‘वीर नारियों‘ को सशक्त बना रही है मदर्स रेसिपी

शहीदों के परिवारों के लिए धनराशि मुहैया कराने के वास्ते शुरू किया ’ट्रिब्यूट टू आवर मदरलैंड‘ कैम्पेन। विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर हैशटैग #TributeToOurMotherland के जरिए कैम्पेन को किया जा रहा है प्रचारित।

नई दिल्ली। हमारे बहादुर सिपाहियों का समर्पण और निस्वार्थ सेवा भावना देश के लिए गर्व का विषय है। भारत के इन वीर सिपाहियों को श्रद्धांजलि देने के लिए जाने माने अभिनेता अक्षय कुमार ने गृह मंत्रालय, भारत सरकार के साथ मिलकर आॅनलाइन कैम्पेन ’भारत के वीर‘ शुरू किया है और इसके जरिए जनता से शहीदों के परिवारों के लिए धनराशि उपलब्ध कराने का आह्वान किया। इससे प्रेरणा पाकर अब कार्पोरेट घराने भी अपने-अपने स्तर पर देश के इन गुमनाम शहीदों और उनके परिवारों की मदद के लिए आगे आ रहे हैं। एफएमसीजी ब्रांड मदर्स रेसिपी ने इस मकसद से ’ट्रिब्यूट टू मदरलैंड‘ #TributeToOurMotherland कैम्पेन शुरू किया है। इस पहल के तहत्, कंपनी मदर्स रेसिपी की प्रत्येक 500 ग्राम पिकल बाॅटल की बिक्री पर 3.00 रु का योगदान करेगी। यह चुनींदा रेंज देशभर में सभी कैंटीन स्टोर्स डिपार्टमेंट (सीएसडी) पर केवल जनवरी 2018 के दौरान ही उपलब्ध रहेगी।
इसके लिए अधिकाधिक लोगों तक पहुंच बनाने के मकसद से मदर्स रेसिपी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर हैशटैग #TributeToOurMotherland की मदद से भी अभियान को प्रचारित करने का फैसला किया है। कैम्पेन से संबंधित हर कमेंट, लाइक, शेयर, ट्वीट/रीट्वीट के बदले भी एक निश्चित रकम इसी प्रयास के लिए उपलब्ध करायी जाएगी। यह पहल डिजिटल प्लेटफार्मों पर शुरू हो चुकी है और 5 लाख से अधिक लोगों तक पहुंच बना चुकी है तथा 75,000 से अधिक प्रतिक्रियाएं और 2000 से ज्यादा बार इसे शेयर किया जा चुका है।
यह पूरा अभियान, आॅनलाइन तथा आॅफलाइन स्तर पर चलाया जाएगा और इकट्ठी होने वाली धनराशि को गणतंत्र दिवस के मौके पर आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएषन (एडब्ल्यूडब्ल्यूए) को सौंपा जाएगा। इस तरह, एकत्र हुई राशि को युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की विधवाओं और उनके परिजनों को दिया जाएगा। इस बारे में सुश्री संजना देसाई, बिज़नेस डेवलपमेंट प्रमुख, देसाई ब्रदर्स लिमिटेड (फूड डिवीज़न – मदर्स रेसिपी) ने कहा कि ’युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की विधवाओं के लिए युद्ध की विभिषिका आगे लंबे समय तक जारी रहती है, यहां तक कि तब भी जबकि आम जनता की स्मृतियों से उसका लोप हो चुका होता है। यह यकीन करना भी मुश्किल है कि भारत में ऐसी विधवाओं की संख्या दुनिया में सर्वाधिक है। इन औरतों का संघर्ष सिर्फ इतने तक ही सीमित नहीं होता कि उनके पति अब दुनिया में नहीं हैं बल्कि उन्हें अपने पतियों की भूमिका में उतरकर उनके परिवारों को भी पालने-पोसने की जिम्मेदारी निभानी होती है। हम अपने अभियान के जरिए, देश की इन वीर नारियों के लिए बेहतर जिंदगी की नई उम्मीद जगाना चाहते हैं।

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