जयराम ठाकुर के साथ साथ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और भाजपा के संसदीय बोर्ड के सदस्य जेपी नड्डा के नाम की भी चर्चा थी। पर अंत में विधायकों में से ही किसी को नेता चुनने की नीति पर चलते हुए पार्टी ने जयराम ठाकुर के नाम पर मुहर लगाई। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने फोन करके ठाकुर को नेता चुने जाने की बधाई दी। नेता चुने जाने के बाद ठाकुर ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ जाकर राज्यपाल से मुलाकात की और सरकार बनाने का दावा पेश किया। जयराम ठाकुर राजधानी के रिज मैदान में 27 दिसंबर को शपथ लेंगे।
अनंत अमित
हिमाचल प्रदेश में कभी कांग्रेस का गढ़ रहे मंडी में भाजपा का परचम लहराने वाले 52 साल के जयराम ठाकुर को भाजपा ने प्रदेश की कमान सौंपने का फैसला किया है। केंद्रीय पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में पार्टी के नए चुने विधायकों ने आम राय से जयराम ठाकुर को विधायक दल का नेता चुना। राज्य में मुख्यमंत्री पद के घोषित प्रत्याशी प्रेम कुमार धूमल के चुनाव हार जाने के बाद ठाकुर सीएम पद के सबसे प्रबल दावेदार के तौर पर उभरे थे।आखिरकार भारतीय जनता पार्टी ने हिमाचल प्रदेश में सर्वसम्मति से जयराम ठाकुर को सरकार की कमान सौंप दी। वहां के विधानसभा चुनाव में भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी प्रेम कुमार धूमल सहित कई वरिष्ठ नेताओं के चुनाव हार जाने के बाद सबकी नजरें इस बात पर टिकी थीं कि वहां का मुख्यमंत्री किसे बनाया जाता है। पर हरियाणा और उत्तर प्रदेश में जिस तरह अंतिम समय में भाजपा ने चौंकाने वाला फैसला किया, वैसा हिमाचल में नहीं किया। विधायक दल की सहमति से फैसला किया गया। जयराम ठाकुर की छवि एक बेदाग नेता की रही है। वे लंबे समय से प्रदेश में भाजपा की राजनीति करते रहे हैं। उन्होंने अपना राजनीतिक जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से होते हुए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और फिर भाजपा में शुरू किया था। 2009 से 2012 तक वे पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे और उस दौरान भाजपा ने हिमाचल में अपनी स्थिति काफी मजबूत की। वे धूमल सरकार में ग्रामीण विकास व पंचायती राज मंत्री भी रहे। इस तरह उनके प्रशासनिक और राजनीतिक अनुभव को लेकर पार्टी नेतृत्व को कोई असमंजस नहीं था। फिर संघ से जुड़ाव मुख्यमंत्री पद के लिए उनकी अतिरिक्त योग्यता थी। बड़ी बात यह कि उन्हें मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंप कर भाजपा ने एक बार फिर यह साबित किया है कि वह दूसरी कतार के नेताओं के लिए जगह बनाने को प्रतिबद्ध है।
जयराम हिमाचल प्रदेश में राजनीतिक तौर पर महत्वूपर्ण मंडी क्षेत्र के पहले नेता हैं, जो मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। वे मंडी की सेराज विधानसभा सीट से पांचवीं बार विधायक बने हैं। मंडी में विधानसभा की दस में से नौ सीटों पर भाजपा जीती है। इससे पहले आमतौर पर शिमला, कांगड़ा या सिरमौर के नेता मुख्यमंत्री होते थे। जयराम ने 1993 में अपना पहला चुनाव लड़ा था और हार गए थे। लेकिन उसके बाद से वे लगातार चुनाव जीत रहे हैं।
बहरहाल, पार्टी के जानकार सूत्रों के मुताबिक विधानसभा का चुनाव हारने के बाद भी धूमल एक दिन पहले शनिवार की रात तक दावेदारों की रेस में मजबूती से डटे थे, लेकिन बाद में उन्होंने अपने कदम पीछे खींच लिए। पार्टी विधायकों के एक धड़े ने पूर्व मुख्यमंत्री धूमल का समर्थन किया था। ठाकुर पहले प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष रह चुके हैं और धूमल की अगुवाई वाली राज्य सरकार में ग्रामीण विकास व पंचायती राज मंत्री भी रहे हैं। उनको राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, आरएसएस का करीबी समझा जाता है।
राज्य में नए मुख्यमंत्री का नाम तय करने के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए नरेंद्र सिंह तोमर और निर्मला सीतारमण के पहले दौरे में किसी नाम पर सहमति नहीं बन पाई थी। फिर उनको केंद्रीय नेतृत्व से मशविरा करने के लिए दिल्ली लौटना पड़ा था। बाद में केंद्रीय नेतृत्व के दखल देने पर जयराम ठाकुर के नाम पर फैसला हुआ। गौरतलब है कि भाजपा ने 68 सीटों में से 44 सीटों पर जीत दर्ज कर कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर दिया है।
इस विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बहुमत हासिल तो कर लिया, पर जिस तरह धूमल सहित उसके कई बड़े नेताओं को पराजय का मुंह देखना पड़ा, उसमें यह जरूरत लगातार रेखांकित होती रही है कि पार्टी की स्थिति मजबूत करने के लिए वहां साफ-सुथरी सरकार बहुत जरूरी है। वीरभद्र सिंह के कार्यकाल में लोगों में भ्रष्टाचार और जिन अव्यवस्थाओं को लेकर असंतोष था, उसमें सकारात्मक काम की उम्मीद की जा रही है। ऐसे में भाजपा के सामने किसी ऐसे नेता की जरूरत थी, जिसका जमीनी आधार हो और उसकी छवि बेदाग हो। हालांकि ठाकुर के अलावा जेपी नड्डा जैसे कुछ नामों को लेकर भी इस पद के लिए कयास लगाए जा रहे थे, पर उनमें से ठाकुर को चुन कर भाजपा ने उचित फैसला किया है।
जयराम ठाकुर मंडी के हैं। इस तरह वहां के लोग इस बात से प्रसन्न हैं कि पहली बार प्रदेश में मंडी से कोई मुख्यमंत्री बना है। पर जयराम ठाकुर के सामने जो चुनौतियां होंगी, उनमें मंडी इलाके की समस्याओं से मुक्ति दिलाने की भी होगी। पिछले कुछ सालों में हिमाचल के विभिन्न इलाकों में विकास के नाम पर चलाई गई परियोजनाओं की वजह से पर्यावरण को पहुंच रहे नुकसान को लेकर लोगों में आक्रोश देखा गया है। खनिजों की निकासी और सूक्ष्म पनबिजली परियोजनाओं के चलते अनेक इलाकों में पहाड़ों के खिसकने की घटनाएं बढ़ी हैं। खनिजों के लिए खुदाई से कई पहाड़ खोखले हो चुके हैं। इसमें मंडी इलाका भी काफी प्रभावित है। विकास परियोजनाओं और रोजगार के नए अवसर पैदा करने के नाम पर पर्यावरण की बिगड़ती हालत को संभालना ठाकुर के लिए बड़ी चुनौती होगी। हालांकि केंद्र सरकार का जोर विदेशी और निजी कंपनियों का निवेश बढ़ाने और औद्योगिक विस्तार पर अधिक है।