दिल्ली । दिल्ली और श्रीनगर के सैन्य अस्पताल एम्स के चिकित्सकों के एक अध्ययन के अनुसार माइग्रेन से छुटकारा पाने के लिए सर्जरी करवाना एक अच्छा विकल्प हो सकता। उनका यह दावा उन 30 मरीज़ो के अनुवर्ती परिणामों पर आधारित है जिन्होने सर्जरी द्वारा इस न्युरोवस्कुलर रोग का इलाज करवाया था। माइग्रेन 20 प्रतिशत वैश्विक आबादी को प्रभावित करता और इस रोग में सिर के एक तरफ तीव्र पीड़ा रहती है। परंपरागत रूप से चिकित्सक दर्द से राहत के लिए इस तरह के मरीजों के लिए दर्दनाशक दवाओं और स्टेराॅयड की सलाह देते हैं लेकिन इन दवाओं के दुष्प्रभावों से सभी वाकिफ हैं । यह अध्ययन दावा करता है कि 30 में से 14 मरीजो ने सर्जरी के एक वर्ष के बाद माइगे्रन के पूरी तरह समाप्त होने की जानकारी दी है वहीं प्रक्रिया के एक साल बाद 14 मरीजों कोे इस बीमारी के लक्षणों से काफी राहत मिली है। केवल दो रोगी सुधार देखने में विफल रहे।
श्रीनगर के सैन्य अस्पताल के डाॅ एन्सन जोस, जो अध्ययन के नेतृत्व में थे, ने बताया कि माइगे्रन की सर्जरी के लिए माथे या कनपटी की कुछ मांसपेशियों को निकालना शामिल है जो आसपास की नसो को दबाती है और दर्द के आक्रमण को सक्रिय करती है। विदेशों में माइग्रेन का सर्जिकल उपचार परिक्षण के आधार पर हुआ है पर भारत में कुछ ऐसे प्रयास किए जा चुके हैं। प्रोफेसर डाॅ अजेय चैधरी ने बताया, ‘‘जब रोगियो को ट्रिगर साइट पर बोटोक्स के इंजेक्शन लगाए जाते है तब उनकी पीड़ा की आवृत्ति और तीव्रता पहले से आधी हो जाती है। सर्जिकल तरीके से मांसपेशियों को निकालने से दीर्घकालीन राहत मिलती है।’’ हालांकि उन्होने यह भी कहा है कि सर्जरी सभी का समाधान नहीं है।