मीठी गोली देने वाले नेताओं की कमी नहीं…

कमलेश भारतीय

कुछ चीजें वायरल हो रही हैं । वायरल बुखार से शायद यह शब्द चलन में आया है । एक तो वायरल हो रहा है किसी चेयरमैन का पैंतालीस लाख रूपये का । दूसरा एक बडे दल के अध्यक्ष के कार्यकर्ता को कोहनी मारने का । पैंतालीस लाख रुपये देकर कोई चेयरमैन बना तो क्या बना ? यही कह रहा है वीडियो में दोस्त । क्या रखा है ऐसी चेयरमैनी में ?
वैसे यह हरियाणा ही है , जिसमें हर किसी के शासन में कुछ लोग सब कुछ पा जाते हैं । कभी चेयरमैनी, कभी राज्यसभा । कभी कुछ तो कभी कुछ । हमारी ओर से ऐसे लोगों को सैल्यूट ।
एक बडे दल के नेता कार्यकर्ताओं के साथ फोटो खिंचवाते समय साफ साफ कोहनी मारते नजर आए । कार्यकर्ता हक्का बक्का रह गया । अध्यक्ष जी ऐसे क्यों कर रहे हैं ? अभी तो भावी मुख्यमंत्री के नारे लगा कर आया हूं , फिर भी ऐसा व्यवहार ? खुदा न खासता मुख्यमंत्री बन गये तो क्या होगा ? इस बारे में कोई सफाई भी सामने नहीं आई । क्या सफाई दें ?
वैसे इसी बडे दल में एक नेता थे जो गोली देने में माहिर थे । बडे बडे दरबार लगाते और सबको मीठी गोली बांट कर चलते बनते । लेकिन जनता सब जानती है । जनता ने मीठी गोली का जवाब जमानत जब्त करवा कर दिया । अब मुश्किल से पटरी पर आए हैं । पता नहीं मीठी गोली दे रहे हैं या छोड दी ?
नेताओं के अपने अपने अंदाज हैं । अपने नुस्खे । कार्यकर्ता बडी उम्मीद लेकर घर से चलता है कि नेता जी मेरा काम करेंगे । आगे से नेता जी गोली दे दें या किसी तरह भूल भुलैया में घुमा दें तो कार्यकर्ता छिटक जाता हैंं । नेताओं को बडी सरलता से अपनी स्थिति बतानी चाहिए कि वे काम करवा पाएंगे या नहीं । उनकी सीमा कहां तक हैं ? तब शायद कार्यकर्ता नाराज न हो ।
कई ऐसे नेताओं से भी वास्ता पडा जो अपनी मर्जी से आपका फोन उठाते हैं और वक्त पडने पर खुद फोन करते हैं । यदि मन ने हो तो सुरक्षा गार्ड इनके बडे काम आते हैं । सुरक्षा गार्ड कहते हैं कि सभी नेता जी कहीं शोक बैठक मे हैं । बाद में करेंगे । वो बाद वाला वादा कभी पूरा नहीं होता ।

ममता फिल्म का गाना स्पष्ट कर देता है :

रहते थे कभी जिनके दिल में
हम जान से भी प्यारों की तरह
हम आज उन्हीं के कूचे पे
बैठे हैं सितमगारों की तरह ।
हे राम , नेताओं को सद्बुद्धि दे।

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