भारत ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र फोरम में वन प्रबंधन की उपलब्धियों को प्रस्तुत किया

नई दिल्ली: 5 से 9 मई, 2025 तक न्यूयॉर्क में आयोजित वनों पर संयुक्त राष्ट्र फोरम (यूएनएफएफ-20) के 20वें सत्र में भारत ने वन संरक्षण और सतत वन प्रबंधन के क्षेत्र में अपनी प्रमुख उपलब्धियों को साझा किया। भारत ने संयुक्त राष्ट्र रणनीतिक वन योजना 2017–2030 के तहत स्वैच्छिक राष्ट्रीय योगदान (VNC) प्राप्त करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। भारत ने बताया कि नवीनतम भारत वन स्थिति रिपोर्ट के अनुसार देश का 25.17% भौगोलिक क्षेत्र अब वन और वृक्ष आवरण के अंतर्गत आता है। यह वृद्धि विभिन्न प्रमुख पहलों का परिणाम है, जिनमें शामिल हैं:

  • अरावली ग्रीन वॉल परियोजना के अंतर्गत भूमि पुनर्स्थापन

  • पिछले दस वर्षों में 7.86% की वृद्धि मैंग्रोव आवरण में

  • ग्रीन इंडिया मिशन के तहत 1.55 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में वनीकरण

  • ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के अंतर्गत 1.4 अरब पौधों का रोपण

भारत ने अन्य सदस्य देशों को अंतरराष्ट्रीय बिग कैट एलायंस (IBCA) में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया—यह एक वैश्विक मंच है जिसे भारत ने सात बड़ी बिल्ली प्रजातियों के संरक्षण के लिए अनुसंधान, ज्ञान साझा करने और क्षमता निर्माण के उद्देश्य से शुरू किया है।

भारत ने “क्षयग्रस्त वन परिदृश्यों को पुनः हराभरा करना: सतत वन प्रबंधन और जलवायु अनुकूलन हेतु भारत का दृष्टिकोण” विषय पर एक स्थल कार्यक्रम (साइड इवेंट) की भी मेज़बानी की, जिसमें नीतिगत नवाचार, सामुदायिक सहभागिता, संसाधनों का समन्वय और तकनीकी निगरानी के माध्यम से वनों के पुनर्स्थापन के अपने अनुभव साझा किए।

इसके अलावा, भारत ने “राष्ट्रीय नीति और रणनीति में वन पारिस्थितिकी तंत्र का मूल्यांकन” विषय पर एक उच्च स्तरीय पैनल चर्चा में भाग लिया। इसमें उत्तराखंड, राजस्थान और बाघ अभयारण्यों में किए गए पायलट अध्ययनों के निष्कर्ष साझा किए गए, जिनमें कार्बन पृथक्करण, जल आपूर्ति और जैव विविधता संरक्षण जैसी पारिस्थितिकी सेवाओं का मूल्यांकन किया गया।

भारत ने अक्टूबर 2023 में देहरादून में आयोजित अपनी देश-नेतृत्वित पहल (CLI) के निष्कर्षों को वैश्विक स्तर पर लागू करने का आह्वान भी किया, जिसमें वन अग्नि प्रबंधन और वन प्रमाणन पर ध्यान केंद्रित किया गया था। साथ ही, भारत ने कांगो, कोरिया और ऑस्ट्रिया के CLI प्रयासों की सराहना की और इन्हें औपचारिक वैश्विक ढांचे में शामिल करने की आवश्यकता पर बल दिया।

इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के वन महानिदेशक एवं विशेष सचिव श्री सुशील कुमार अवस्थी ने किया।

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