रिक्लेम्पसिया की स्क्रीनिंग एवं डायग्नोसिस के लिए नया टेस्ट लॉन्च 

नई दिल्ली। मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर ने प्रिक्लेम्प्टिक गर्भावस्था और गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप से संबंधित अन्य विकारों के बीच अंतर का पता करते हुए प्रिक्लेम्पसिया के निदान के लिए एक नया उपकरण एसएफएलटी-1/पीआईजीएफ रेशियो लॉन्च किया है। इसकी विशिष्टता इस तथ्य में निहित है कि, 95% विशिष्टता और 82% संवेदनशीलता के साथ इसकी प्रक्रिया स्पष्ट एवं भरोसेमंद परिणाम देने वाले बेहद सरल ब्लड टेस्ट की तरह है, जिसके माध्यम से मरीजों में संभावित जानलेवा परिस्थितियों की पहचान करने में मदद मिलेगी। ऐसा माना जाता है कि, एंजियोजेनिक कारकों के असंतुलन के कारण प्रिक्लेम्पसिया हो सकता है। ऐसा देखा गया है कि, एक एंटी-एंजियोजेनिक प्रोटीन (नए रक्त वाहिकाओं के विकास को रोकने वाला) एसएफएलटी-1-1 के उच्च सीरम स्तर, तथा एक प्रो-एंजियोजेनिक प्रोटीन (नए रक्त वाहिकाओं के विकास को बढ़ाने वाला) पीआईजीएफ के निम्न स्तर के कारण प्रिक्लेम्पसिया की संभावना हो सकती है।
इस नए टेस्ट के लॉन्च के अवसर पर मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर के संस्थापक एवं अध्यक्ष डॉ सुशील शाह ने कहा कि मेट्रोपोलिस को प्रिक्लेम्पसिया के निदान के लिए इस टेस्ट को लॉन्च करते हुए गर्व का अनुभव हो रहा है, और हमें पूरा विश्वास है कि इससे चिकित्सकों को तदनुसार अपने मरीजों का प्रबंधन करने में मदद मिलेगी। यह नया टेस्ट जानलेवा खतरे की संभावना वाली माताओं के जीवन को बचाने वाला साबित हो सकता है।
चर्चा को जारी रखते हुए क्लिनिकल कैमिस्ट्री विभाग के प्रमुख, डॉ. दीपक संघवी ने कहा कि केवल रोग संबंधी मानदंडों (रक्तचाप और प्रोटीनुरिया) के आधार पर प्रतिकूल परिणामों का पूवार्नुमान नहीं लगाया जा सकता है। प्रिक्लेम्पसिया के लिए इस टेस्ट की मदद से समय-पूर्व और सटीक डायग्नोसिस में मदद मिलेगी, जिससे नैदानिक प्रबंधन प्रभावी होगा और मां एवं बच्चों के लिए बेहतर परिणाम सामने आएंगे। हालांकि यह थोड़ा पेचीदा मालूम पड़ सकता है, लेकिन भारत के लोग पिछले कई दशकों से प्रिक्लेम्पसिया से परिचित हैं। डायग्नोस्टिक के बिल्कुल सटीक तरीके को विकसित करने की आवश्यकता ने डॉक्टरों को गर्भावस्था की शुरूआत से ही रक्तचाप पर निगरानी रखने के लिए प्रेरित किया है, ताकि गर्भावस्था में उच्च जोखिम की बारीकी से निगरानी सुनिश्चित की जा सके।
प्रिक्लेम्पसिया क्या है और इसकी शुरुआत कब होती है?
प्रिक्लेम्पसिया गर्भावस्था से जुड़ी एक जटिलता है जिसकी खासियत उच्च रक्तचाप है, और आमतौर पर इसका पता गर्भावस्था के 20 वें हफ्ते के बाद चल  पाता है।
इलाज नहीं किए जाने पर, प्रिक्लेम्पसिया के परिणामस्वरूप मां और बच्चे में जटिलताएं हो सकती हैं।
परंपरागत रूप से, अगर कम से कम चार घंटे के अंतराल में दो बार रक्तचाप 140/90 मिलीमीटर या इससे अधिक, हो तो इसे असामान्य माना जाता है।
इस बीमारी के अन्य लक्षणों में मूत्र में अतिरिक्त प्रोटीन का निर्वहन, सिर दर्द जो आम दर्द दवाओं से कम नहीं होते हैं, कम दिखाई पड़ना, अस्थाई तौर पर दिखाई नहीं देना, धुंधला दिखाई देना, मतली, उल्टी, लीवर के कामकाज में गड़बड़ी और सांस लेने में तकलीफ शामिल हैं।
एचईएलएलपी सिंड्रोम (हेमोलाइसिस, एलिवेटेड लिवर एंजाइम, कम प्लेटलेट्स): इस बीमारी के लक्षण वाली महिलाओं के 20% में गंभीर प्रिक्लेम्पसिया होता है।
एक्लेम्पसिया: बीमारी का अंतिम चरण, जो गंभीर दौरे और कोमा के साथ-साथ मस्तिष्क की चोट, सेरेब्रल एडीमा और स्ट्रोक से जुड़ा होता है।
 
 डॉ. दीपक संघवी

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