नई दिल्ली। देश में पेट्रोल और डीजल के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं और यह दाम पिछले पांच वर्षों में सर्वाधिक स्तर पर पहुंच गया है। मोदी सरकार की इस बात के लिए काफी आलोचना हो रही है। लोगों को इस बात का डर है कि डीजल के बढ़ते दाम का असर सीधा उनकी जेब पर हो सकता है। महंगाई दर बढ़ने की आशंका के मद्देनजर विपक्ष भी सरकार पर हमलावर हो गई है। विपक्षी दलों के नेता लगातार सोशल मीडिया के जरिये सरकार पर हमले कर रहे हैं पीएम नरेंद्र मोदी उनकी कही बातें भी याद करा रहे हैं। ऐसे में देश की बड़ी तेल कंपनी आईओसीएल के चेयरमैन संजीव सिंह ने सरकार से मांग की है कि सरकार पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाए। काफी दिनों से यह कहा जा रहा है कि सरकार पेट्रोलियम उत्पादों के जीएसटी के दायरे में लाएगी तो पेट्रोल और डीजल के दाम कम हो सकते हैं, लेकिन सरकार ने जीएसटी लागू करने के साथ ही साफ कर दिया था कि इसके दायरे में पेट्रोल और पेट्रोलियम उत्पादों को नहीं लाया जा रहा है।
मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए सिंह ने कहा कि आप केवल भारत की बाजार को देख रहे हैं, अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्थिति पर नजर डालें तो बात साफ हो जाती है। हमारे पास कोई रास्ता नहीं है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के बढ़ते दाम के साथ दाम बढ़ाना हमारी मजबूरी है। उन्होंने कहा कि ईरान का मामला न होता तो स्थिति कुछ और होती। उन्होंने मुनाफे और घाटे से जुड़े एक प्रश्न के जवाब में कहा कि आज इस कुछ भी कहना संभव नहीं है क्योंकि यह एक अवधि पर तय किया जाता है। कंपनी हमेशा कम कीमत पर उत्पाद नहीं बेच सकती।
बता दें कि सरकार के तमाम दावों के बावजूद पेट्रोल-डीजल की कीमतें मंगलवार को एक बार फिर बढ़ गई है। यह सिलसिला लगातार नौवें दिन का हो गया है। पेट्रोल 30 पैसे जबकि डीजल की कीमतों में 26 पैसे की बढ़ोतरी हुई है। मंगलवार की बढ़ोतरी के बाद दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 76.87 हो गई है, जबकि डीजल 68.08 हो गया है। जानकारी के लिए बता दें कि जीएसटी की सर्वाधिक दर 28 फीसदी भी यदि पेट्रोल पर लगा तब भी दिल्ली में पेट्रोल के दाम आज की दर से करीब 30 रुपये कम हो जाएंगे।