विपक्ष का कर्नाटक में फोटो शूट या एकता ?

धुर विरोधियों ने मिलाए हाथ. कुमारस्वामी ने भी शंका जताई

कमलेश भारतीय

कर्नाटक का शपथ ग्रहण समारोह कम विरोधियों का शक्ति प्रदर्शन ज्यादा रहा । सोनिया गांधी , राहुल गांधी, शरद पवार , ममता बनर्जी, सीताराम येचुरी, बुआ मायावती, भतीजा अखिलेश, अरविंद केजरीवाल, डी राजा , तेजस्वी प्रताप, शरद यादव और न जाने कितने धुर विरोधी एच मंच पर दिखाई दिए । क्या यह विपक्ष की एकजुटता है या फोटो शूट ? यह सवाल मीडिया चैनल्स पर बहस के लिए छाया रहा । सवाल सही है । इसमें सच्चाई है । इतनी सच्चाई कि खुद मुख्यमंत्री की शपथ लेने वाले कुमारस्वामी को भी संदेह है कि यह सरकार कार्यकाल पूरा करेगी भी या नहीं । दो दो उपमुख्यमंत्री मांग लिए कांग्रेस ने । एक ही मिला । अभी मंत्रिमंडल बनाना बाकी है । सबसे बडी बात अभी तो विश्वासमत साबित करना बाकी है । डी शिवकुमार को कुछ नहीं मिला । देवगौड़ा ने उपमुख्यमंत्री नहीं बनने दिया । जिसने सबको जोड कर रखा , वही खाली हाथ कैसे ?
सवाल यह है कि किसके नेतृत्व में विपक्ष एकजुट रह पाएगा ? क्या लोकसभा चुनाव तक यह गठबंधन चलेगा ? क्या सोनिया गांधी को स्वीकार करेंगे ? क्या राहुल गांधी की प्रधानमंत्री पद की दावेदारी मंजूर होगी ? क्या ये सभी बडे दिग्गज इसी तरह मोदी को रोकने के लिए एकजुट रहेंगे या फिर मीडिया चैनल्स की आशंकाओं को सही साबित करे देंगे ?
जहां तक कर्नाटक में जनादेश की बात है तो जनादेश किसी के भी पक्ष में नहीं पर गठबंधन सरकार अच्छे काम करके दिल जीत सकती है । गोवा , मणिपुर में भी जनादेश भाजपा के लिए नहीं था पर भाजपा ने सरकारें बनाईं । फिर कर्नाटक की गठबंधन सरकार पर सवाल क्यों ? गठबंधन अपवित्र कैसे ?
बहुत कुछ कांग्रेस की भूमिका पर निर्भर करता है । कांग्रेस ज्यादा के लालच में गठबंधन ही न तोड बैठे । लोकसभा चुनाव तक इस गठबंधन का चलना , निभाना जरूरी है, नहीं तो भाजपा को मौका मिल जाएगा उलाहना देने का । संभल कर चलिए ।आगे खतरनाक मोड है । सावधानी हटी , दुर्घटना घटी।

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