नई दिल्ली। हंसराज कॉलेज और दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र बृहस्पतिवार को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित श्री कैलाश सत्यार्थी की देश के सभी बच्चों को नि:शुल्क, सुरक्षित और शिक्षित बचपन उपलब्ध कराने की मांग के मार्च में शमिल हुए। इस मार्च को हंसराज कॉलेज ने कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन (केएससीएफ) के बैनर तले नॉर्थ कैम्पस में आयोजित किया। गौरतलब है कि सभी बच्चों को नि:शुल्क, सुरक्षित और शिक्षित बचपन उपलब्ध कराने की यह पहल श्री कैलाश सत्यार्थी द्वारा 2016 में शुरू किए गए ‘’100 मिलियन फॉर 100 मिलियन’’ अभियान का हिस्सा है।
उल्लेखनीय है कि ‘’100 मिलियन फॉर 100 मिलियन’’ अभियान की पहल के हिस्से के रूप में पांच महादेशों के युवा कार्यकर्ता 10 अक्टूबर से अगले 10 दिसंबर (मानवाधिकार दिवस) तक मार्च की मेजबानी कर रहे हैं और वे सभी बच्चों के लिए स्वतंत्रता, सुरक्षा और शिक्षा के अधिकारों की मांग कर रहे हैं। केएससीएफ के बैनल तले हंसराज कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय की यह पहल अमेरिका, घाना, पेरू, बेल्जियम, जर्मनी, ब्राजील जैसे देशों में युवा कार्यकर्ताओं द्वारा आयोजित कई जुलूसों में से एक है।
गौरतलब है कि इस अवसर पर हंसराज कॉलेज ने नॉर्थ कैम्पस में अगले दो वर्षों के लिए ‘’100 मिलियन फॉर 100 मिलियन’’ अभियान के लिए नोडल एजेंसी के रूप में काम करने की भी घोषणा की। कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. रमा ने कहा, “केसीएसएफ के इस मेगा इवेंट का हिस्सा बनने पर हमें फख्र है और शपथ लेते हैं कि आने वाले वर्षों में फाउंडेशन के साथ हम काम करेंगे।‘’ उन्होंने श्री सत्यार्थी के प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए कहा, ‘’आज हंसराज परिवार श्री कैलाश सत्यार्थी का कॉलेज परिसर में स्वागत करते हुए गर्व का अनुभव कर रहा है।”
मार्च में बच्चों की स्वतंत्रता, सुरक्षा और शिक्षा की जरूरत पर बल देते हुए सभी ने कानून प्रवर्तन एजेंसियों की जवाबदेही को भी सुनिश्चित करने की मांग की। श्री सत्यार्थी के नेतृत्व में आयोजित इस मार्च में एक ओर जहां दिल्ली विश्वविद्यालय के हजारों छात्रों ने भाग लिया, वहीं दूसरी ओर यह हंसराज कॉलेज के गेट से निकलकर दिल्ली विश्वविद्यालय के कला संकाय के विवेकानंद विवेकानंद प्रतिमा तक पहुंची।
कार्यक्रम की शुरुआत हंसराज कॉलेज के सभागार में ‘’द प्राइस ऑफ फ्री’’ के प्रदर्शन के साथ हुई। गौरतलब है कि ‘’द प्राइस ऑफ फ्री’’ नोबेल विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी द्वारा बाल दासता से मुक्त कराए गए बच्चों के लिए किए गए अथक संघर्ष को रेखांकित करने वाली डॉक्यूमेंट्री है। इसे कई अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है।
कार्यक्रम के बारे में बात करते हुए केएससीएफ के कार्यकारी निदेशक (कैम्पेन) श्री बिधान चंद्र सिंह ने कहा, “इस जागरुकता अभियान के जरिए हम समाज के कमजोर और वंचित तबकों के बच्चों को समय पर अधिकारों से महफूज करने तथा उन्हें न्याय दिलाने के बाबत अपने नेताओं और निर्णायकों का ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं।‘’ उन्होंने हमें याद दिलाया कि स्वतंत्रता, सुरक्षा और शिक्षा बुनियादी मानव अधिकार हैं और दुनिया में किसी भी बच्चे को इन विशेषाधिकारों से किसी भी हालत में वंचित नहीं किया जाना चाहिए।
इस अवसर पर श्री सत्यार्थी ने कॉलेज के उन छात्रों को सम्मानित भी किया, जो एनएसएस हंसराज की ‘पढ़ाकू’ की पहल के तहत कॉलेज परिसर के पास स्थित एक झुग्गी बस्ती के बच्चों के लिए कक्षाएं संचालित करते हैं। गौरतलब है कि ये कक्षाएं सप्ताह में 6 दिन दोपहर 3 बजे से शाम 5 बजे तक चलती हैं।
कॉलेज के पिंसिपल डॉ. रमा ने कहा, “एनएसएस हंसराज ने हमेशा शिक्षा के महत्व को समझा है और इस दिशा में बच्चों की शिक्षा की जरूरतों को पूरा करने वाली हमारी ‘पढ़ाकू‘ पहल के माध्यम से उसको पूरा भी किया है।” इस अवसर पर बच्चों के लिए नोबेल शांति पुरस्कार मिलने की पांचवीं वर्षगांठ पर श्री कैलाश सत्यार्थी को कॉलेज सभागार में डॉ. रमा द्वारा सम्मानित किया गया।