ऐतिहासिक विमुद्रीकरण : विकास और रोजगार की तरफ एक कदम

बिपिन प्रीत सिंह, संस्थापक – मोबिक्विक

किसी भी राष्ट्र के इतिहास में एक वर्ष की अवधि बहुत ही कम होती है. लेकिन हर राष्ट्र में एक ऐसा पल आता है जो ऐतिहासिक बन जाता और उस देश का भाग्य बदल देता है. 8 नवंबर, 2016 का दिन ऐसा ही एक पल था जब नरेन्द्र मोदी की सरकार ने यह घोषित किया था कि रु 500 और रु 1000 के नोट बंद किए जाएंगे, जिससे काले धन पर गहरा वार होगा और देश में वित्तीय लेनदेन में पारदर्शिता बढ़ेगी.

विमुद्रीकरण का निर्णय डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए प्रभावशाली साबित हुआ जिससे भारतीयों की सोच व आदत में बदलाव आया है. राजनीतिक बहस के बावजूद यह निर्णय देश में एक डिजिटल क्रांति लेकर आया है, जिसने फिनटेक प्लेयर व पेटीएम और मोबिक्विक जैसी डिजिटल वॉलेट संस्था को कई अकल्पनीय अवसर प्रदान किए हैं.
वॉलेट भुगतान को सर्वव्यापी बनाने और सुविधा की पेशकश के अलावा, जनसांख्यिकी लाभ हासिल करने के लिए – डिजिटल अर्थव्यवस्था रोजगार के भी पर्याप्त अवसर प्रदान करती है.
अगर मौजूदा आर्थिक परफॉर्मेंस सामान्य मानसून और सरकारी भुगतान में वृद्धि के चलते उपभोग के योगदान पर आधारित होती है- तो यह अनुमान लगाया जा सकता है कि आने वाले समय की अगली वृद्धि की लहर युवा और शिक्षित कर्मचारियों की बढ़ती जनसंख्या के सहयोग से हासिल होगी.
भारत में लगभग 1.3 बिलियन लोगों की आयु 26 वर्ष से कम है जो इसे दुनिया के सबसे युवा देशों में से एक बनाती है. यानि वस्तु और सेवाओं के लिए खरीदारों की संख्या बढ़ रही है. वहीं दूसरी ओर भारत सॉफ्टवेयर सॉल्यूशन का वैश्विक लीडर है, जिसका अर्थ है कि हमारे पास डिजिटल अर्थव्यवस्था का समर्थन करने के लिए मूलभूत सुविधाएं पहले से ही मौजूद हैं.
अगर डिजिटल अर्थव्यवस्था इस सामाजिक-आर्थिक स्थिति के नए उभरते अवसरों से जुड़ जाए तो बहुत सी संभावनाएं सामने आ जाएंगी. विमुद्रीकरण से देश में वॉलेट उद्योग के लिए नए रास्ते खुले हैं. पिछले एक साल में इन उद्योगों में 55% तक की वृद्धि हुई है और यहां तक कि 2.50 लाख तक रोजगार के नए अवसर सामने आए हैं. उज्जवल भविष्य का निर्माण करने के लिए भारत को डिजिटल अर्थव्यवस्था द्वारा लाए गए नए रोजगार अवसरों का लाभ उठाना होगा, जिसके लिए विमुद्रीकरण ने एक बेहतरीन प्लेटफॉर्म प्रदान किया है.
डिजिटाइजेशन के लाभ के लिए ग्राहकों और व्यापारियों को प्रोत्साहित करते हुए सेवा प्रदाता, डेटा एनालिस्ट, और ग्राहक सुरक्षा व शिकायत निवारण विशेषज्ञों की आवश्यकता बढ़ेगी. एग्रीगेटर, पेमेंट गेटवे और ग्राहक प्रबंधन जैसी सेवाएं प्रदान करने के लिए कई विशिष्ट और नए सेवा प्रदाता भी उभरकर सामने आए हैं.
यहां कृषि जैसे पारंपरिक क्षेत्रों को भी आगे लाने की आवश्कता है जो कि इंटरनेट ऑफ थिंग्स से अधिक बेहतर बनाए जा सकते है. इसके लिए नीचे से ऊपर के दृष्टिकोण अपनाते हुए कुछ महत्वपूर्ण प्रयास करने होंगे, जिनमें अनुसंधानों में निवेश और टेक्नोलॉजी के विकास जैसे उपाय शामिल हैं. सेवा प्रदाताओं को विभिन्न कंज्यूमर सेगमेंट के लिए अपने आप को भी कस्टमाइज करना होगा.
ग्राहकों की निजी जानकारी के डेटा की सुरक्षा के लिए डिजिटल सिक्योरिटी के बारे में भी हमें नए सिरे से सोचना होगा. विमुद्रीकरण एक जबर्दस्त बदलाव है जिसका अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में मौजूदा नौकरियों पर महत्वपूर्ण प्रभाव तो हुआ ही है, साथ ही यह नई नौकरियां लाने का एक ऐसा अवसर है जिसे हाथ से जाने नहीं दिया जा सकता.
आखिरकार, राजनीति तभी अच्छी और यादगार मानी जाएगी, जब वह आर्थिक उन्नति लाएगी.

 

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