यदि जोड़ों के बीच की जगह पूरी तरह से खराब हो गई है, लेकिन अभी भी स्वस्थ स्नायुबंधन और बायोमैकेनिक्स वाले घुटने के एक से अधिक हिस्से को प्रभावित नहीं कर रही है, तो रोगी को घुटने का पूर्ण प्रतिस्थापन नहीं करवाना चाहिए। ऐसे मरीज घुटने की पुनर्रचना हेतु माइक्रोप्लास्टी या यूकेआर जैसे सीमित सर्जिकल विकल्प के लिए अधिक उपयुक्त होते हैं। यह प्रक्रिया भी घुटने के पूर्ण प्रतिस्थापन की तरह ही समय की कसौटी पर खरी उतरी है। यह घुटने के मूल जोड़ों और उसके बायोमेकैनिक्स को संरक्षित करती है लेकिन खराब हुई सतहों को बदलती है। यह एक बहुत ही स्वाभाविक परिणाम के साथ रोगी के अपने घुटने के जोड़ों को संरक्षित करती है। दीर्घकालिक परिणाम, महत्वपूर्ण हड्डी और नरम ऊतक के संरक्षित होने के साथ घुटने के पूर्ण प्रतिस्थापन के सामान ही होते हैं। व्यापक नुकसान होने से पहले इस तरह के विकल्प को लागू किया जाना चाहिए। किसी विशिष्ट मामले में इस तकनीक की व्यवहार्यता के तौर पर सही आँकलन एक अच्छी शल्य चिकित्सा तकनीक के जितनी ही महत्वपूर्ण है। इस शक्तिशाली उपकरण का दुरुपयोग रोकने के लिए विशेष प्रशिक्षण आवश्यक है। यूकेआर कम उम्र की महिलाओं में अंतिम चरण के गठिये का इलाज करने के लिए एक महत्वपूर्ण यंत्र प्रदान करता है।
डॉ. साइमन थॉमस ओर्थोपेडिक, संत परमानंद हॉस्पिटल सिविल लाइंस