केवाईएस ने शिक्षा बचाने के लिए डूटा-सत्याग्रह का किया समर्थन

 

नई दिल्ली। क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाईएस) ने पार्लियामेंट स्ट्रीट पर दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) द्वारा आयोजित सत्याग्रह में हिस्सेदारी निभाई। डूटा का यह प्रदर्शन, डीयू की छात्र-शिक्षक विरोधी नीतियों के खिलाफ और भाजपा सरकार की शिक्षा-विरोधी नीतियों के खिलाफ आयोजित किया गया था। विरोध के तौर पर डूटा द्वारा आयोजित सामूहिक भूख हड़ताल में केवाईएस के कार्यकर्त्ता दिनेश वर्मा और हरीश गौतम भी शामिल हुए। सामूहिक भूख हड़ताल द्वारा उठाये गये मुद्दो में उच्च शिक्षा में भाजपा सरकार की विनाशकारी नीतियों जैसे शैक्षणिक संस्थानों को पूरा अनुदान न देना, कॉलेजों को स्वायत्त बनाना, रैंकिंग के आधार पर बाँटना और अनुदान देना, शिक्षकों को स्थायी नौकरियाँ न देकर उन्हें ठेके पर पढ़ाने को मजबूर करना, आदि मुख्य मुद्दे थे।
ज्ञात हो कि सरकारी उच्च शिक्षण संस्थानों को पूरा अनुदान न देने के कारण फीस बढ़ोत्तरी के चलते उच्च शिक्षा तक पहुँचने वाले कुछ छात्र भी इससे बाहर हो जायेंगे। वहीं शिक्षकों को स्थायी नौकरी न देने से आवश्यक पद भी नहीं भरे जायेंगे और कम शिक्षकों से ही ज्यादा काम कराया जायेगा। इससे पहले से ही विषम शिक्षक-छात्र अनुपात और भी ज्यादा खराब होगा। साथ ही, शिक्षकों की स्थायी भर्ती भी न किये जाने से उनका शोषण हो रहा है। साथ ही, कुछ शिक्षण संस्थानों को स्वयत्ता बनाने और रैंकिंग के आधार पर उन्हें अनुदान देने के चलते केवल उच्चस्तरीय संस्थानों को ही अनुदान दिया जाएगा, जबकि जबकि देश के अन्य संस्थानों को शिक्षा की दुकानों में बदल दिया जाएगा, जिन्हें स्व वित्त-पोषित (सेल्फ-फाइनेंस) पाठ्यक्रम शुरू करके अपने संसाधन पैदा करने होंगे। इस तरह के मानदंड राजकीय और केन्द्रीय विश्विद्यालयों के बीच मौजूदा गैर-बराबरी को और भी बढ़ाएंगे। उच्च शिक्षा में पिछले सालों में छात्रों की संख्या में बढ़ोत्तरी के पीछे मुख्य कारण है कि ज्यादातर छात्रों को कॉरेस्पोंडेंस/पत्राचार कोर्सों में ढकेला जा रहा है। केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा मास ओपन आॅनलाइन कोर्स और महानगर-स्थित विश्वविद्यालयों में दूरस्थ शिक्षा विभाग खोलने के माध्यम से शिक्षा के अनौपचारिक माध्यम को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसका सीधा अर्थ यह है कि सरकार द्वारा अब नए कॉलेज या विश्वविद्यालय नहीं खोले जायेंगे और वंचित छात्रों को कॉरेस्पोंडेंस माध्यम से ही पढ़ाया जायेगा। उनकी गैर-बराबरी को दूर करने की जगह, सरकार उलटे शिक्षा से छात्रों को बहिष्कृत करने वाली नीतियाँ बना रही है। सार्वजनिक उच्च शिक्षा व्यवस्था को बचाने के लिए केवाईएस डूटा के सत्याग्रह का पूरा समर्थन करता है।

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