क्ष्मचित्रित पाण्डुलिपियों की ई सूची पंजिकाओं का लोकार्पण

नई दिल्ली। जैसा कि आप सभी जानते हैं कि पाण्डुलिपियाँ हमारी भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर हैं। जो भारतीय वैदिक ज्ञान-विज्ञान और अनेक दुर्लभ चमत्कारिक महाविद्याओं का अखण्ड भण्डार हैं। इन पाण्डुलिपियों में वेद (संहिता, ब्राह्मण, आरण्यक और उपनिषद्), वेदांग (शिक्षा, व्याकरण, छन्द, ज्योतिष, निरक्त और कल्प), आगम (तन्त्र मन्त्र यन्त्र), पुराण, इतिहास, दर्शन, ज्योतिष, वास्तु, शिल्प, कला, संगीत, आयुर्वेद आदि अनेक ज्ञान-विज्ञान के विषयों का समावेश है। जितने भी आज विज्ञान के आविष्कार दिखाई देते हैं। वे सभी इन वेद वेदांग और आगम शास्त्रों की देन है। ये वेद वेदांग और आगम आदि शास्त्र इन पाण्डुलिपियों में निहित हैं। इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के सन्दर्भ ग्रन्थालय में लगभग 3 हजार पाण्डुलिपियों की सूक्ष्मचित्रण प्रतियाँ संगृहीत हैं। इन पाण्डुलिपियों में सन्निहित ज्ञान-विज्ञान के प्रसार- प्रचार के लिए इनका सूचीकरण कार्य बड़ी तीव्रता और प्राथमिकता से किया जा रहा है। वेद (संहिता, ब्राह्मण, आरण्यक और उपनिषद्) 4 भागों में, वेदांग (शिक्षा, व्याकरण, छन्द, ज्योतिष, निरक्त और कल्प) 13 भागों में ई बुक के रूप में प्रकाशित हो चुका है। इसके बाद आगम (तन्त्र मन्त्र यन्त्र) 5 भागों में प्रकाशन के पश्चात् कल ई बुक के स्वरूप में लोकार्पण किया गया। इन आगम (तन्त्र मन्त्र यन्त्र) की पाण्डुलिपियों के 5 भागों में सृष्टि, प्रलय, देवतार्चन, सर्वसाधन, पुरश्चरण, षट्कर्म, (शांति, वशीकरण, स्तंभन, विद्वेषण, उच्चाटन तथा मारण) साधन तथा ध्यानयोग आदि विषयों का विशेष रूप से वर्णन किया गया है। कलियुग में प्राणी पवित्र तथा अपवित्र विचारों से हीन होते जा रहे हैं। इसलिए और इनके कल्याणार्थ महादेव ने आगमों का उपदेश पार्वती को स्वयं दिया। इसीलिए कलियुग में आगम की पूजापद्धति विशेष उपयोगी तथा लाभदायक मानी जाती है-कलौ आगमसम्मत:।

तन्त्र आगम साहित्य अत्यन्त समृद्ध एवं विशाल है। संख्या में कितने तान्त्रिक सम्प्रदाय उत्पन्न हुए और पश्चात् काल में कितने विलुप्त हुए यह कहना कठिन है। फिर भी तन्त्रों के तीन प्रमुख भेद प्राप्त होते हैं जो इस प्रकार हैं- ब्राह्मणतन्त्र, बौधतन्त्र तथा जैनतन्त्र। ब्राह्मणों के उपास्य देवताओं की भिन्नता के कारण इनका भी वैष्णवागम, शैवागम तथा शाक्तागम आदि के रूप में विभाजन किया है। जिनका स्वरूप इन पाण्डुलिपियों में मिल जायेगा।
इसी प्रकार तन्त्र ग्रन्थों में देवताओं की पूजन विधियों के अतिरिक्त सर्वजन कल्याणार्थ तथा विशेष मनःकामनाओं की पूर्ति के उद्देश्य से तत्तद् देवताओं के प्रसन्नार्थ जप, पाठ, पूजा पुरश्चरणादि तान्त्रिक प्रयोग विधियों का विधान बताया गया है। एतदर्थ अनेक देवि-देवताओं की शक्ति स्वरूप महाविद्याओं, स्तोत्रों, कवचों तथा ब्रह्मास्त्रादि अस्त्र शस्त्रों के प्रयोगों का भी विधान वर्णन किया गया है।

उपर्युक्त सर्वजन श्रेयस्कामना के उद्देश्य की प्रपूर्ति हेतु आगम-तन्त्र-मन्त्र-यन्त्र की पाण्डुलिपियों की सूची पञ्जिकाओं के प्रकाशन का कार्य विषय क्रम से किया गया है। इसी क्रम में आगे भी पुराण, इतिहास, दर्शन, ज्योतिष, वास्तु, शिल्प, कला, संगीत, आयुर्वेद आदि सभी विषयों के इन सूक्ष्मचित्रित पाण्डुलिपियों के सूचीपत्र ई बुक के रूप में यथाशीघ्र प्रकाशित किये जायेंगे। ये सूक्ष्मचित्रित पाण्डुलिपियों की सूची पञ्जिकाएँ सभी शोध अध्येताओं एवं जिज्ञासुओं के लिए सहायक एवं उपयोगी सिद्ध होंगी। ऐसी शुभकामना करता हूँ। यह कार्य कलानिधि विभाग के अध्यक्ष डॉ रमेश चंद्र गौड़ के दिशा निर्देशन मैं विभाग की टीम डॉ कीर्तिकान्त शर्मा , डॉ दीपराज गुप्ता , श्री ब एस राणा , में नवीन एवं मिस पौलमी के द्वारा किया जा रहा है उस के लिए ये सब विशेष बधाई के पात्र है। उनको शुभकामनाओं के साथ धन्यवाद। यह कार्य माननीय श्री राम बहादुर राय अध्यक्ष IGNCA ट्रस्ट एवं आदरणीय डॉ सच्चिदानन्दजोशी जी सदस्य सचिव IGNCA के मार्ग दर्शन मैं किया जा रहा है । उनको कोटि कोटि धन्यवाद ।

 

विषयानुसार विवरण पञ्जिकाएँ

1. वेद वॉल्यूम 1 पार्ट 1-4 एंट्रीज 14, 746

2. वेदाङ्ग वॉल्यूम 2 पार्ट 1-13 एंट्रीज़ 61, 240

3. आगम, तन्त्र, मन्त्र, यन्त्र वॉल्यूम 3 पार्ट 1-5 एंट्रीज 26, 242

4. दर्शन-जैन-गीता-भक्ति वॉल्यूम 4 पार्ट 1-7 एंट्रीज 38, 078 प्रगति पर है

Leave a Reply

Your email address will not be published.