हर्बल गार्डन के बारे में आपने बहुत पढ़ा-सुना होगा। असल में हर्बल गार्डन एक प्रकार से बाॅटनिकल गार्डन का ही एक प्रकार है। यह हर्ब कई प्रकार के होते हैं, जैसे ऐरोमेटिक हर्ब, ओरनामेंटल हर्ब, मेडसिन हर्ब अैर क्यूलनेरी हर्ब। इन हब्र्स से कई बीमारियों में राहत मिलती है। आप चाहें तो अपना व्यक्तिगत हर्बल गार्डन बना सकती हैं। यह गमले से लेकर ओपन एरिया में लगाया जा सकता है। इसे लगाने के बाद इसकी देखभाल में आपको घंटों नहीं गुजारने पड़ते। कारण हर्बल होने की वजह से इसमें कीड़े लगने की संभावना कम से कम होती है। इसे लगाने का मुख्य उद्देश्य मेडिसनल प्लांट है ताकि बिना किसी अतिरिक्त खर्च व साइड इफेक्ट के छोटी-मोटी बीमारियों का इलाज गार्डन ऐरिया में लगे फूल-बीज व पत्त्यिों से हो जाएं। हरे-भरे पेड़-पौधें मन को तो सुकून पंहुचाते ही हैं, साथ ही साथ आस-पास के माहौल को भी प्रदूषण मूक्त रखते हैं। हर्बल गार्डन के जरिए वैसे पौधों का संरक्षण किया जाता है जिनकी तादात अब कम हो गई हैं। आजकल हर्बल पौधों से सौंदर्य समस्याओं का उपचार भी किया जा रहा है। जायके में इजाफे के लिए हर्बल पत्तियों का इस्तेमाल किया जाता है, जैसे करी पत्ता , पुदीना, धनिया आदि। उपयोग में आने वाले पौधे का उपयोग पत्ती, तना जड़ आदि को सुखाकर आसानी से स्टोर कर के सालों भर उपयोग किया जा सकता है।
जब तैयार करें हर्बल गार्डन
हर्बल गार्डन में अपनी जरूरतों के अनुरूप पौधों का चयन करें। इस तरह के गार्डन को बड़े पैमाने पर करने के अलावा छोटी क्यारी से लेकर कंटेनर, पाॅट व गमले में भी लगा सकते हैं। यदि आप दैनिक इस्तेमाल के हिसाब से हर्बल गार्डन लगाना चाहते हैं तो इसके लिए तुलसी, पुदीना, लेमन ग्रास, जिंजर ग्रास, रोजा ग्रास, ष्षतावरी, कालमेघ, स्टीविया, एलोवेरा जैसे पौधों का चुनाव करें। यदि आप इनडोर हर्बल गार्डन लगाना चाहते हैं तो इसके लिए दक्षिण या फिर पश्चिम की तरफ मुंह वाले खिड़की का चुनाव करें। विभिन्न प्रकार के हर्ब के पौधें को उनकी आवष्यकता के हिसाब से लाइट की जरूरत होती है। लेकिन सर्दी के दिनों में सभी को धूप की आवष्यकता होती है। इनडोर हर्ब में एनैउल प्लांट सही रहते हैं। बारहमासी हर्ब पौधें के लिए अच्छा होगा कि आप इन्हें गर्मियों में घर से बाहर रख दें।
हर्बल गार्डन की देखभाल
हर्बल गार्डेन में पौधों को लगाते समय इस बात का ध्यान रखें कि शेड लविंग प्लांट और नार्मल प्लांट एक ही कतार में न लग पाएं। मसलन स्टीविया एक शेड लविंग प्लांट है और यह शुगर की बीमारी में उपयोग होता है। वैसे पौधें जिन्हंे पानी की अधिक आवश्यकता होती है और वैसे पौधें जिन्हें पानी की कम आवश्कता होती है एक ही क्यारी में न लगाएं। जैसे-पूदीना। इससे कम पानी वाले पौधे गलने आरंभ हो जाएंगे। पौधें के ईद-गिर्द निकल आएं अतिरिक्त पौधें को निकाल देना चाहिए। खासकर शतावरी जैसे पौधें में। हर्ब पौधें को सुबह के वक्त तोड़ना चाहिए। एनैउल पौधों को नीचे की तरफ से तोड़ना चाहिए। बारहमासी पौधें को तना सहित तोड़ना चाहिए। इनडोर हर्बल पौधे को समय-समय पर उनकी आवष्यकनुसार रौेशनी, रिपाॅटिंग, कंटाई-छंटाई व मौसम के अनुसार आगे-पीछे करते रहना चाहिए। ऐसे पौधों को पाले व कुहासें से बचाना बहुत जरूरी होता है। अतः रात में कुहासा पड़ने से पहले इन्हें अंदर कर देना चाहिए।