भंसाली जी, यह इतिहास है, मजाक नहीं….

संजय लीला भंसाली का हौंसला बढ़ गया और इस बार राजस्थान की वीरांगना पदमावती पर नजर पड़ी। करणी सेन ने राजस्थान में शूटिंग के समय न केवल तोड़-फोड़ की बल्कि निर्देशक भंसाली से हाथापाई भी की। बाद में एक और जगह सैट पर तोड़-फोड़ की गयी। हो सकता है ये दोनों घटनाएं प्रायोजित हों पदमावती के प्रचार के लिए पिल्मकार अपनी फिल्म की प्रोमोशन के नए-नए तौर-तरीके अपनाते रहते हैं।

कमलेश भारतीय

संजय लीला भंसाली की दिसम्बर में रिलीज होने जा रही भव्य फिल्म पदमावती पर महाभारत छिड़ा हुआ है। राजस्थान की करणी सेना ने चेतावनी दी कि यदि इतिहास से छेडछाड़ की गयी, तो फिलम और सिनेमाघरों पर हमल किए जाएंगे। केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्री व स्वयं मुम्बई की मायानगरी से गहरी जुड़ी स्मृति ईरानी ने विश्वास दिलाया कि इस फिल्म को रिलीज के बाद पूरी सुरक्षा प्रदान की जाएगी। इस आश्वासन पर भी करणी सेना नाराज है। पदमावती को गुजरात व हिमाचल के चुनाव से जोड़ कर देखे जाने की बातें भी सामने आ रही हैं। यह विरोध इसलिए बढ़ गया ताकि दोनों राज्यों में राजपूत प्रभावित क्षेत्रों में अपनी पैठें बनाई जाए। ये तो चुनाव परिणाम ही साफ करेंगे कि क्या ऐसा कर पाने से राजनीतिक दल कितने सफल रहे?
संजय लीला भंसाली संभवत के आसिफ की लकीर का पालन करना चाहते हैं। भव्य सैट लोकप्रिय अभिनेता, अभिनेत्री, मधुर संगीत और मनचाही पटकथा। देवदास के साथ भंसाली ने और क्या किया? क्या कोई प्रेमिका मिट्टी लाती है या वेश्या और प्रेमिका कहीं एक साथ नृत्य करती हैं। शरतचंद्र बहुत दुखी हुए होंगे। इसके बाद बनाई बाजीराव मस्तानी। उसमें भी एक निर्देशक के तौर पर भंसाली ने पूरी मनमानी की। पेशवा के वंशज थोड़ा सा एतराज कर खामोश हो गए।
संजय लीला भंसाली का हौंसला बढ़ गया और इस बार राजस्थान की वीरांगना पदमावती पर नजर पड़ी। करणी सेन ने राजस्थान में शूटिंग के समय न केवल तोड़-फोड़ की बल्कि निर्देशक भंसाली से हाथापाई भी की। बाद में एक और जगह सैट पर तोड़-फोड़ की गयी। हो सकता है ये दोनों घटनाएं प्रायोजित हों पदमावती के प्रचार के लिए पिल्मकार अपनी फिल्म की प्रोमोशन के नए-नए तौर-तरीके अपनाते रहते हैं। आमिर खान ने दंगल की रिलीज से पहले हरियाणा के भिवानी के गांव में फौगाट बहनों की शादी पूरी टीम के साथ ही अटैंड की थी। अपने अपने तरीके हैं।
जहां तक पदमावती का सवाल है, असल में संजय लीला भंसाली बड़ा सितारा रणबीर सिंह को मान कर उनकी अलाऊदीन खिलजी की भूमिका का ज्यादा प्रचार कर रह हैं। राजा रतन सेन बने शाहिद कपूर की चर्चा बहुत कम हो रही है। पदमावती में फिल्म की नायिका दीपिका पादुकोण भी चर्चा में हैं। रानी पमदावती के रूप में सोलह हजार विरांगनाओं के साथ उनके अपने पति राजा रतन सेठ की वीरगति के बाद जोहर रचा लिया था। जीते जी वह खिलजी के अपवित्र हाथों से दूर रही। यही शौर्यगाथा है, जिसे मलिक मुहम्मद जायसी ने पदमावत महाकाव्य में बयान किया है।
करणी सेना का आरोप कहिए या आशंका यह है कि खिलजी को पदमावती का फिल्मी हीरो बनाने का प्रयास भंसाली ने किया है। खिलजी के सपने में पदमावती उससे प्यार करती खिाई गयी है। अनेक फिल्मों, धारावाहिकों में सपनों व ख्यालों की दुनिया में बहुत कुछ रच दिया जाता है लेकिन भंसाली जी, यह इतिहास है, हमारे गौरवयमी देश का। कृपया इसे मजाक न बनाएं। आप होंगे बड़े निर्देशक लेकिन हमारे गैरवशाली इतिहास से बड़े तेा नहीं हो। जरा अपने देश का भी समझो। खिलजी का गुणगान कर के क्या पाआगे?

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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