नई दिल्ली। दिल्ली में आम आदमी पार्टी के विधायक संजीव झा मैथिली और भोजपुरी भाषाओं के प्रचार-प्रसार और मान-सम्मान को बढ़ाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। दिल्ली सरकार के मैथिली भोजपुरी के उपाध्यक्ष तथा बुराड़ी के विधायक ने मैथिली को शास्त्रीय भाषा में शामिल कराने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भी पत्र लिखा था। केंद्रीय गृह मंत्री ने पत्र को अनुशंसित करके संस्कृति मंत्रालय को अग्रसारित कर दिया है।
इस संदर्भ में विधायक संजीव झा का कहना है कि 5 दिसंबर 2024, को मैंने माननीय गृह मंत्री श्री अमित शाह जी को पत्र लिखकर “मैथिली भाषा को शास्त्रीय भाषा की सूची में शामिल करने” का अनुरोध किया था। मुझे यह सूचित करते हुए प्रसन्नता है कि मेरे पत्र का उत्तर प्राप्त हुआ है। गृह मंत्री ने जानकारी दी है कि यह विषय संस्कृति मंत्रालय से संबंधित है, और इसलिए पत्र को संबंधित मंत्रालय को अग्रेषित किया जा रहा है। यह कदम मैथिली भाषा के प्रचार-प्रसार और इसे शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति है। मैं इस प्रक्रिया में अपना हरसंभव योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध हूं।
मैथिली भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिलाने के लिए माननीय विधायक @Sanjeev_aap जी का प्रयास सराहनीय है।हम सभी मैथिल उनके इस प्रयास के साथ है।
मैथिलीपूत के इस प्रयास के लिए हम सभी गौरवान्वित है, उन्हें शुभकामना भी देते है कि इस तरह के प्रयास अनवरत करते रहे। pic.twitter.com/f2jMwG0fRe— Dr.Prabhanjan Kumar Jha (@PrabhanjanJha_) December 28, 2024
दरअसल, बुराड़ी के विधायक संजीव झा वह मैथिली की सांस्कृतिक महत्व को भी उजागर कर रहे हैं। विधायक ने कई मौकों पर कहा है कि मैथिली और भोजपुरी केवल भाषाएं नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, परंपरा और पहचान का हिस्सा हैं। संजील झा के नेतृत्व में दिल्ली और बिहार में कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है, जिनमें मैथिली और भोजपुरी के गीत-संगीत, नाटक और अन्य कला रूपों को बढ़ावा दिया गया। उन्होंने स्थानीय कलाकारों को मंच प्रदान कर उनकी प्रतिभा को निखारने का भी काम किया है।
हाल ही में उन्होंने दिल्ली विधानसभा में मैथिली और भोजपुरी भाषाओं के लिए अलग से संस्थान खोलने और इनकी पढ़ाई को स्कूलों और कॉलेजों में अनिवार्य करने की मांग की। उन्होंने कहा, “भाषाओं का संरक्षण तभी संभव है जब हम नई पीढ़ी को उनके महत्व से जोड़ सकें।“ संजीव झा का यह प्रयास मैथिली और भोजपुरी भाषी समुदाय के लिए एक नई उम्मीद लेकर आया है। उनके कार्यों की सराहना न केवल उनके निर्वाचन क्षेत्र में, बल्कि पूरे बिहार और उत्तर भारत में हो रही है।