लखनउ। रोजगार के अवसर पैदा करने और औद्योगिक विकास की रफ्तार तेज करने के इरादे से उत्तर प्रदेश सरकार गुजरात की तर्ज पर मार्च में ग्लोबल निवेशक सम्मेलन का आयोजन करेगा। साथ ही राज्य सरकार जल्द ही स्टार्टअप्स के लिए भी नीति जारी करेगी। शासन प्रणाली में सुधार और पारदर्शिता लाने के लिए राज्य का सचिवालय ई-ऑफिस में तब्दील हो जाएगा। उद्योग सचिव अलोक सिन्हा ने कहा कि राज्य सरकार औद्योगिक विकास की रफ्तार बढ़ाने और निवेश आकर्षित करने के लिए अगले साल मार्च में एक ग्लोबल निवेशक सम्मेलन का आयोजन करने जा रही है। इसके अलावा राज्य सरकार युवा उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए जल्द ही नई स्टार्टअप्स नीति भी जारी करेगी। उन्होंने कहा कि नोएड-ग्रेटर नोएडा आइटी मैन्यूफैक्चरिंग हब के तौर पर उभर रहा है। योगी सरकार आने के बाद सैमसंग और ओपो जैसी कई दिग्गज कंपनियों ने आइटी सेक्टर में निवेश का एलान किया है।
दरअसल, यूपी को निवेश जुटाने की जरूरत इसलिए है कि क्योंकि देश के सभी राज्यों में कुल निवेश के जो प्रस्ताव आते हैं, उसमें यूपी की हिस्सेदारी पांच प्रतिशत भी नहीं है। दूसरा अहम तथ्य यह है कि यूपी में जो निवेश आता भी है वह गौतमबुद्धनगर तक ही सीमित रह जाता है जबकि पूर्वी यूपी और बुंदेलखंड जैसे पिछले क्षेत्र निवेश से वंचित रह जाते हैं। यही वजह है कि यूपी सरकार निवेश जुटाने के लिए कदम उठा रही है। प्रदेश के अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास प्रमुख सचिव आलोक सिन्हा ने अपने संक्षिप्त प्रस्तुतीकरण में उ.प्र. की विभिन्न क्षमताओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने खासतौर से उ.प्र. में परिवहन की समुचित व्यवस्था, औद्योगिक अवस्थापना, औद्योगिक कॉरीडोर और हाल में ही उ.प्र. सरकार द्वारा जारी की गयी औद्योगिक निवेश और रोजगार संवर्धन नीति के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी। राज्य सरकार द्वारा ईज ऑफ डूईंग बिजनेस हेतु उठाये गये विभिन्न कदमों की जानकारी देते हुए कहा कि उ.प्र. में देश के स्लीपिंग जाइंट के रूप में जाने जाने वाले उ.प्र. को जगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
पिछले 15 सालों में औद्योगिक विकास ने नाम पर निजी विकास को तरजीह दी जाती रही है। तब औद्योगिक विकास की योजना का मतलब था या तो उद्योग लगाने वाले का लाभ या उसे अनुमति देने वाले का लाभ। हमने तय किया है कि औद्योगिक विकास का मतलब राज्य के राजस्व और रोजगार में वृद्धि होना ही होगा। इसके लिए हमने एक नई औद्योगिक नीति बनाई है। यह औद्योगिक नीति अनेक राज्यों में लागू नीतियों और औद्योगिक समूहों की जरूरतों को देखकर बनाई गई है। हम कह सकते हैं कि उत्तर प्रदेश की नई औद्योगिक नीति देश में सबसे ज्यादा अच्छी औद्योगिक नीति साबित होगी। राज्य में नए उद्योग लगने के अनुकूल माहौल बन रहा है। कानून व्यवस्था की स्थिति बेहतर हो रही है। जीएसटी लागू हो जाने के बाद वे औद्योगिक घराने भी राज्य में निवेश को उत्सुक हैं जो कर प्रणाली के चलते दूसरे राज्यों में चले जाते थे।