नई दिल्ली। भारत जैसे कृषि प्रधान देश में यह बेहद जरूरी है कि हर किसान की आर्थिक उन्न्नति हो। इसके लिए सरकारी स्तर पर जो प्रयास किए जा रहे हैं, उसके साथ ही स्वयंसेवी संस्थाओं को भी आगे आकर काम करना होगा। यदि कोई किसान विकलांग है, तो स्वयं सहायता समूहों के जरिए उसका कौशल बढाना होगा, ताकि अमुक किसान को समर्थ बनाया जा सके। ये बातें सोसाइटी फाॅर डिसेब्लिटी एंड रिहेब्लिेशन स्टडीज ‘एसडीआरएस’ द्वारा आयोजित राष्ट्ीय सेमिनार में वक्ताओं ने कहीं।
तयशुदा कार्यक्रम के बावजूद अपरिहार्य कारणों से नहीं आ सके केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु ने अपना वीडियो संदेश भेजा। अपने संदेश में केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि ‘एसडीआरएस’ विकलांगों के लिए लगातार बेहतर कार्य कर रही है। आज के सेमिनार में भी उन्होंने विकलांग किसानों के आर्थिक उन्नति स्कील डेवलमेंट और स्वयं सहायता समूह के जरिए कैसे हो, इस पर आयोजित किया है। यह काबिलेतारीफ है। मेरा मानना है कि भारत में हर किसान का विकास होना चाहिए। किसान सुखी होगा, तो पूरा देश खुशहाल होगा।
सेमिनार में अपने संबोधन में पूर्व राज्यसभा सांसद व वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैय्यर ने ‘एसडीआरएस’ की तारीफ करते हुए बीते 70 साल में देश में किसानो को लेकर किए गए कार्यों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारत जैसे कृषि प्रधान देश में हमें खेती-किसानों से जुडे लोगों की सुध लेनी चाहिए। अन्नदाता खुशहाल होंगे, तो स्वयमेव भारत की तरक्कती होगी। सेमिनार की अध्यक्षता कर रहे इग्नू के पूर्व प्रो वीसी डाॅ पीआर रामानुजम ने बताया कि विकलांगों की समस्या को लेकर पूर्व राष्ट्पति डाॅ एपीजे अब्दुल कलाम बेहद संवेदनशील थे। एक मुलाकात के दौरान उन्होंने हमारी बातों को गंभीरता से सुना और तुरंत एक्शन लिया। उसका परिणाम रहा कि तीन महीने के अंदर साल 2005 में केंद्र सरकार ने कई योजनाएं शुरू की। इस दौरान ‘एसडीआरएस’ के डाॅ जीएन कर्ण ने कहा कि विकलांगों की बेहतरी के लिए और उनको सशक्त बनाने के लिए कई प्रावधान हैं, लेकिन आज भी राजनीतिज्ञों में इच्छाशक्ति की कमी है। जब हमारे राजनेताओं में प्रबल इच्छाशक्ति आएगी, तो खुद ब खुद विकलांगों के लिए और भी तेजी से कार्य किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि कई योजनाओं को आज भी धरातल पर कार्य किए जाने की जरूरत है। सेमिनार में जाने माने कृषि वैज्ञानिक डाॅ एसडी कुलकर्णी, जेएनयू के एसोसिएट प्रोफेसर डाॅ सत्यनारायण प्रसाद सहित कई लोगों ने अपने-अपने विचार रखें और विकलांग किसानों के हित के लिए कार्य करने का संकल्प लिया।