकर बीजेपी के लोग परेशान हो गए। मेहसाणा की पूरी रिपोर्ट अमित शाह ने पार्टी के जिलाअध्यक्ष से मांगी है। मेहसाणा के विधायकों की खिंचाई हुई है। संघ के नेता भी इससे चौंक गए थे। इसलिए संघ भी अपने स्तर पर मेहसाणा में बदले हालात की छानबीन कर रहा है। सबसे ज्यादा अचंभे की बात यह है कि जब राहुल का मेहसाणा के लोगों के बीच घिरे होने का वीडियो वायरल हुआ तो खुद प्रधानमंत्री के स्तर पर गुजरात के नेताओं से बातचीत हुई। प्रधानमंत्री कार्यालय के एक करीबी के मुताबिक हर स्तर पर प्रधानमंत्री गुजरात की ज़मीनी हकीकत जानना चाहते हैं। संघ से आई रिपोर्ट अच्छी नहीं है, लेकिन भाजपा के सांसद, मंत्री और प्रदेश पदाधिकारी ये मानने के लिए तैयार नहीं हैं कि उनका जनाधार खिसका है।
गुजरात में कई सालों के बाद कांग्रेस चुनाव लड़ती दिख रही है। कांग्रेस यहां हर दाव भिड़ा रही है। उत्तरप्रदेश वाला फॉर्मूला भी लागू कर रही है। कहा जा रहा है की गुजरात में राहुल गांधी ‘मोदी फॉर्मूला ‘लागू करना चाहते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जन्मभूमि गुजरात में राहुल गांधी का ‘मोदी फॉर्मूला’ भाजपा को चिंता में डालता दिख रहा है। चुनाव जीतने के लिए जो तरीका नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश में अपनाया था ठीक वैसा ही रास्ता राहुल गांधी ने गुजरात में पकड़ा है। दोनों राज्यों में कुछ समीकरण मिलते भी हैं। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि ‘भाजपा 14 साल तक उत्तर प्रदेश में सत्ता से दूर थी और कांग्रेस 22 साल से गुजरात में सरकार के बाहर बैठी है। उत्तर प्रदेश में भी भाजपा का संगठन कमजोर था और गुजरात में भी कांग्रेस का संगठन भाजपा की तुलना में कमजोर है। लेकिन मोदी ने वहाँ माहौल बनाकर चुनाव जीता और बड़े स्तर पर उसे सफलता भी मिली। असली खेल माहौल बनाने की है। हम भी माहौल बना रहे हैं और हम इसमें कामयाब भी होंगे। ‘ गुजरात के एक अन्य नेता बताते हैं कि ‘जब गुजरात चुनाव की शुरुआती बैठक हुई थी तब तक उत्तर प्रदेश के नतीजे आ चुके थे और महीनों पहले ही गुजरात के कांग्रेस नेताओं को कहा गया था कि गुजरात चुनाव माहौल बनाकर जीतेंगे। माहौल बनाने के लिए एक बड़ा हथियार कांग्रेस एकदम आखिर वक्त में चलाएगी। ’ जाहिर है कि कांग्रेस का माहौल राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाकर जनता के बीच एक साकारत्मक मैसेज देने का है। उसी माहौल के तहत राहुल गांधी की ताजपोशी पहले करने की तैयारी है।
अब यह तय हो चुका है कि बहुत जल्द राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष बनेंगे। माना जा रहा है कि राहुल गांधी को गुजरात चुनाव में मतदान से ठीक पहले ही अध्यक्ष बनाया जाएगा ताकि धमाका बड़ा हो। कांग्रेस के संगठन चुनाव से जुड़े नेताओं में यह बात फैली हुई है कि राहुल के खिलाफ कोई भी नेता पर्चा नहीं भरेगा। ऐसे में अध्यक्ष का चुनाव महज एक औपचारिकता रह जाएगी और निर्विरोध राहुल को अध्यक्ष बनाया जाएगा। कांग्रेस चाहती तो यह फैसला गुजरात चुनाव के नतीजे आने के एक-दो महीने बाद भी कर सकती थी। पार्टी के कुछ बुजुर्ग नेताओं की तो यही राय थी कि नरेंद्र मोदी के अपने राज्य में चुनाव है और राहुल गांधी को इतना बड़ा जोखिम नहीं उठाना चाहिए। लेकिन राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने चुनाव से पहले यह काम करने का मन बना लिया है। अगर सोनिया गांधी की तबीयत ठीक रही और दस जनपथ से किसी तरह का संदेश नहीं आया तो नौ दिसंबर से पहले ही राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बन सकते हैं।
अपने गुजरात दौरे में राहुल गांधी हर उस तरीके को अपना चुके हैं जो अब तक भाजपा नेता अपनाया करते थे। सुबह-सुबह मंदिर जाना, दोपहर में रैलियों में भाषण देना और शाम में सड़क पर निकल जाना, कभी चाय की दुकान पर बैठकर चाय की चुस्की लेना तो भजिया की दुकान पर भजिया खाना। भाजपा चाय पर चर्चा कर रही है तो कांग्रेस के पास काफी विद कांग्रेस कार्यक्रम है।
गुजरात में जनता का मिजाज बदल गया है। पटेल साफ़ तौर पर दो हिस्सों में बंट गए हैं। युवा पटेल हार्दिक के साथ है तो बूढ़े पटेल बीजेपी के साथ। कुछ इलाकों में तो पूरा पटेल समुदाय बीजेपी के खिलाफ खड़ा दिख रहे हैं। उधर ठाकोर के कांग्रेस में आने से पिछड़ा समुदाय कांग्रेस को बड़े स्तर पर मजबूती प्रदान कर रहे हैं। मुस्लिम और दलित कांग्रेस के साथ हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि ग्रामीण गुजरात कांग्रेस को बल प्रदान कर रहा है।

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