आप के और 17 विधायकों पर खतरा ?

आम आदमी पार्टी के 27 विधायकों पर ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का एक और मामला चल रहा था. इनमें से 10 की विधायकी अभी-अभी गई है. क्या जल्द ही आम आदमी पार्टी के 17 और विधायकों की सदस्यता भी जाने वाली है?

नई दिल्ली। दिल्ली में केजरीवाल सरकार को इस साल एक बार नहीं बल्कि दो बार भी चुनाव लड़ना पड़ सकता है. पहली बार विधानसभा की 20 सीटों पर और दूसरी बार 17 पर. सुनी-सुनाई है कि आम आदमी पार्टी के 17 और विधायकों की विधायकी खतरे में है. इनका मामला भी चुनाव आयोग पहुंच चुका है. इस पर अब नए मुख्य चुनाव आयुक्त ओम प्रकाश रावत को सुनवाई करनी है.
अरविंद केजरीवाल यह कहते सुने गए कि ऊपर वाले ने कुछ सोच-समझकर ही उन्हें 67 सीटें दी थीं, इसलिए 20 विधायकों की सदस्यता जाने के बाद भी उनकी सरकार को खतरा नहीं है. लेकिन अगला झटका इससे भी बड़ा हो सकता है. आम आदमी पार्टी के 27 विधायकों पर ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का एक और मामला चल रहा था. इनमें से 10 की विधायकी अभी-अभी गई है. यानी आप के 17 और विधायकों पर पूर्व विधायक होने का खतरा मंडरा रहा है.
यह पूरा मामला आम आदमी पार्टी सरकार के वक्त बनाई गई रोगी कल्याण समिति के अध्यक्ष पद का है. इसे आम आदमी पार्टी मोहल्ला क्लीनिक सभा भी कहती है. इनके अध्यक्ष पदों पर आम आदमी पार्टी के विधायक काबिज हैं. इन 17 विधायकों के बारे में चुनाव आयोग ने केंद्रीय कानून मंत्रालय से कानूनी सलाह मांगी है. विधायकों को चुनाव आयोग की तरफ से नोटिस भेजा जा चुका है.
दिल्ली सरकार की रोगी कल्याण समिति के खिलाफ वकालत की पढ़ाई कर रहे विभोर आनंद ने राष्ट्रपति को शिकायत भेजी थी. विभोर ने इसमें आरोप लगाया थी कि दिल्ली के वे 27 विधायक जो इस समिति के अध्यक्ष हैं, लाभ के पद पर आसीन है. इसके बाद राष्ट्रपति ने यह मामला चुनाव आयोग के पास भेज दिया.
अगर देखें तो यह केस भी लगभग उस मामले जैसा ही है जिसमें आप के 20 विधायकों की सदस्यता हाल ही में गई है. पिछले मामले में प्रशांत पटेल नाम के एक शख्स ने अरविंद आप के 20 विधायकों को संसदीय सचिव बनाने के खिलाफ राष्ट्रपति को याचिका भेजी थी और अब विभोर आनंद ने ऐसा किया है. विभोर का कहना है कि रोगी कल्याण समिति का अध्यक्ष रहते हुए इन विधायकों के पास मोहल्ला क्लीनिक में डॉक्टरों और कर्मचारियों की भर्ती, दो लाख तक के खर्च की अनुमति और सरकारी अस्पताल में उन्हें किराए की दुकान देने का अधिकार है इसलिए यह लाभ का पद है. उधर दिल्ली सरकार का दावा है कि सरकार की बनाई किसी भी सोसाइटी के अध्यक्ष का पद लाभ के पद के दायरे से बाहर होता है.
दिल्ली में 20 विधायकों की सदस्यता खत्म होने के बाद अब उसमें सिर्फ 50 सदस्य ही रह गए हैं. इनमें से 46 आम आदमी पार्टी के हैं. दिल्ली में 20 सीटों पर चुनाव होना तय है और सूत्रों से सुनी-सुनाई खबर यह है कि अगर 20 सीटों के परिणाम आम आदमी पार्टी के खिलाफ गए तो दिल्ली में एक और मिनी चुनाव हो सकता है. यह मिनी चुनाव उन 17 सीटों पर होगा जिसका जिक्र ऊपर किया गया है.
आम आदमी पार्टी के एक बड़े नेता के करीबी बताते हैं कि अरविंद केजरीवाल अब हर कदम फूंक-फूंककर रख रहे हैं. पार्टी मानकर चल रही है कि 20 विधायकों की सदस्यता जा चुकी है और हो सकता है कि उसके 17 और विधायकों के साथ भी ऐसा ही हो. इसलिए अगले उपचुनाव में केजरीवाल का काम और सांत्वना लहर पैदा कर उसे जीतने की कोशिश होगी. दिल्ली की सियासत अगले कुछ महीनों में कई नए रंग और तेवर दिखा सकती है.

जिन विधानसभा सदस्यों पर खतरा मंडरा रहा है

जगदीप सिंह, हरी नगर
एस के बग्गा, कृष्णा नगर
जितेंद्र सिंह तोमर, त्रीनगर
बन्दना कुमारी, शालीमार बाग
अजेश यादव, बादली
कमांडो सुरेंद्र सिंह, दिल्ली कैंट
राम निवास गोयल, शाहदरा
विशेष रवि, करोल बाग
नितिन त्यागी, लक्ष्मी नगर
वेद प्रकाश, बवाना
सोमनाथ भारती, मालवीय नगर
पंकज पुष्कर, तिमारपुर
राजेंद्र पाल गौतम, सीमापुरी
हज़ारी लाल चौहान, पटेल नगर
महेंद्र गोयल, रिठाला
राखी बिड़लान, मंगोलपुरी
मोहम्मद इशराक, सीलमपुर

 

(साभार: सत्याग्रह)

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