एनएसई और यूनिसेफ ने आयोजित किया मुंबई में “रिंगिंग द क्लोजिंग बेल“ समारोह

मंबई। यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक हेनरिएटा फोर ने नेशनल स्टाक एक्सचेंज आफ इंडिया लिमिटेड (एनएसई) का क्लोजिंग बेल बजाया और इसके साथ उन्होंने देश के तमाम बिज़नेस लीडर्स और कारपोरेट्स से बच्चों और युवाओं के हित में निवेश करने की अपील की। संयुक्त राष्ट्र महासभा में 2030 तक हर युवा को गुणवत्ता आधारित शिक्षा, ट्रेनिंग और रोजगार उपलब्ध कराने के लिए शुरू किए गए वैश्विक कार्यक्रम “जेनरेशन अनलिमिटेड” से प्रभावित होकर भारत में “युवा” की पहल की गई है। “युवा” भारत सरकार, राज्य सरकारों, प्राइवेट सेक्टर, सिविल सोसाइटी आर्गेनाइजेशंस, यूएन एजेंसीज, सपोर्टिंग पार्टनर्स, साल्युशन पार्टनर्स, एजुकेटर्स और किशोरों को एक मंच पर लेकर आया है।

एनएसई और यूनिसेफ द्वारा सयुक्त रूप से मुम्बई में आयोजदित “रिंगिंग द क्लोजिंग बेल” समारोह में एनएसई के प्रबंध निदेशक श्री विक्रम लिमये, यूनिसेफ इंडिया की कंट्री रेप्रेजेंटेटिव डा. यासमिन अली हक और ओयो रूम्स के संस्थापक और सीईओ श्री रीतेश अग्रवाल शामिल हुए। इस अवसर पर यूनिसेफ कार्यकारी निदेशक सुश्री फोर ने कहा, “भारत में व्यवसायी शेयर्ड वैल्यू को अच्छी तरह समझते हैं। किसी भी व्यवसाय की आधारशिला और विकास उस समाज के स्वस्थ होने, शिक्षित होने और समृद्ध होने में है। व्यवसायों को समुदायों की कीमत पर लाभ की आवश्यकता नहीं है। वे जिन समुदायों में काम करते हैं, उनसे लाभ कमा सकते हैं लेकिन इसके लिए उन्हें अपने आसपास के लोगों, स्थानीय व्यापार समुदायों का समर्थन हासिल करना होगा। और यह समर्थन उन्हें उसी सूरत में मिलेगा, जब वे उनका पूरा ख्याल रखेंगे।”

पैनल डिस्कशन के दौरान पैनलिस्टों ने इस बात पर चर्चा की कि किस तरह व्यवासायी और यूनिसेफ तथा एनएसई जैसे संगठन के मंच पर आकर बच्चों तथा युवाओं के विकास के लिए रास्ते निकाल सकते हैं। इस परिचर्चा में इस बात पर भी जोर दिया गया कि व्यवसायी किस तरह लिंग सम्बंधी रूढ़ीवादिता और काम के स्थल पर लैंगिक असमानता को बढ़ावा देने वाले सामाजिक बंधाओं को दूर कर सकते हैं। पैनलिस्टों ने बताया कि किशोरों और युवा लोगों की तेजी से बढ़ती वैश्विक आबादी के बीच कौशल अंतर को पूरा करने के लिए शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण में तत्काल निवेश की आवश्यकता है।

एनएसई के प्रबंध निदेश तथा सीईओ श्री विक्रम लिमये ने कहा, “समावेशी व्यावसायिक उद्यमों जैसे अभिनव सामाजिक उद्यमों, सहकारी समितियों, स्वयं सहायता सामूहिक, सार्वजनिक निजी भागीदारी और इस पर महिलाओं पर केंद्रित केंद्रित रणनीति, महिलाओं, बुजुर्गों और अन्य हाशिए वाले समुदायों जैसे बहिष्कृत श्रेणियों के वित्तीय सशक्तिकरण की अनुमति देगी। इस तरह के न्यायसंगत व्यापार मॉडल बनाने में नवाचार व्यवसाय विकास का एक प्रमुख चालक होगा ताकि व्यापार के लाभ और लाभ व्यापक पारिस्थितिक तंत्र के लिए घिरे हों। एनएसई फाउंडेशन के माध्यम से एनएसई दृढ़ता से उन हस्तक्षेपों का समर्थन करने में विश्वास करता है जो केंद्रित, अभिनव और गरीब, हाशिए वाले और वंचित समुदायों के सबसे गरीबों को प्रभावित करते हैं और जो आज भारत के विकास परिदृश्य का हिस्सा हैं।”

ओयो रूम्स के संस्थापक और सीईओ श्री रितेश अग्रवाल ने कहा, “युवा क्या कर सकते हैं, इसकी कोई सीमा नहीं है। उन्हें बस सही मार्गदर्शन और सही कौशल उपलब्ध कराने की जरूरत है। मैं यूनिसेफ की इस पहल और प्रयासों का जैसे भी सम्भव हो, समर्थन और सहयोग के लिए तैयार हूं।” युवा लोगों में न्यायसंगत निवेश तेजी से देखा जा रहा है क्योंकि सरकारें और व्यवसायी इसी के जरिए सबसे अच्छे और सबसे मूल्यवान दीर्घकालिक निवेश कर सकते हैं। व्यावहारिक आधार पर भी युवा लोगों में निवेश करना महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे अर्थव्यवस्थाओं और समाजों को सकारात्मक लाभ मिलता है।

यूनिसेफ और नीति आयोग ने इस सप्ताह की शुरुआत में नई दिल्ली में भारत की युवा जनसंख्या, खासतौर पर हाशिए पर रहने वाले समूहों के लिए सामाजिक-आर्थिक अवसरों के विस्तार हेतु समर्पित हितधारकों को साथ लेते हुए एक राष्ट्रीय सहयोग कार्यक्रम शुरू किया जिसे “युवा” नाम दिया गया।

 

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