सब सुख लहै तुम्हारी सरना

शास्त्री सौरभ शर्मा

नई दिल्ली। “सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहू को डरना ॥“- हनुमान चालीसा
अर्थ– जो भी व्यक्ति आपकी शरण में आता हैं वह सुख प्राप्त करता है। प्रभु, जब आप ही रक्षक हो तो डर किस बात की।
और
“मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतम् शरणं प्रपद्ये।।“– रामरक्षास्तोत्रम्
अर्थ– जिनकी गति मन की तरह और वायु के समान वेग है, जो परम जितेंद्रिय और बुद्धिमानों में सबसे श्रेष्ठ हैं, उन वानरों में अग्रणी श्रीरामजी के दूत पवनपुत्र की मैं शरण लेता हूं। इस कलयुग में हनुमान जी की भक्ति से बढ़कर और कुछ नहीं है।
उपरोक्त पंक्तियों को पढ़कर ही बजरंगबली हनुमान जी की प्रभुता का भान हो जाता है। इनके शरण मात्र में जीवन के तमाम सुख सिमटे हुए हैं। अगर इनकी कृपा हमारे ऊपर हो तो फिर किसी का भय व्यक्ति को नहीं सताता। एेसे हनुमान जी जितेंद्रिय, बुद्धि में श्रेष्ठ, बल में श्रेष्ठ, वायुपुत्र, वानरों में अग्रणी और भगवान श्री राम के अत्यंत प्रिय है। इस कलियुग में श्री हनुमान जी को जागृत अवस्था वाला देव माना जाता है। मुसीबत के समय में इनके स्मरण मात्र से ही सारी मुश्किलें छू मंतर हो जाती है और आगे बढ़ने का नया रास्ता दिखाई देता है।

हनुमान जी की आरती

आरती किजे हनुमान लला की| दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
जाके बल से गिरवर काँपे | रोग दोष जाके निकट ना झाँके ॥
अंजनी पुत्र महा बलदाई| संतन के प्रभु सदा सहाई॥
दे वीरा रघुनाथ पठाए| लंका जाए सिया सुधी लाए॥
लंका सा कोट समुंद्र सी खाई| जात पवनसुत बार न लाई॥
लंका जाई असुर संहारे| सियाराम जी के काज सँवारे॥
लक्ष्मण मूर्छित पडे सकारे| लानि संजिवन प्राण उबारे॥
पैठि पताल तोरि जम कारे| अहिरावन की भुजा उखारे॥
बायें भुजा असुर दल मारे| दाहीने भुजा सब संत जन उबारे॥
सुर नर मुनि जन आरती उतारे| जै जै जै हनुमान उचारे॥
कचंन थाल कपूर लौ छाई| आरती करत अंजना माई॥
जो हनुमान जी की आरती गावे| बसहिं बैकुंठ परम पद पावें॥
लंका विध्वंश किए रघुराई| तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई॥
आरती किजे हनुमान लला की| दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥

शास्त्री सौरभ शर्मा,
गीता भवन मंदिर
बंगाली मार्केट (नई दिल्ली)
09818523434
09718523434

 

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