ज्यादा खींचो मत
कभी कभी ज्यादा खींचने से
टूट भी जाते हैं ।
रिश्ते फूल की तरह
बहुत नाजुक
संभाले रखो तो बेहतर
नहीं तो खुशबू की तरह
उड जाते हैं
हवा में।
रिश्तों को किसी कंजूस के पैसे की तरह
संभल संभल कर खर्च करना
मेरे मित्र
नहीं तो रिश्तों में
दीवालिया हो जाओगे
-कमलेश भारतीय
अच्छा है आप न्यूज हरपल में साहित्य को भी स्थान व महत्त्व दिया जाने लगा । आभार । मेरी कविता को स्थान देने के लिए ।