प्रिया एस टंडन
पूरा चंडीगढ़ इन दिनों गली क्रिकेट खेल रहा है। यूटी क्रिकेट एसोसिएशन (यूटीसीए) द्वारा आयोजित और एलेंजर्स, टाइनोर आदि द्वारा प्रायोजित गली क्रिकेट टूर्नामेंट के होर्डिंग्स पूरे शहर में लगे हुए हैं। इस टूर्नामेंट का उद्घाटन 26 जुलाई, 2024 को पंजाब के तत्कालीन राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक ने किया था जिसमें शामिल होने का मुझे सौभाग्य मिला।
गली क्रिकेट सीजन-1 का आयोजन पिछले वर्ष अप्रैल में हुआ था जिसमें 202 टीमों के 2,448 खिलाड़ियों ने भाग लिया था। सीजन-2 में लड़कों की 256 टीमों और लड़कियों की 46 टीमों के साथ कुल 3,624 बच्चे इस रोचक टूर्नामेंट में हिस्सा ले रहे हैं। यूटीसीए और चंडीगढ़ पुलिस इन बच्चों को खेलने के लिए तैयार करके महत्वपूर्ण काम कर रही है। गली के बच्चे अपने बनाए सहज नियमों के साथ खेलते हैं। जैसे, “मेरा बैट, मेरी बैटिंग, घेरे तक चौका, गेट के पार छक्का, बगल वाली आंटी की खिड़की टूटी तो तू गेम से बाहर…।” ऐसे बच्चों के लिए बहुप्रतीक्षित नीली पोशाक पहनने और असली स्टेडियम में खेलने का अवसर मिलना दिल को छू लेने वाला, रोमांचित कर देने वाला सपना सच होने जैसा है।
इस टूर्नामेंट में हिस्सा लेने वाली सभी टीमों को कपड़े, जूते, खेल किट जैसे प्रोत्साहन देकर यूटीसीए क्रिकेट को प्रोत्साहित कर रहा है। इस टूर्नामेंट में शामिल होने के लिए 14-18 आयु वर्ग के 12 खिलाड़ियों की कोई भी टीम अपने स्थानीय पुलिस बीट में रजिस्ट्रेशन करवा सकती है। चंडीगढ़ और इसके आसपास 10 मैदान और 4 स्टेडियम हैं जहां नॉक-आउट मैच आयोजित किए जा रहे हैं। इन मैचों में स्थानीय लोगों की भागीदारी बढ़ाने के लिए फ्लैश मॉब क्रिकेट कार्यक्रम किए जा रहे हैं। साथ ही, टूर्नामेंट को लोकप्रिय बनाने के लिए मनन वोहरा, काशवी गौतम जैसे क्रिकेटर इनमें हिस्सा ले रहे हैं।
गली-मोहल्लों के बच्चे जब भारतीय क्रिकेट टीम जैसी ‘नीली पोशाक’ पहनते हैं, तो वे खुद को तेंदुलकर या विराट कोहली के जैसा होना महसूस करते हैं। प्रत्येक खिलाड़ी के लिए राष्ट्रीय टीम में शामिल होना और खेलना संभव नहीं है, लेकिन यह खेल उन्हें निश्चित रूप से रोमांचित करता है और उनकी फिटनेस सुनिश्चित करता है। इस पहल का मकसद क्रिकेट को बढ़ावा देने के अलावा और भी बहुत कुछ है। चंडीगढ़ के समाज कल्याण विभाग का नशा मुक्ति अभियान टूर्नामेंट में हिस्सा लेने वाले सभी खिलाड़ियों को शपथ दिला रहा है कि वे कभी भी ड्रग्स नहीं लेंगे। गली क्रिकेट एंथम भी नशा मुक्ति को बढ़ावा देने वाला है- “मेरे लिए कभी कोई ड्रग्स नहीं, जिंदगी एक खूबसूरत खजाना है…।”
इस टूर्नामेंट में क्या केवल युवा ही मौज-मस्ती कर रहे हैं? जी नहीं, हाई प्रोफाइल टीमों के बीच भी प्रदर्शनी मैच आयोजित किए जा रहे हैं। जैसे, हाई कोर्ट जजों की टीम बार एसोसिएशन की टीम से हार गई। इस मैच का अंत रोमांचक रहा जिसमें वकीलों को आखिरी गेंद पर 1 रन की जरूरत थी और उन्होंने यह रन बना लिया। डीजीपी हरियाणा इलेवन ने डीजीपी पंजाब इलेवन के खिलाफ जीत हासिल की। इसी तरह, कलाकार इलेवन ने प्रेस इलेवन को हरा दिया।
हमारे देश में क्रिकेट एक धर्म की तरह है। यह जाति, समुदाय या लिंग से परे है। यह भाईचारे और देशभक्ति को बढ़ावा देता है। मानसून के दौरान चंडीगढ़ में क्रिकेट का बुखार चढ़ा हुआ है। यहां के गली-मोहल्लों के बच्चे ‘बल्ला घुमाओ, नशा भगाओ’ के नारे को साकार करते हुए यह खेल खेल रहे हैं। मनोरंजन के लिए खेलना और साथ में बुराइयों से छुटकारा पाना इस टूर्नामेंट का मकसद है क्योंकि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ दिमाग होता है।
यूटीसीए के गली क्रिकेट सीजन-1 को इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स द्वारा मान्यता दी गई थी। यूटीसीए के अध्यक्ष संजय टंडन का प्रयास इस बार टूर्नामेंट को एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज करवाने का है।