पांचवीं बार मप्र को मिला कृषि कर्मण पुरस्कार

 

सीएम शिवराज ने स्वयं पीएम मोदी के हाथों ग्रहण किया यह पुरस्कार.  आगर मालवा, सिंगरौली और अलीराजपुर में कृषि विज्ञान केन्द्र का पीएम ने किया शिलान्यास.

सुशील देव

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मध्यप्रदेश को कृषि कर्मण पुरस्कार से नवाजा। वर्ष 2015-16 के लिए इस पुरस्कार राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने स्वयं उनके हाथों ग्रहण किया। शनिवार को कृषि उन्नत मेले में प्रधानमंत्री ने विभिन्न श्रेणियों के लिए कृषि कर्मण पुरस्कार वितरित कर रहे थे। इस अवसर पर मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन, प्रमुख सचिव कृषि डा. राजेश राजौरा, कृषि उत्पादन आयुक्त पीसी मीणा और कृषि संचालक मोहन लाल मीणा मौजूद थे। पुरस्कार में प्रशस्ति पत्र, ट्राफी और दो करोड़ रूपये की पुरस्कार राशि प्रदान की गई। पुरस्कार वितरण समारोह में केन्द्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह, राज्य मंत्री पुरोषत्तम रूपाला, गजेन्द्र शेखावत और श्रीमती कृष्णा राज मौजूद थे। मध्यप्रदेश को यह पुरस्कार दस लाख टन से अधिक गेहूं के उत्पादन के क्षेत्र में प्रदान किया गया।

गौरतलब है कि मध्यप्रदेश को लगातार पांचवीं बार कृषि कर्मण पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। सबसे पहले 2011-12, 2012-13, और 2014-15 में मध्यप्रदेश को कुल खाद्यान्न की श्रेणी में पुरस्कृत किया गया था, फिर वर्ष 2013-14 और वर्ष 2015-16 में गेहूं उत्पादन के क्षेत्र में कृषि कर्मण पुरस्कार दिया गया। इसके साथ ही सेन्ट्रल जोन के अंतर्गत मध्यप्रदेश के दतिया को पंडित दीनदयाल उपाध्याय कृषि विज्ञान प्रोत्साहन पुरस्कार से सम्मानित किया। यह पुरस्कार दतिया जिले में उन्नत खेती और समग्र विकास के लिए दिया गया। साथ ही मध्यप्रदेश के तीन जिले-आगर मालवा, सिंगरौली और अलीराजपुर में कृषि विज्ञान केन्द्र का शिलान्यास प्रधानमंत्री मोदी द्वारा रिमोट दबाकर किया गया। प्रगतिशील किसानों की श्रेणी में मध्यप्रदेश के दो किसान जिला होशंगाबाद के पन्नारी गांव की श्रीमती अरूणा जोशी को 104.60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर गेहूं उत्पादन के लिए और नरेश पटेल, जिला नरसिंहपुर के कनवास गाॅंव को 99.8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर गेहूं उत्पादन के लिए प्रधानमंत्री द्वारा पुरस्कृत किया गया।

मुख्यमंत्री ने बताया कि मध्यप्रदेश में विगत 14 वर्षों में किसानों के हित के लिए अनेक कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं जिनकी वजह से प्रदेश को निरन्तर पांच राष्ट्रीय कृषि कर्मण पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। प्रदेश में गेहूं के उत्पादन में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। वर्ष 2004-05 में गेहूं का उत्पादन 73.27 लाख मीट्रिक टन था जो वर्ष 2016-17 में 219.18 लाख मीट्रिक टन हो गया है। इसी तरह गेहूं की उत्पादकता जो वर्ष 2004-05 में 18.21 क्विंटल प्रति हेक्टेयर थी वह अब वर्ष 2016-17 में बढ़कर 34.13 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो गयी है। मघ्यप्रदेश ने गेहूं के उत्पादन क्षेत्र में अब पंजाब और हरियाणा को पीछे छोड़ दिया है। विगत पांच वर्षों से मध्यप्रदेश की कृषि विकास दर औसतन 18 प्रतिशत रही है जो कि पूरे देश में सर्वाधिक है। फसल उत्पादन के क्षेत्र में मध्यप्रदेश प्रथम स्थान पर है। इसी प्रकार सिंचित क्षेत्र में भी प्रदेश में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। जिसके फलस्वरूप वर्ष 2017-18 में वर्षा कम होने के बावजूद भी 112.11 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुआई की गयी। इसके अलावा मध्यप्रदेश सरकार ने कृषि की आय वर्ष 2022 तक दुगुनी करने के लिए रोडमैप तैयार किया है। जिसके अंतर्गत बीज प्रमाणीकरण, निशुल्क सोइल हेल्थ कार्ड का वितरण, 265 नई मिट्टी परीक्षण लैब का निर्माण, शून्य प्रतिशत पर ब्याज उपलब्ध कराना, फसल बीमा योजना से किसानों को जोड़ना, भावांतर भुगतान योजना और मुख्यमंत्री कृषि उत्पादकता योजना मुख्य हैं।

 

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