नई दिल्ली। भाजपा दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष श्री मनोज तिवारी ने कहा है कि अरविंद केजरीवाल सरकार जानबूझकर निजी अस्पतालों को लाभ पहुंचाने के लिये सरकारी अस्पतालों के मूलभूत ढांचे को, वहां उपलब्ध चिकित्सा टीमों को एवं दवाई उपलब्धता को कमजोर कर रही है। श्री तिवारी ने कहा है कि दिल्ली में 30 से अधिक बड़े सरकारी अस्पताल हैं। यूं तो शीला दीक्षित शासन में ही सरकारी अस्पतालों का पतन शुरू हो गया था पर इनमें से जी.बी. पंत एवं ट्राॅमा सेंटर जैसे अनेक अस्पताल अभी 4-5 वर्ष पूर्व तक रेफरल अस्पताल के रूप में देखे जाते थे पर 2013 में केजरीवाल सरकार के पहली बार आने के बाद देखते-देखते दिल्ली के सरकारी अस्पतालों का ढांचा पूरी तरह चरमरा गया है। केजरीवाल सरकार द्वारा अस्पतालों को पंगु बनाने का सबसे अधिक नुकसान समाज के आर्थिक रूप से अक्षम लोगों को हुआ है।
इसी का लाभ उठाकर केजरीवाल सरकार ने निजी अस्पतालों में लोगों के निःशुल्क इलाज की एक योजना बनाई पर उसे बनाते हुये कहीं यह स्पष्ट नहीं किया कि समाज के किस वर्ग को यह सुविधा दी जायेगी। सरकारी अस्पतालों में सुविधायें न मिलने पर निजी अस्पतालों में निःशुल्क इलाज की सुविधा देने का अरविंद केजरीवाल सरकार का प्रस्ताव केवल एक राजनीतिक छलावा है क्योंकि ऐसी योजनायें हमेशा वर्गीकृत तरीके से बनाई जाती हैं तभी उन्हें संविधानिक मान्यता मिलती है। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा है जिस तरह बिना प्रक्रिया को पूरा किये केजरीवाल सरकार निजी अस्पतालों में इलाज की योजना को लागू करना चाहती है, उसे देखकर ऐसा लगता है कि मंशा आम नागरिकों को निजी अस्पतालों का निःशुल्क इलाज देने की नहीं बल्कि पार्टी से जुड़े कार्यकर्ताओं एवं नेताओं को देने की है।