नई दिल्ली। दिल्ली प्रदेश पूर्वांचल मोर्चा भाजपा के मंत्री नंद किशोर चैधरी कहते हैं कि आस्था के महापर्व छठ हमें प्रकृति से जुडने और उससे साक्षात्कार करने का अवसर प्रदान करता है। यह पर्व सामाजिक समरसता के साथ के सामाजिक सौहार्द्र को बढाता है। हमने अपने साथियों के साथ बुराडी में यमुना किनारे घाटों की साफ-सफाई में अपना योगदान दिया। हमें खुशी है कि हमारे बडे भाई और पूर्वांचल मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष मनीष सिंह भी हमारे साथ थे। तमाम सामाजिक कार्यों में हमें उनका साहचर्य मिलता है।
असल में, वर्तमान व्यापारीकरण के दौर में छठ पर्व पर न तो ग्लोबलाइजेशन का प्रभाव पड़ा है और न ही शहरीकरण अपना वर्चस्व जमा सका है। इसी कारण अमीर हो या गरीब कोई भी इसे आसानी से कर सकता है। हालांकि कुछ लोग सोने, चांदी, तांबा, कांसा और पीतल के बने सूप से सूर्यदेव को अर्घ देते हैं, लेकिन बांस के सूप और दउरा का उपयोग आज भी अनिवार्य है। ग्लोबलाइजेशन की इस दौर में जो लोग नौकरी या कुछ पढ़ाई के लिए अपने घर-परिवार से दूर हैं, उनका अपने परिवार से मिलन अक्सर फोन/वीडियो कॉल से ही हो पाता है। ऐसे में छठ एक बड़ी वजह बन जाती है, इस भागदौड़ वाली लाइफ का पॉज बटन दबा कर फुर्सत के कुछ पल अपने घर-परिवार के साथ बिताने का। दादा-दादी वाले जेनरेशन से लेकर पोता-पोती वाले जेनरेशन तक को एक ही छत के नीचे छठ की तैयारी करने में उलझा कर परिवार को एक सूत्र में बांधने का। पुराने शिकायतों को भूल कर रिश्तों के महत्व को समझने का। महीनों पहले से लोग इसके लिए तैयारियां शुरू कर देते हैं।