मां बाप को न बांटिए

कभी दुश्मन फिल्म बनी थी । जज नायक राजेश खन्ना को फैसला सुनाता है पीडित परिवार की देखभाल का । राजेश खन्ना ने इस भूमिका से प्रभावित परिवार का दिल जीत लिया । फिल्म हिट रही ।
ऐसा ही एक रोचक फैसला सुप्रीम कोर्ट के जज कुरियन जोसेफ ने सुनाया है । हैदराबाद के एक परिवार में विधवा मां और  बेटियों के बीच सम्पत्ति विवाद पर । फैसला यह कि दस जनवरी तक एक साथ रहिए । जज ने कहा कि आपके बच्चे भी कोर्ट में मौजूद हैं । क्या आप अपने बच्चों को अपने ही परिवार के साथ दौलत के लिए लड़ाई सिखाना चाहते हैं ? या साथ रहना ? अपने बुजुर्ग की आत्मा को शांति पहुंचानी हैंं तो झगड़ना बंद करें ।साथ रहें ।
अदालतों में सम्पत्ति विवाद के मामले बढ रहे हैं । क्या इस कोर्ट केस से अमिताभ बच्चन व हेमा मालिनी की फिल्म बागबान की याद नहीं आती ? आती हैंं न ? किस प्रकार वृद्ध पति पत्नी को बेटे अलग अलग रखते हैं और एक उपन्यास लिखने के बाद इंद्र कैसे बडा पुरस्कार प्राप्त करता है और वही बच्चे फिर पापा को पाना चाहते हैं ।
राजेश खन्ना की ही अवतार फिल्म भी याद आती हैं । जिसमें बेटे मुसीबत में साथ छोड जाते हैं जबकि नौकर के रोल में सचिन साथ देता हैंं । राजेश खन्ना फिर से अमीर बन जाता हैंं और वही बेटे फिर मां शबाना आजमी का सहारा लेकर आ जाते हैं ।
सवाल उठता हैंं कि जायदाद बडी हैंं या रिश्ते बडे हैं ? आज की फिजा में तो जायदाद ही बडी है। रिश्तों की कोई अहमियत नहीं । अम्बानी भाई भी खूब लडे थे । पिता स्कूटर पर धन दौलत इकट्ठा कर गये । भाई लडने लगे । तब मोरारी बापू ने ही ज्ञान दिया । अब एक जस्टिस ज्ञान दे रहा है और पूछ रहा है कि कब मां बेटियों ने एक-दूसरे के साथ मिलकर खाना खाया था ? सच , कितना बदल गया इंसान ? जिस मां ने पाला पोसा उसी से सम्पत्ति का विवाद ? हद है रिश्तों में बदलाव की ।
– कमलेश भारतीय 

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