थिएटराें में संगीनाें के साए में “पद्मावत” का शाे शुरु

संदीप ठाकुर

देश के अन्य राज्याें का ताे पता नहीं लेकिन दिल्ली व एनसीआर स्थित मल्टीप्लैक्स चेन PVR में अति विवादास्पद फिल्म पद्मावत का पेड प्रीव्यू शाे 24 जनवरी शाम से शुरु हाे गया। वैसे फिल्म की रीलिजिंग डेट 25 जनवरी तय है। दिल्ली में कनॉटप्लेस स्थित PVR रीवाेली के बाहर जबरदस्त सुरक्षा प्रबंध किए गए हैं। यहां दिल्ली पुलिस के जवानाें के साथ साथ रिजर्व पुलिस बल के जवानाें की भी भारी संख्या में तैनाती की गई है। पेड प्रीव्यू का आज दाे शाे था। टिकट फ्लैट 400 रुपए। हॉल के बाहर काेई खास भीड़ भाड़ नहीं थी लेकिन लाेग टिकट खरीदते दिखे। उन्हाेंने बताया कि पद्मावत देखने की बलबती इच्छा उन्हें हॉल तक खींच लाई है। अब जाे हाेगा,देखा जाएगा। उधर दिल्ली पुलिस के स्पेशल सीपी दीपेंद्र पाठक ने कहा कि पूरी दिल्ली में सुरक्षा इंतजाम जबरदस्त किए गए हैं। यदि किसी समूह या संगठन ने सिनेमा हॉल,सार्वजनिक संपत्ति काे नुकसान पहुंचाने या उपद्रव का प्रयास किया ताे पुलिस एेसे लाेगाें के साथ सख्ती से निपटेगी। किसी हाल में शहर की कानून व्यवस्था भंग नहीं हाेने दी जाएगी। उन्हाेंने कहा कि 26 जनवरी आैर आसियान इंडिया स्मारक शिखर सम्मेलन के चलते पुलिस पर काम का दवाब काफी है लेकिन फिर भी सिनेमा हॉल के बाहर सुरक्षा के इंतजामाें में काेई काेताही नहीं बरती जाएगी।
मीडिया के लिए प्रीव्यू 23 जनवरी काे रखा गया था। इस विशेष शाे में मीडियाकर्मियाें के साथ साथ समाज के अलग अलग तबकाें के लाेगाें काे भी आमंत्रित किया गया था। फिल्म को जिसने देखा उन सबने एक ही बात कही कि इसमें ऐसा कुछ नहीं है जिससे चितैाड़गढ की रानी पदमिनी और अलाऊद्दीन खिलजी के इतिहास की घटनाओं और लोकमान्यता के प्रतिकुल कुछ झलके।
अपन ने भी फिल्म देखी। फिल्म में ऐसा कुछ नहीं है जो चित्ताैड़, रानी पदमिनी और राजपूत गौरव व हिंदूओं की लोकमान्यता से उलटा हो। संजय लीला भंसाली ने फिल्म काफी मेहनत व खूबसूरती के साथ बनाई है। फिल्म बेहद दमदार डायलॉग, शानदार दृश्यों और जुनून को दर्शाती है। फिल्म देखने के बाद आप खुद को खोया हुआ सा महसूस करेंगे। दीपिका रानी पद्मिनी के रूप में बेहद खूबसूरत नजर आई हैं। उन्होंने अपनी दमदार एक्टिंग और एक्सप्रेशन से रानी के किरदार को जीवंत कर दिया है।फिल्म में दीपिका का घूमर डांस और उनके 30 किलो के लहंगे कमाल लग रहे हैं। फिल्म की अवधि 3 घंटे है, जो थोड़ा उबाउ है। फिल्म के 3D इफेक्ट बहुत ही खूबसूरती से शूट किए गए हैं। फिल्म देखते वक्त लगता है जैसे कि सिनेमाहॉल की कुर्सी पर बैठा दर्शक युद्ध भूमि पर ही मौजूद हो।

फिल्म ने यह साेचने पर मजबूर कर दिया कि आखिर इसका विराेध क्याें हाे रहा है ? वह भी विशेष ताैर पर भाजपा शासित राज्याें में। हरियाणा,गुजरात, राजस्थान और मध्यप्रदेश ने ताे प्रतिबंध भी लगा दिया था आैर उत्तरप्रदेश व महाराष्ट्र में भी प्रतिबंध लगने का खटका था। लेकिन मामला सुप्रीम काेर्ट पहुंचा आैर काेर्ट के आदेश के बाद फिल्म की रिलीज का रास्ता साफ हाे गया। उधर विराेध प्रदर्शनाें का दाैर थमने का नाम नहीं ले रहा। कई राज्याें में प्रशासनिक लापरवाही के कारण विराेध उग्र से अति उग्र हाेता जा रहा है। विरोध, प्रदर्शनों और चैनलों पर होने वाली बहसों से फिल्म को जो प्रचार मिल रहा है उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है।
यह सच है कि राजस्थानी लोग खासतौर पर राजपूत अपनी आन-बान शान के लिए कुछ भी कर सकते हैं। जौहर शब्द भी यहीं का दिया हुआ है। जाैहर है क्या ? जब शत्रु किसी राज्य पर आक्रमण करता था और राजपूताें काे हार सामने नजर आती थी तो सभी राजपूत पुरूष भगवे कपड़े पहन कर दुश्मन पर टूट पड़ते थे व महिलाएं आग लगा कर खुद को उसके हवाले कर देती थी। इतिहासकार बताते है कि चित्तौड़गढ़ का जौहर पहला जौहर नहीं था। राजस्थान में नौ जौहर हुए हैं। पहला जौहर तो नरवाड़गढ़ के किले में हुआ था जब महमूद गजनवी की सेना ने उसे घेरा था। तब 20 हजार महिलाए सती हुई थीं। सतियो को बहुत आदर की दृष्टि से देखा जाता है। फिल्म में कहीं भी राजपूतों के मान सम्मान को ठेस पहुंचाने की कोशिश नहीं की गई है। उल्टे संजय लीला भंसाली ने फिल्म में राजपूतों की ‘आन, बान और शान’ को पर्दे पर बखूबी उकेरा है। यकीन के साथ कहा जा सकता है कि देखने के बाद फिल्म के प्रति आवाम की सोच बदल जाएगी।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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