नेताओं की बातें नहीं, अब जनता ने बना लिया है मन

सतीश झा

पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव में से एक में मतदान हो चुका है। चार राज्यों चुनावी सरगर्मी तेज है। 17 नवंबर को मध्यप्रदेश में मतदान होना है। इसके लिए आज प्रचार का आखिरी दिन है। अब नेताओं की बातों पर जनता मंथन करके अपना मन बना रही है। असल में, इस विधानसभा चुनाव को 2024 का सेमीफाइनल बताया जा रहा है। 2024 में लोकसभा चुनाव होना है।

इन चारों राज्यों में से सबसे दिलचस्प मुकाबला होने जा रहा है मध्यप्रदेश में, क्योंकि यहां दोनों मुख्य पार्टीयों का वोट प्रतिशत लगभग बराबर है। 2018 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने किसी का नाम मुख्यमंत्री के लिए घोषित नहीं किया था, लेकिन इस चुनाव में कांग्रेस की ओर से कमलनाथ मुख्यमंत्री के उम्मीदवार हैं। भोपाल के स्थानीय पत्रकारों के बीच यह चर्चा है कि एक ओर कांग्रेस जाति जनगणना पुरे देश में करवाना चाहती है और जिसकी जनसंख्या ज्यादा उसकी भागीदारी ज्यादा के सिध्दांत की बात करती है, वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री का उम्मीदवार कमलनाथ को बनाती है जो कि ना हीं अनुसूचित जाति के हैं और ना हीं अनुसूचित जनजाति के, यहां तक कि वे पिछड़ी जाति से भी नहीं है अपितु पंजाबी खत्री समुदाय उच्च जातियों में आता है और कहीं कहीं इसे क्षत्रिय माना जाता है जो कि कमलनाथ की जाति बताई जाती है। भाजपा के पिछड़ी जातियों के नेता कांग्रेस के इस दूहरे चरित्र को मध्यप्रदेश में जोर शोर से उठा रहें हैं और दलित एवं आदिवासीयों के बीच भी यह बात पहुंचाई जा रही है। कमलनाथ के करीबी रिश्तेदार के भ्रष्टाचार का मामला जो कि उत्तर प्रदेश में “मोजर वियर“ के नाम से जाना जाता है उसे भी उठाया हीं जा रहा है।

आपको मध्यप्रदेश के भाजपा नेता प्रभात झा जरूर याद होंगे जो कि एक समय मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री के उम्मीदवार माने जाते थे, लेकिन उनकी उम्मीदवारी पर सिर्फ इसलिए पानी फिर गया कि वे बिहार मूल के थे और मध्यप्रदेश भाजपा नेताओं को यह ऐतराज था कि प्रभात झा अच्छे संगठन कर्ता है, पार्टी के लिए समर्पित है लेकिन चूंकि बिहार मूल के हैं इसलिए मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री इन्हें नहीं बनाया जा सकता। जब भाजपा जैसी अनुशासित पार्टी में यह मुद्दा उठ सकता है तो कांग्रेस में अंदरखाने क्या हो रहा होगा इसकी आप कल्पना हीं कर सकते हैं, क्योंकि कमलनाथ मूल रूप से कानपुर के हैं जो कि उत्तर प्रदेश का एक महत्वपूर्ण शहर है।

अब यह देखना रोचक होगा कि एक ओर कांग्रेस ने कथित उच्च जाति के उत्तर प्रदेश मूल के कमलनाथ को मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के रूप में पेश किया है, दूसरी ओर भाजपा से जितने भी मुख्यमंत्री के उम्मीदवार की चर्चा है वे सब पिछड़ी या दलित जातियों से हैं। अब मध्यप्रदेश की जनता किस पर भरोसा करती है यह तो मतगणना के दिन ही पता चलेगा।

(लेखक राजनीतिक विश्लेषक हैं।)

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