भारतीय भाषा के माध्यम से जुड सकते हैं 205 मिलियन नए इंटरनेट उपयोगकर्ता

नई दिल्ली। इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन आफ इंडिया ( आईएएमएआई ) व कैंटर आईएमआरबी द्वारा संयुक्त रूप से हाल ही प्रकाशित रिपोर्ट “इंटरनेट इन इंडीक 2017 “ के अनुसार 205 मिलियन संभावित इंटरनेट गैर उपयोगकर्ता डिजिटल हो सकते हैं यदि उन्हें इंटरनेट उनकी पसंद की भाषा में मुहैया कराया जाये। रिपोर्ट का अंदाजा है कि भारत के कुल 481 मिलियन इंटरनेट उपयोगकर्ताओं में से 335 मिलियन इंडीक में इंटरनेट के गैर विशिष्ट उपयोगकर्ता हैं, जिनमें 193 मिलियन शहरी भारत के गैर विशिष्ट उपयोगकर्ता हैं ( 58 प्रतिशत ) व 141 मिलियन ग्रामीण भारत के गैर विशिष्ट उपयोगकर्ता हैं ( 42 प्रतिशत )। गैर विशिष्ट का अर्थ है कि यह उपयोगकर्ता इंटरनेट का इस्तेमाल केवल इंडीक में ही नहीं करते; बल्कि उनके इस्तेमाल का एक छोटा हिस्सा ही इंडीक में होता है।
इस रिपोर्ट की खोज के अनुसार, इंडीक सामग्री की अपेक्षाकृत अधिक खपत ग्रामीण भारत में देखी जा सकती है ( 76 प्रतिशत ) जबकि शहरी भारत में 66 प्रतिशत से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ता इंडीक में इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। इंडीक सामग्री की खपत सामाजिक – आर्थिक तौर पर कमजोर खण्डों में अधिक है, जो इस तथ्य से जाहिर है कि शहरी व ग्रामीण भारत में सैक डी / ई में इंडीक सामग्री का उपभोग करने वाले लगभग 80 प्रतिशत उपयोगकर्ता हैं।सर्वे यह इंगित करता है कि शहरी भारत के 45 वर्ष से अधिक की आयु के 75 प्रतिशत उपयोगकर्ता व ग्रामीण भारत के 45 वर्ष से अधिक की आयु के 85 प्रतिशत उपयोगकर्ता इंडीक में इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं।
रिपोर्ट से यह भी पता लगता है कि शहरी भारत में इंडीक का इस्तेमाल मनोरंजन की विभिन्न शैलियों, जैसे संगीत / खबरों की वीडियो स्ट्रीमिंग व मनोरंजन की अन्य शैलियों तक सीमित है। औसतन, इंडीक में इंटरनेट के कुल इस्तेमाल का 70 प्रतिशत इन्हीं गतिविधियों तक सीमित है।

तुलना में, ऑनलाइन बैंकिंग, नौकरी की तलाश अथवा टिकट बुकिंग ( जो भारत में सर्वाधिक लोकप्रिय ई – वाणिज्य गतिविधि है ) जैसी महत्वपूर्ण सेवाओं का स्थानीय सामग्री उपभोग अत्यंत कम है ( 20 प्रतिशत से कम )। यहां तक कि किसी सर्च इंजन का इस्तेमाल, जो अधिकतर इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के लिए पहला पड़ाव होता है, इंडीक में केवल 39 प्रतिशत है।

आईएएमएआई के अनुसार, यह इंडीक में ऐसी महत्वपूर्ण इंटरनेट सेवाओं तक पहुंच की सीमाओं को दर्शाता है, जो इस कारण ग्रामीण भारत व आर्थिक तौर पर कमजोर खण्डों में इंटरनेट के प्रवेश को सीमित कर रही है।
सर्वे से यह भी खुलासा हुआ है कि इंडीक में इंटरनेट 23 प्रतिशत इंटरनेट के गैर उपयोगकर्ताओं के डिजिटल होने का मुख्य प्रेरक होगा। फलस्वरूप यह सुझाता है कि अनुमानित 205 मिलियन नए इंटरनेट उपयोगकर्ता ऑनलाइन आ जाएंगे यदि इंडीक में इंटरनेट सामग्री को भारत में बढ़ावा दिया जाया है। आईएएमएआई इस बात को रेखांकित करना चाहेगी कि इंडिक में इंटरनेट इंडिक में सामग्री तक सीमित नहीं है बल्कि यह वास्तव में समस्त डिजिटल परितंत्र से संबंधित है। आगे बढ़ते हुए, यूआरएल, डोमेन के नाम, की टैग, इंडैकिं्सग, आदि को इंडीक में बढ़ावा देना होगा ताकि समस्त डिजिटल इंटरफेस को उपयोगकर्ता के लिया आसान बनाया जा सके। वैश्विक तौर पर चीन ने इंटरनेट सामग्री के लिए मैंडरिन लिपि का इस्तेमाल कर इंटरनेट के उपयोगकर्ताओं की उच्चतम संख्या को पाने में सफलता हासिल की है, इतनी कि इंटरनेट पर अंग्रेजी के बाद चीनी सबसे अधिक लोकप्रिय भाषा है। तुलनात्मक तौर पर, इंडीक सामग्री वैश्विक इंटरनेट सामग्री की केवल 0.1 प्रतिशत से अधिक नहीं है। आईएएमएआई ने कहा कि डिजिटल इंडिया दृष्टि को साकार करने के लिए भारत को भी एक इंडिक इंटरनेट परितंत्र विकसित करना होगा जो इंडीक में और अधिक इंटरनेट सेवाओं के पेश किये जाने को सुलभ बनाएगा, इंटरनेट की स्वीकार्यता बढ़ाएगा व भारत के सामाजिक – आर्थिक तौर पर कमजोर खंड के डिजिटल सशक्तिकरण को सही मायनों में बढ़ावा देगा।

 

 

 

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