ढाई गुणा बढ़ गया सरकारी बैंकों का एनपीए

नयी दिल्ली : सरकार नए साल में बैंकिंग सुधारों के सिलसिले को जारी रख सकती है. इसके अलावा सरकार का इरादा एनपीए (गैर निष्पादित आस्तियों) के बोझ से दबे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूंजी निवेश करने का भी है, जिससे ऋण की मांग को बढाया जा सके. फिलहाल ऋण की वृद्धि दर 25 साल के निचले स्तर पर चली गयी है.
सरकार ने इस साल अक्तूबर में बैंकों में 2.11 लाख करोड़ रुपये की भारी भरकम राशि डालने की घोषणा की थी. बैंकों में यह पूंजी दो साल के दौरान डाली जाएगी. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एनपीए जून, 2017 में ढाई गुना से अधिक बढकर 7.33 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है, जो मार्च, 2015 में 2.75 लाख करोड़ रुपये पर था. बैंकों को दिए जाने वाले 2.11 लाख करोड़ रुपये के पैकेज में से 1.35 लाख करोड रुपये पुनर्पूंजीकरण बांडों के जरिये डाले जाएंगे.
वित्त मंत्रालय जल्द पुनर्पूंजीकरण बांडों के तौर तरीके की घोषणा करेगा. बैंकों में पूंजी डालने का काम इतना आसान नहीं होगा. पूंजी डालने के साथ बैंकों के बोर्ड को भी मजबूत किया जाएगा तथा डूबे कर्ज का निपटान भी जरूरी होगा. साथ ही बैंकों के मानव संसाधन के मुद्दों को भी सुलझाना होगा, जिससे भविष्य में जिम्मेदारी पूर्ण बैंकिंग को आगे बढाया जा सके. वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने कहा, सुधार एजेंडा शीर्ष प्राथमिकता है जिसे पूंजीकरण के साथ क्रियान्वित किया जाएगा. कई सुधार लाए जाएंगे जिससे ईमानदार कर्जदाताओं को किसी तरह की परेशानी न होगा और उन्हें उनकी जरूरत के हिसाब से समय पर कर्ज मिल सके. कुमार ने कहा कि सूक्ष्म, लघु और मझोले उपक्रमों (एमएसएमइ), वित्तीय समावेशन तथा रोजगार सृजन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा.

 

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