क्या आपने कभी यह जानने की कोशिश की है कि आपके पति की बीमा पॉलिसियों, बचत खातों, एफ.डी.आर और भविष्य निधि में आपके पक्ष में नामांकन किया गया है अथवा नहीं? यदि नहीं किया गया है तो करवाइए अन्यथा किसी भी
अनहोनी के समय आप विपत्तियों से घिर सकती हैं और अपने पति की कमाई की जमा पूंजी मिलने में कठिनाई हो सकती है।
क्या होता है नॉमिनेशन
किसी के पक्ष में नॉमिनेशन करना अत्यंत सरल होता है। यह एक निरूशुल्क सुविधा है। खाता खोलते समय, पॉलिसी कराते समय अथवा उसके पश्चात कभी भी नॉमिनेशन कराया जा सकता है। इसके लिए गवाही के साथ धारक के हस्ताक्षर होते हैं। नॉमिनेशन में नॉमिनी का नाम, पता, आयु आदि का वर्णन होता है।
महत्वपूर्ण बातें
– खाते अथवा बीमे का धारक आपके जीवन में ेकभी भी नामांकन को बदल सकता है।
– ् जीवन बीमा के संबंध में जिसे नॉमिनी बनाया जाता है, उसका बीमाधारक के जीवन में बीमा
योग्यहित होना आवश्यक है।
– प्रत्येक बीमा पॉलिसी अथवा बैंक खाते व सावधि जमा का अलग से नामांकन किया जाना होता है।
– ् संयुक्त बैंक खातों और संयुक्त बीमा योजनाओं में नामांकन करने की आवश्यकता नहीं होती।
– बैंक खाते या बीमा पॉलिसी में किसी प्रकार के परिवर्तन होने पर नॉमिनेशन पुनरू कराना आवश्यक
होता है।
– नामांकन केवल व्यक्तिगत जमाओं पर होता ळें प्रतिनिधि की हैसियत से रखी जगहों का नामांकन
नहीं हो सकता।
– यदि नाबालिग के पक्ष में नॉमिनेशन किया जाता है तो एक बालिग व्यक्ति को नियुक्त करना होता है,
जो धारक की मृत्यु होने पर नाबालिग की ओर से उसी के हित के लिए राशि प्राप्त करता है।
– बीमा पॉलिसियों के मामले में यदि बीमाकर्ता के अलावा किसी अन्य से ऋण लिया है, तो बीमाधारक को ऋण चुकता हो जाने के बाद नामांकन पुनरू कराना चाहिए, क्योंकि पॉलिसी गिरवी रखने और उसका भुगतान पाने का अधिकार
किसी अन्य को देने के कारण उसका पुरानानामांकन रद्द हो जाता है।
नॉमिनेशन के फायदे
नॉमिनेशन का सबसे बड़ा फायदा यह है कि मृतक व्यक्ति की बीमा राशि का भुगतान उस द्वारा नामित व्यक्ति को तुरंत हो जाता है। नामांकन न होने की अवस्था में इसके लिए अनेक कानूनी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। न्यायालय से उत्तराधिकार का प्रमाण पत्र जारी करवाना पड़ता है। इसके लिए दावा राशि के अनुसार कोर्ट फीस चुकानी पड़ती
है। समाचार पत्रों में विज्ञापन देना पड़ता है। यदि कोई व्यक्ति आपत्ति प्रस्तुत करे, तो निर्णय में विलंब
हो सकता है। बैंकों, डाकघरों, बीमा वंहृपनियों और भविष्य निधि में विवाद अथवा दावेदारों के अभाव
में करोड़ों रुपए पड़े रहते हैं। नॉमिनेशन होने पर नामांकित व्यक्ति द्वारा प्राप्त राशि पर अन्य
उत्तराधिकारी केवल न्यायालय के माध्यम से ही दावा कर सकते हैं।
(सरफराज अहमद सिद्दीकी, एडवोकेट, सुप्रीम कोर्ट से बातचीत पर आधारित)