केजरीवाल सरकार और उपराज्यपाल के बीच नया टकराव

नई दिल्ली। दिल्ली में उपराज्यपाल और प्रदेश सरकार का मतभेद एक बार फिर उभर आया है. इस बार मुद्दा बनी है सरकारी सेवाओं को घर-घर तक पहुंचाने की सुविधा. दिल्ली सरकार ने जाति, जन्म और निवास प्रमाण पत्र के अलावा ड्राइविंग लाइसेंस जैसी 40 सरकारी सेवाओं को घर तक पहुंचाने यानी इनकी ‘डोर टू डोर स्टेप डिलीवरी’ का फैसला किया है. प्रस्ताव को मंजूरी के लिए उपराज्यपाल अनिल बैजल के पास भेजा गया था. लेकिन उन्होंने इसे नामंजूर कर दिया. उनका तर्क है कि डिजिटलीकरण तेजी से बढ़ रहा है और सरकार को सेवाएं देने के लिए इस माध्यम को अपनाना चाहिए.
दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने उपराज्यपाल के इस फैसले को जनविरोधी और सरकार के भ्रष्टाचार मुक्त शासन मुहैया कराने के प्रयास को बड़ा झटका कहा है. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार और राजनिवास के वैचारिक मतभेद का नकारात्मक असर दिल्ली की जनता पर पड़ रहा है. मनीष सिसोदिया का यह भी कहना था कि उपराज्यपाल को जमीनी हकीकत का अंदाजा नहीं है इसलिए प्रस्ताव को पुनर्विचार के लिए फिर उनके पास भेजा गया है.
दूसरी तरफ उपराज्यपाल कार्यालय ने स्पष्ट किया है कि प्रस्ताव को अस्वीकार नहीं किया गया है. उसके मुताबिक इससे महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा, दस्तावेजों के खोने या उनके गलत इस्तेमाल की आशंका को लेकर चिंता जताई गई है. कार्यालय के मुताबिक इस नए कदम से सरकार पर आर्थिक बोझ भी बढ़ेगा.

 

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