जन्मदिन ही चले बसे यूपी-उत्तराखंड के पूर्व सीएम तिवारी

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे वयोवृद्ध राजनीतिज्ञ नारायण दत्त तिवारी का आज यहां एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह 93 वर्ष के थे। तिवारी लम्बे समय से बीमार चल रहे थे और वह यहां के निजी अस्पताल में भर्ती थे। उत्तराखंड में 18 अक्टूबर 1925 को नैनीताल जिले के बलोती गांव में जन्मे श्री तिवारी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री और आंध्र प्रदेश के राज्यपाल भी रहे। उन्होंने केंद्रीय मंत्री के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं। उनके परिवार में उनकी पत्नी उज्ज्वला तिवारी और एक पुत्र रोहित शेखर हैं।

भारत छोड़ो आंदोलन में जेल जाने वाले तिवारी ने आजादी के बाद प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से अपना राजनीति कैरियर शुरू किया था। वह बाद में कांग्रेस के प्रमुख नेता बने और देश के पहले ऐसे राजनीतिज्ञ हुए जिन्हें दो राज्यों के मुख्यमंत्री होने का गौरव प्राप्त हुआ है। उन्होंने कांग्रेस से अलग होकर तिवारी कांग्रेस की भी स्थापना की थी।

एनडी तिवारी उत्तराखंड के अभी तक के इकलौते मुख्यमंत्री रहे हैं, जिन्होंने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। नए-नवेले राज्य उत्तराखंड के औद्यौगिक विकास के लिए उनके योगदान को हमेशा याद किया जाता है। उत्तराखंड के मौजूदा मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड के लिए तिवारी के योगदान की सराहना की है।

18 अक्टूबर 1925 को तत्कालीन यूनाइटेड प्रोविंस में नैनीताल के पास बलूटी गांव में तिवारी का जन्म हुआ था। आज यह गांव उत्तराखंड में नैनीताल जिले में स्थित है। नारायण दत्त तिवारी के पिता पूर्णानंद तिवारी वन विभाग में अधिकारी थे। तिवारी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एमए, एलएलबी की पढ़ाई की।

सर्वप्रथम 1952 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से विधानसभा सदस्य। फिर 1957, 1969, 1974, 1977, 1985, 1989 और 1991 में विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए। दिसंबर 1985 से 1988 तक राज्यसभा के सदस्य रहे। पहली बार 1976 से अप्रैल 1977, दूसरी बार तीन अगस्त 1984 से 10 मार्च 1985 और तीसरी बार 11 मार्च 1985 से 24 सितंबर 1985 और चौथी बार 25 जून 1988 से चार दिसंबर 1989 तक उप्र के मुख्यमंत्री रहे।

 

 

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