नई दिल्ली। मास्टरकार्ड ने आज मास्टरकार्ड इंडेक्स ऑफ वुमन एंट्रप्रेन्योर्स (एमआईडब्ल्यूई) के दूसरे संस्करण को जारी किया। यह इंडेक्स महिला एंट्रप्रेन्योर्स की उनके स्थानीय वातावरण में विभिन्न समर्थन स्थितियों के जरिये प्रदान किए जाने वाले अवसरों को भुनाने की क्षमता पर केंद्रित है। 57 देशों के इंडेक्स में भारत का स्थान 52वां है (पिछले वर्ष भी यही स्थान था), यह अमेरिका (चौथा स्थान) और चीन (29वां स्थान) से पीछे है।
परिणाम बताते हैं कि भारत में महिलाओं के व्यापार स्वामित्व/उद्यमिता के लिए अंतर्निहित स्थितियां उच्च इंडेक्स स्कोर वाले देशों की तुलना में कम अनुकूल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, सांस्कृतिक पूर्वाग्रह के कारण भारतीय महिला व्यापार मालिकों, नेताओं या पेशेवरों का झुकाव व्यवसाय स्वामित्व की ओर कम होता है। उनमें अपने व्यवसाय को बढ़ाने की संभावना भी कम है, चाहे वह स्थानीय हो या विदेशी, और लाभ न कमा पाने या वित्त के अभाव के कारण अन्य क्षेत्रों की तुलना में अपने व्यवसाय को बंद करने की प्रवृत्ति ज्यादा होती है।
मास्टरकार्ड इंडेक्स ऑफ वुमन एंट्रप्रेन्योर्स में भारत की स्थिति पर बोलते हुए मास्टरकार्ड की मार्केटिंग और कम्यूनिकेशंस उपाध्यक्ष मानसी नरसिम्हन ने कहा, “भारत जैसे बाजार, जो तुलनात्मक रूप से कम अमीर और विकसित होते हैं, वे महिलाओं की उद्यमियों के रूप में उन्नति के लिए कम सक्षम स्थिति प्रदान करते हैं। इंडेक्स आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर परिवर्तन को प्रेरित करने के लिए एक जानकारीपूर्ण मुखपत्र के रूप में, और महिलाओं को सफल व्यवसाय चलाने के लिए सशक्त बनाने और समृद्ध और अधिक संतुष्टिपूर्ण जीवन प्रदान करने के लिए कार्य करता है। इंडेक्स में शीर्ष स्थान वाले देशों जैसे अमेरिका और चीन से सीख लेते हुए भारत को एक ऐसे वातावरण को निर्मित करने की आवश्यकता है जहां कार्यबल में महिलाओं की अधिक भागीदारी हो और उनकी पहुंच तृतीयक (पोस्ट-सेकेंडरी) शिक्षा और वित्तीय सेवाओं तक हो।”
सभी 57 अर्थव्यवस्थाओं में से लगभग सभी में महिला उद्यमियों की प्रगति को एक या अधिक बाधाओं के जरिये रोका गया था। ये बाधाएं बड़े पैमाने पर लिंग पूर्वाग्रह की धारणा से उत्पन्न होती हैं, जो सामाजिक और सांस्कृतिक स्वीकृति, आत्मविश्वास में कमी और वित्त पोषण या उद्यम पूंजी तक पहुंच को कम करने में योगदान देती हैं। इंडेक्स को तैयार करने के लिए उपयोग किए गए तीन घटकों पर भारत का प्रदर्शन निम्न प्रकार है-
महिलाओं की प्रगति के परिणाम
महिलाओं की प्रगति के परिणामों के संबंध में भारत का 52वां स्थान है, यानि की कार्यबल प्रतिभागी, राजनीतिक और व्यापारिक नेताओं के रूप में महिलाओं के प्रति पूर्वाग्रह का स्तर, साथ ही साथ वित्तीय ताकत और महिलाओं का उद्यमिता की ओर झुकाव अमेरिका (8वां स्थान) और चीन (27वां स्थान) से से काफी पीछे है।
ज्ञान और वित्तीय संपत्तियां
महिला उद्यमियों के लिए ज्ञान संपत्ति और वित्तीय पहुंच के मामले में भारत का स्थान 55वां है। वहीं दूसरी ओर चीन (10वां स्थान) और संयुक्त राज्य अमेरिका (16वां स्थान) बुनियादी वित्तीय सेवाओं, महिलाओं के लिए उन्नत ज्ञान परिसंपत्तियों के लिए उच्च स्तर की पहुंच और छोटे और मध्यम उद्यमों को बेहतर समर्थन प्रदान करते हैं।
उद्यमशीलता परिस्थितियों का समर्थन
उद्यमशीलता परिस्थितियों के समर्थन के मामले में भारत का स्थान 47वां है, इस मामले में यह चीन (41वां स्थान) से ज्यादा पीछे नहीं है। हालांकि, जब स्थानीय स्तर पर व्यापार करने में आसानी एवं स्थानीय प्रशासन की गुणवत्ता पर समग्र धारणा, सुरक्षा स्तर पर महिलाओं की धारणा और महिलाओं की घरेलू वित्तीय प्रभाव की सांस्कृति धारणा की बात होती है तो संयुक्त राज्य (11वें स्थान) इन दोनों देशों से बहुत आगे है।
भारत कैसे उच्च महिला उद्यमशीलता को बढ़ा सकता है: तृतीयक (पोस्ट-सेकेंडरी) शिक्षा में महिलाओं का पंजीयन बढ़ाकर . महिला उद्यमियों के लिए व्यवसायिक ऋण जैसी वित्तीय सेवाओं तक पहुंच बढ़ाकर. देश में व्यवसाय करने को आसान बनाने को प्रोत्साहन देने के लिए व्यापार, कर और अन्य उपायों के लिए एकल खिड़की मंजूरियां देकर.
ओवरऑल इंडेक्स में न्यूजीलैंड है शीर्ष पर। कुल व्यापार मालिकों के प्रतिशत के रूप में महिला व्यापार स्वामियों के मामले में बांग्लादेश ने 18वां स्थान हासिल कर न केवल भारत (48वां स्थान) बल्कि संयुक्त राज्य (23वां स्थान) और चीन (33वां स्थान) के लिए भी अच्छा उदाहरण पेश किया है। यह दर्शाता है कि विकासशील बाजारों में महिलाओं को जरूरत से प्रेरित उद्यमियों के रूप में देखा जाता है, जो वित्तीय पूंजी की कमी और सेवाओं तक सक्षम पहुंच के अभाव के बावजूद जीवित रहने की आवश्यकता से प्रेरित हैं।