जेपीएससी में ‘स्केलिंग’ के खिलाफ याचिका खारिज

रांची। झारखंड उच्च न्यायालय ने झारखंड लोक सेवा आयोग की चतुर्थ संयुक्त सिविल सेवा प्रतियोगिता परीक्षा में अभ्यर्थियों की नियुक्ति में ‘स्केलिंग’ की पद्धति के उपयोग के खिलाफ दायर याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इस बारे में निर्णय लेने के लिए आयोग स्वतंत्र है। न्यायमूर्ति अनुभा रावत चौधरी की पीठ ने शुक्रवार को चतुर्थ जेपीएससी संयुक्त सिविल सेवा प्रतियोगिता परीक्षा के तहत चयनित अनुशंसित अभ्यर्थियों की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के बाद प्रार्थियों की दलील को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि स्केलिंग पद्धति का विज्ञापन में जिक्र नहीं होने को आधार मान कर सारी नियुक्ति प्रक्रिया को गलत ठहराया जाये।

न्यायालय ने कहा कि स्केलिंग पद्धति से परिणाम तैयार करने का निर्णय आयोग ले सकता है। पीठ ने लंबी सुनवाई के बाद याचिकाओं को खारिज कर दिया। इससे पूर्व, राज्य सरकार और प्रतिवादियों की ओर से महाधिवक्ता अजीत कुमार ने पक्ष रखा जबकि जेपीएससी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल कुमार सिन्हा, अधिवक्ता संजय पिपरवाल ने पक्ष रखा। उन्होंने अदालत को बताया कि जेपीएससी संवैधानिक संस्था है। वह निर्णय लेने को स्वतंत्र है। स्केलिंग पद्धति से चतुर्थ जेपीएससी का रिजल्ट तैयार करने का निर्णय लेने का अधिकार आयोग को है। स्केलिंग पद्धति को एक मामले में उच्चतम न्यायालय ने भी सही बताया था।

वहीं, प्रतिवादियों की दलील का विरोध करते हुए प्रार्थियों की ओर से अदालत में बताया गया कि आयोग द्वारा नियुक्ति प्रक्रिया के बीच में स्केलिंग पद्धति से रिजल्ट तैयार करने का निर्णय लिया गया, जो बिल्कुल गलत था। इसका जिक्र विज्ञापन में भी नहीं किया गया था। स्केलिंग पद्धति से जो रिजल्ट तैयार किया गया, उसमें मेरिटवाले छात्रों को नुकसान हुआ है, वे अयोग्य हो गए। मेरिट की अनदेखी की गयी और ऐसी स्थिति में अनुशंसा तथा नियुक्ति को निरस्त किया जाना चाहिए। उल्लेखनीय है कि प्रार्थी प्रवीण कुमार राणा और अन्य की ओर से याचिकाएं दायर की गयी थी। जेपीएससी ने 230 से अधिक उम्मीदवारों का चयन कर नियुक्ति के लिए अनुशंसा की थी लेकिन इनकी नियुक्ति को चुनौती दी गयी।

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