नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिकाओं (पीआईएल) के दुरुपयोग पर चिंता जताई है. शीर्ष अदालत ने कहा कि इस व्यवस्था पर पुनर्विचार का समय आ गया है. उसका यह भी कहना था कि जनहित के नाम पर पब्लिसिटी और राजनीतिक फायदे हासिल करने की कोशिश हो रही है. शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी 2015 में छत्तीसगढ़ में एक आयोजन में प्रधानमंत्री मोदी का मंच गिरने के मामले में एनआईए और सीबीआई जांच की मांग करती एक याचिका पर सुनवाई के दौरान की.
यह याचिका छत्तीसगढ़ी समाज पार्टी ने दायर की थी. इससे पहले उसने हाई कोर्ट में भी इसी मांग के साथ एक याचिका दायर की थी. उसकी दलील थी कि यह प्रधानमंत्री की सुरक्षा का मामला है जिसकी उचित जांच होनी चहिए. हाई कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने पार्टी को फटकार लगाते हुए उस पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी ठोका. उसने कहा कि याचिकाकर्ता ने राजनीतिक लाभ लेने के लिए यह क्षुद्र काम किया है. शीर्ष अदालत का यह भी कहना था कि कैसे कोई राजनीतिक दल घटना के दो साल बाद याचिका दाखिल कर सकता है. उसने इसे पीआईएल का बेहूदा इस्तेमाल बताया.